

प्राचीन भारतीय शास्त्रों में ज्योतिष और वास्तु शास्त्र का विशेष महत्व है। ये दोनों ही शास्त्र हमारे जीवन को संतुलित और सुखी बनाने में मदद करते हैं। ज्योतिष शास्त्र ग्रह-नक्षत्रों के प्रभाव पर आधारित है, जबकि वास्तु शास्त्र घर के निर्माण और उसमें ऊर्जा के प्रवाह पर ध्यान केंद्रित करता है। यदि हम इन दोनों शास्त्रों के सुझाए गए उपायों का पालन करते हैं, तो न केवल हमारे घर में सुख-शांति बनी रहती है, बल्कि परिवार के सदस्यों की उन्नति और समृद्धि भी होती है। आज ओमांश एस्ट्रोलॉजी अपने पाठको के लिए बेहद खास जानकारी लेकर प्रस्तुत है|
आइए जानें कुछ महत्वपूर्ण ज्योतिषीय और वास्तु उपाय, जिन्हें अपनाकर आप अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ा सकते हैं और जीवन में शांति और समृद्धि ला सकते हैं।
मुख्य द्वार किसी भी घर का सबसे महत्वपूर्ण स्थान होता है। यह घर में आने वाली सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा का केंद्र होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, मुख्य द्वार को हमेशा साफ-सुथरा और सुंदर रखना चाहिए। मुख्य द्वार के पास गंदगी, टूटे-फूटे सामान या कचरे का ढेर नहीं होना चाहिए। इससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और घर में कलह या आर्थिक समस्या उत्पन्न हो सकती है।
– मुख्य द्वार पर स्वस्तिक का चिन्ह बनाएं और इसे समय-समय पर साफ करें।
– दरवाजे के दोनों ओर शुभ और मंगलकारी पौधे लगाएं, जैसे तुलसी, अशोक या मनी प्लांट।
– हर सुबह और शाम को मुख्य द्वार के पास घी का दीपक जलाएं। इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर का ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) सबसे पवित्र माना जाता है। यह दिशा देवताओं की दिशा होती है और इस दिशा में पूजा का स्थान या मंदिर रखना बहुत ही शुभ माना जाता है। यदि इस दिशा में गंदगी या भारी सामान रखा हो, तो घर में शांति और समृद्धि में बाधा आ सकती है।
– ईशान कोण को हमेशा साफ-सुथरा रखें और यहां पूजा का स्थान बनाएं।
– इस दिशा में पानी के स्रोत जैसे फव्वारे या छोटे तालाब का निर्माण करना शुभ होता है।
– यहां पर धूप-अगरबत्ती जलाना और नियमित पूजा करना घर में सकारात्मक ऊर्जा लाता है।
रसोई घर में अग्नि तत्व का विशेष महत्व होता है। अग्नि तत्व ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक है। वास्तु के अनुसार, रसोई का निर्माण दक्षिण-पूर्व दिशा में होना चाहिए, क्योंकि यह अग्नि की दिशा मानी जाती है। यदि रसोई गलत दिशा में होती है, तो घर के सदस्यों के बीच तनाव और अस्वस्थता का माहौल बन सकता है।
– रसोई में खाना बनाते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
– रसोई में फालतू का सामान न रखें, और गैस चूल्हे के पास पानी या जल से संबंधित वस्तुएं न रखें।
– किचन में नियमित रूप से सफाई करें और पुराने बर्तनों को हटा दें। इससे घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
शयनकक्ष वह स्थान है जहां व्यक्ति अपनी सारी थकान मिटाकर आराम करता है। वास्तु के अनुसार, शयनकक्ष का सही स्थान दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। इस दिशा में सोने से व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक सेहत अच्छी रहती है और घर में शांति बनी रहती है।
– शयनकक्ष में बेड का सिरहाना दक्षिण दिशा की ओर रखें और सोते समय आपका सिर दक्षिण या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
– बेड के नीचे फालतू का सामान न रखें, क्योंकि इससे नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
– शयनकक्ष में टूटे हुए शीशे, बर्तन या इलेक्ट्रॉनिक सामान न रखें, ये अशुभ माने जाते हैं।
ज्योतिष और वास्तु शास्त्र दोनों ही तुलसी के पौधे को शुभ मानते हैं। तुलसी का पौधा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह घर की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है और परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और स्नेह को बढ़ाता है।
– तुलसी का पौधा घर के उत्तर-पूर्व दिशा में लगाएं और नियमित रूप से इसकी पूजा करें।
– प्रतिदिन तुलसी के पौधे को जल चढ़ाएं और संध्या के समय दीपक जलाएं।
– तुलसी के पत्तों का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है और घर में सुख-शांति लाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रह दोष होते हैं, तो इसका असर घर के वातावरण पर भी पड़ता है। जैसे शनि दोष, राहु-केतु का प्रभाव, या मंगल दोष आदि परिवार के सदस्यों के बीच कलह, आर्थिक समस्या और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का कारण बन सकते हैं।
– शनि दोष से मुक्ति के लिए शनिवार के दिन शनि देव की पूजा करें और काले तिल या सरसों के तेल का दान करें।
– मंगल दोष के निवारण के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करें और मंगलवार के दिन हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं।
– राहु-केतु दोष के लिए शनिवार को राहु-केतु मंत्र का जाप करें और गरीबों को दान दें।
यदि आपके घर में कोई वास्तु दोष है, तो आप उसे दूर करने के लिए पीतल के पिरामिड का प्रयोग कर सकते हैं। यह नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
– घर के मुख्य द्वार के ऊपर पीतल का पिरामिड लगाएं। इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहेगी।
– घर के उस हिस्से में जहां वास्तु दोष हो, वहां छोटे पीतल के पिरामिड रखें।
ज्योतिष और वास्तु शास्त्र के इन उपायों को अपनाकर आप अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ा सकते हैं और सुख-शांति का अनुभव कर सकते हैं। इन उपायों से न केवल घर के माहौल में सुधार होगा, बल्कि परिवार के सभी सदस्यों की सेहत, समृद्धि और उन्नति भी सुनिश्चित होगी।