Kundli Milaan: शादी से पहले कुंडली मिलान क्यों है ज़रूरी ? जानिए ज्योतिष की अहम भूमिका! क्यों है?
शादी से पहले कुंडली मिलान क्यों है ज़रूरी?
भारत में विवाह केवल दो व्यक्तियों का मिलन नहीं है, बल्कि यह दो परिवारों का भी एक पवित्र बंधन होता है! भारतीय संस्कृति में वैदिक ज्योतिष का विशेष महत्व है और विवाह से पहले कुंडली मिलान (Matching of Horoscopes) एक आवश्यक प्रक्रिया मानी जाती है! यह परंपरा केवल धार्मिक मान्यता तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहन ज्योतिषीय और वैज्ञानिक आधार भी छिपे हुए हैं!अगर आप विवाह के निर्णय की ओर बढ़ रहे हैं, तो कुंडली मिलवाना न भूलें! यह न केवल एक परंपरा है, बल्कि आपके वैवाहिक जीवन की नींव को मजबूत करने का आधार भी है!
# कुंडली मिलान क्या है?
# कुंडली मिलान क्या केवल एक अंधविश्वास है?
बिलकुल नहीं। कुंडली एक खगोलीय गणना पर आधारित चार्ट होती है, जो जन्म के समय ग्रहों की स्थिति को दर्शाती है। इससे किसी व्यक्ति के स्वभाव, स्वास्थ्य, और भविष्य की प्रवृत्तियों का अनुमान लगाया जा सकता है!
आज के युग में भी कई वैज्ञानिक और शिक्षित वर्ग के लोग विवाह से पहले कुंडली मिलवाना आवश्यक मानते हैं!
कुंडली या जन्मपत्रिका व्यक्ति के जन्म समय, स्थान और तिथि के आधार पर बनाई जाती है! इसमें नवग्रहों की स्थिति, भाव (हाउसेज़), नक्षत्र और राशियों के अनुसार व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं की जानकारी मिलती है। जब दो लोगों का विवाह तय होता है, तो उनके बीच सामंजस्य, स्वास्थ्य, संतान योग और भविष्य की अनुकूलता को परखने के लिए उनकी कुंडलियों का मिलान किया जाता है! आज ओमांश एस्ट्रोलॉजी अपने इस लेख में शादी से पहले कुंडली मिलान क्यों है जरूरी, से जुड़ी अहम जानकारी लेकर प्रस्तुत है!
# कुंडली मिलान के प्रमुख कारण
# मानसिक और भावनात्मक अनुकूलता:
किसी भी रिश्ते की नींव आपसी समझ और भावनात्मक जुड़ाव होती है! कुंडली मिलान में ‘मनोगुण’ और ‘भावगुण’ का मिलान किया जाता है, जिससे यह जाना जाता है कि वर-वधू की मानसिकता एक-दूसरे के अनुकूल है या नहीं! अगर दोनों की प्रवृत्ति एक-दूसरे से विपरीत हो, तो विवाह के बाद तनाव और टकराव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है!
# शारीरिक स्वास्थ्य और संतान योग;
कुंडली मिलान में ‘नाड़ी दोष’ का विशेष महत्व होता है! यदि वर और वधू की नाड़ी एक जैसी हो, तो संतान उत्पत्ति में रुकावटें आ सकती हैं या संतान कमजोर हो सकती है! इसके अलावा, दोनों की कुंडलियों में ग्रहों की स्थिति देखकर यह अनुमान लगाया जाता है कि शादी के बाद दंपति का स्वास्थ्य कैसा रहेगा!
# कुंडली मिलान और आर्थिक स्थिति और स्थायित्व;
कुंडली में ग्रहों की दशा यह भी दर्शाती है कि व्यक्ति का आर्थिक पक्ष कैसा रहेगा! यदि दोनों की कुंडलियों में आर्थिक प्रगति के योग हों और दोषरहित दशाएं हों, तो दांपत्य जीवन स्थिर और सुखद हो सकता है!
#कुंडली मिलान और दाम्पत्य जीवन में समरसता;
‘गुण मिलान’ की प्रक्रिया में 36 गुणों में से कम से कम 18 गुणों का मेल होना आवश्यक माना जाता है। यदि गुण मिलान ठीक न हो, तो वैवाहिक जीवन में सामंजस्य की कमी रह सकती है! यह प्रणाली ‘अष्टकूट मिलान’ कहलाती है!
#अष्टकूट मिलान की प्रणाली;
अष्टकूट मिलान का अर्थ है आठ प्रकार के गुणों का मिलान! प्रत्येक गुण को कुछ अंकों (गुणों) के अनुसार महत्व दिया जाता है जैसे कि;
1. **वर्ण (1 गुण)** – मानसिक संगतता को दर्शाता है!
2. **वश्य (2 गुण)** – एक-दूसरे पर प्रभाव डालने की क्षमता!
3. **तारा (3 गुण)** – स्वास्थ्य और दीर्घायु!
4. **योनि (4 गुण)** – यौन अनुकूलता!
5. **ग्रह मैत्री (5 गुण)** – मानसिक और बौद्धिक मेल!
6. **गण (6 गुण)** – स्वभाव और व्यवहार की संगतता!
7. **भकूट (7 गुण)** – प्रेम, समर्पण और वैवाहिक जीवन की सफलता!
8. **नाड़ी (8 गुण)** – संतान योग और जैविक संगतता!
यदि कुल 36 में से 18 से अधिक गुण मिलते हैं, तो वह कुंडली मिलान उचित माना जाता है!
#कुंडली मिलान में दोषों की पहचान और समाधान;
कुंडली मिलान से केवल मेल ही नहीं देखा जाता, बल्कि यह भी देखा जाता है कि क्या किसी कुंडली में कोई बड़ा दोष है। जैसे: कि;
#मांगलिक दोष (Mangal Dosha)
मंगल ग्रह अगर 1st, 4th, 7th, 8th या 12th भाव में हो, तो व्यक्ति मांगलिक कहलाता है! यदि एक व्यक्ति मांगलिक है और दूसरा नहीं, तो यह विवाह में बाधा बन सकता है! हालांकि, समान मांगलिक होने पर यह दोष समाप्त हो जाता है! इसके उपाय भी संभव हैं जैसे मंगल शांति पूजा!
#नाड़ी दोष
यह सबसे गंभीर दोषों में गिना जाता है! एक जैसी नाड़ी वाले वर-वधू का विवाह वर्जित माना जाता है, क्योंकि इससे संतान संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं!
# भकूट दोष:
यदि भकूट मेल नहीं खाता, तो दांपत्य जीवन में दूरियां, मानसिक तनाव और वैवाहिक जीवन की विफलता का संकेत हो सकता है।
इन सभी दोषों के लिए वैदिक उपाय, पूजा-पाठ, रत्न धारण आदि उपायों से समाधान संभव होता है!
#कुंडली मिलान और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
हालाँकि कुछ लोग कुंडली मिलान को केवल परंपरा मानते हैं, परंतु इसके पीछे खगोलशास्त्र और गणनाओं पर आधारित तर्क मौजूद हैं! कुंडली मिलान में ग्रहों की ऊर्जा और प्रभावों को देखा जाता है, जो एक व्यक्ति के स्वभाव और सोच को प्रभावित करती है! यदि दो व्यक्तियों की ग्रह दशाएं अनुकूल हों, तो उनका जीवन अधिक संतुलित और शांतिपूर्ण हो सकता है!
#कुंडली मिलान और सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व:
भारतीय समाज में विवाह को केवल निजी संबंध नहीं बल्कि सामाजिक ज़िम्मेदारी भी माना जाता है! माता-पिता अपने बच्चों के लिए जीवनसाथी चुनते समय यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उनका दांपत्य जीवन सुखमय हो! कुंडली मिलान के माध्यम से एक मानसिक संतोष प्राप्त होता है कि दोनों के ग्रह और स्वभाव अनुकूल हैं!
#कुंडली मिलान और आधुनिक युग की प्रासंगिकता
आज के आधुनिक युग में भी जहां प्रेम विवाह और लिव-इन रिलेशनशिप आम होते जा रहे हैं, वहीं वैदिक ज्योतिष की प्रासंगिकता बनी हुई है! कई सफल व्यवसायी, फिल्मी सितारे और राजनीतिज्ञ भी कुंडली मिलवाने को महत्व देते हैं! कारण यह है कि वे जानते हैं कि ग्रहों और नक्षत्रों की ऊर्जा हमारे जीवन को प्रभावित करती है!
कई बार प्रेम विवाह भी केवल इसलिए टूट जाते हैं क्योंकि शुरुआत में अनुकूलता होती है, पर समय के साथ वह ऊर्जा असंतुलित हो जाती है! यदि विवाह से पहले कुंडली मिलाई जाती, तो उस संभावना को टाला जा सकता था!
कुंडली मिलान केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक, सामाजिक और भावनात्मक प्रक्रिया है, जो वैवाहिक जीवन को सफल और संतुलित बनाने में सहायक है। यह वर-वधू के व्यक्तित्व, सोच, व्यवहार, स्वास्थ्य, संतान, और भविष्य को देखते हुए एक संतुलित निर्णय लेने का माध्यम है!
आज के युग में जहां तलाक और वैवाहिक असंतोष की घटनाएं बढ़ रही हैं, वहां कुंडली मिलान एक सुरक्षा कवच की तरह कार्य करता है। यह विवाह के पहले एक चेतावनी प्रणाली की तरह काम करता है, जो संभावित समस्याओं को पहले ही उजागर कर देता है!
अतः, यदि आप विवाह करने जा रहे हैं, तो कुंडली मिलवाना एक बुद्धिमत्ता भरा कद
म हो सकता है! यह आपके वैवाहिक जीवन को खुशहाल और सफल बनाने की दिशा में पहला और महत्वपूर्ण कदम है!