राहु–केतु के अशुभ प्रभाव दूर करता हैं तुलसी का एक पत्ता! तुलसी का पत्ता क्यों है इतना असरदार?

 

 

 

ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को छाया ग्रह कहा गया है। ये दोनों ग्रह दिखाई तो नहीं देते, परंतु जन्मकुंडली में इनका प्रभाव अत्यंत गहरा होता है। राहु व्यक्ति को मायाजाल, भटकाव, मानसिक तनाव और असंतुलन की ओर ले जाता है, वहीं केतु व्यक्ति को असंतोष, अलगाव और अचानक होने वाली हानियों से जोड़ता है। जिनकी कुंडली में राहु–केतु अशुभ स्थिति में हों, उन्हें अक्सर आर्थिक संकट, पारिवारिक कलह, मानसिक शांति का अभाव, करियर में अड़चनें और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आज ओमांश एस्ट्रोलॉजी तुलसी से कैसे राहु केतु के दुष्प्रभावों का शमन होता है इससे जुड़ी बेहद अहम जानकारी लेकर प्रस्तुत है!

 

हमारे धर्मग्रंथों और आयुर्वेद में एक दिव्य पौधे का उल्लेख मिलता है, जो राहु–केतु के अशुभ प्रभावों को शांत करने में विशेष कारगर माना गया है। यह पौधा है तुलसी। तुलसी को माता लक्ष्मी का रूप और भगवान विष्णु की प्रिय मानी जाती है। तुलसी का केवल एक पत्ता, यदि सही विधि से प्रयोग किया जाए, तो राहु–केतु से मिलने वाले कष्ट काफी हद तक कम हो जाते हैं।

 

1. धार्मिक मान्यता – स्कंद पुराण, पद्म पुराण और गरुड़ पुराण में तुलसी को देवी तुलसी का स्वरूप बताया गया है। मान्यता है कि बिना तुलसी पत्र भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी मानी जाती है।

 

2. ज्योतिषीय मान्यता – तुलसी को राहु–केतु जैसे ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा को सोखने और उसे सकारात्मक ऊर्जा में बदलने वाला माना गया है।

 

3. आयुर्वेदिक महत्व – तुलसी की पत्तियां शरीर से विषाक्त तत्व निकालने, मानसिक शांति देने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए उपयोगी मानी जाती हैं।

 

#राहु–केतु के अशुभ प्रभाव;

*लगातार मानसिक तनाव और अनिद्रा!

*पैसों की हानि या अचानक घाटा!

*घर–परिवार में कलह, रिश्तों में कड़वाहट!

*निर्णय लेने में भ्रम और असफलता!

*आध्यात्मिकता की ओर खिंचाव परंतु संतोष का अभाव!

*नशे की लत या गलत संगति की ओर झुकाव!

 

यदि ऐसे प्रभाव लंबे समय तक जीवन में बने रहें, तो समझना चाहिए कि राहु–केतु अशुभ फल दे रहे हैं।

 

#तुलसी का पत्ता क्यों है असरदार?

तुलसी के पौधे में अत्यधिक सत्वगुण पाया जाता है। राहु–केतु तमोगुण और अंधकार से जुड़े ग्रह माने जाते हैं। तुलसी का पत्ता, जो पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक है, राहु–केतु की नकारात्मक ऊर्जा को शांत कर देता है। तुलसी को सकारात्मक कंपन और ऑरा शुद्धि का स्रोत भी कहा गया है। यही कारण है कि तुलसी पत्र का प्रयोग विशेषत: राहु–केतु के दोष निवारण में सुझाया जाता है।

 

#राहु–केतु दोष दूर करने के लिए तुलसी पत्र प्रयोग की विधियां

1. सुबह तुलसी पत्र सेवन

रोज़ सुबह खाली पेट एक तुलसी का पत्ता धोकर सेवन करने से मानसिक शांति मिलती है।इससे राहु द्वारा उत्पन्न भ्रम और तनाव कम होते हैं।

 

2. तुलसी पत्र अर्पण

प्रत्येक सोमवार और शनिवार को शिवलिंग पर तुलसी पत्र चढ़ाएं। यह राहु–केतु दोष से मुक्ति दिलाता है और स्वास्थ्य लाभ भी देता है।

 

3. तुलसी पत्र से तिलक

तुलसी की दो–तीन पत्तियों को पीसकर उसका लेप बनाकर माथे पर तिलक करें। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और आत्मविश्वास बढ़ता है।

 

4. तुलसी पत्र जल अर्पण

प्रतिदिन सुबह तुलसी पत्र मिलाकर सूर्य को जल अर्पित करें। सूर्य की ऊर्जा राहु–केतु के दोषों को कम करने में सहायक होती है।

 

5. ध्यान और तुलसी

तुलसी के पौधे के पास बैठकर दीपक जलाएं और “ॐ केतवे नमः” या “ॐ राहवे नमः” का जाप करें। यह साधना मानसिक संतुलन देती है और ग्रह शांति कराती है।

 

6. घर में तुलसी का पौधा

घर में तुलसी का पौधा लगाना राहु–केतु से मुक्ति का सबसे सरल उपाय है। शाम को तुलसी के पास दीपक जलाने से घर की नकारात्मकता दूर होती है।

 

#तुलसी के साथ कुछ विशेष उपाय:

#शनि–राहु शांति हेतु शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे तुलसी पत्र रखकर दीपक जलाएं।

#केतु दोष निवारण हेतु मंगलवार को गणेश जी को तुलसी पत्र अर्पित करें।

#कालसर्प दोष शांति के लिए सोमवार को शिवलिंग पर जल में तुलसी पत्र डालकर अर्पित करें।

#स्वास्थ्य सुधार हेतु तुलसी पत्र, काली मिर्च और शहद का सेवन करें। इससे राहु–केतु से उत्पन्न रोगों में राहत मिलती है।

 

**तुलसी पत्ते से मिलने वाले लाभ:

 

1. आर्थिक लाभ – राहु–केतु के कारण होने वाले धन हानि के योग कम होते हैं।

2. मानसिक शांति – तनाव, चिंता और अनिद्रा में लाभ।

3. सकारात्मक ऊर्जा – घर–परिवार में सुख–शांति और सौहार्द बढ़ता है।

4. आध्यात्मिक उन्नति – ध्यान और पूजा में एकाग्रता आती है।

5. स्वास्थ्य सुधार – रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।

 

**तुलसी पत्र प्रयोग में सावधानियां

*तुलसी पत्र को बिना धोए न खाएं।

#रविवार और एकादशी के दिन तुलसी पत्र तोड़ना वर्जित है।

*तुलसी पत्र हमेशा दाहिने हाथ से तोड़ें और भगवान को अर्पित करें।

*मुरझाए या गिरे हुए तुलसी पत्तों का प्रयोग पूजा में न करें।

 

राहु–केतु के अशुभ प्रभाव जीवन को कठिन बना सकते हैं। परंतु प्रकृति ने हमें तुलसी के रूप में एक दिव्य औषधि और धार्मिक साधन दिया है। तुलसी का केवल एक पत्ता भी यदि श्रद्धा और नियमपूर्वक प्रयोग किया जाए, तो यह राहु–केतु के कुप्रभाव को शांत कर जीवन में सुख, शांति और समृद्धि ला सकता है।

इसलिए कहा गया है –

“तुलसीदलम् अमृतम्”

यानी तुलसी का पत्ता अमृत के समान है, जो जीवन को राहु–केतु के अंधकार से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाता है।

Related posts:

Bhai Dooj 2025: भाई दूज 2025 में कब है? नोट करे सही तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि!

लाल मसूर दिलाएगी कर्ज से मुक्ति, लाल मसूर का उपाय जो करता है कर्ज मुक्त

राशि के अनुसार जानिए आपका कौन सा दिन है शुभ?

पितृपक्ष 2024: श्राद्ध तिथि, महत्व और ज्योतिषीय उपाय, पितृ प्रसन्न होकर देते है आशीर्वाद

Guru purnima 2024: ये उपाय करना ना भूले, इसको करने से सफलता चूमती है आपके कदम

Somvar ke upay: सोमवार को शिवलिंग पर चढ़ाएं ये चीज़? खुल जाएगा भाग्य का ताला!

2025 में कौन-सी राशियां भाग्यशाली होंगी?

मासिक दुर्गाष्टमी पर क्या दान करने से होती हैं धन की प्राप्ति ? नीम और तुलसी से अचानक धन वृद्धि उपाय...

Shiv Pooja: संकट गरीबी रोगों से मुक्ति दिलाता है महामृत्युंजय मंत्र! सफलता और अथाह सुख के लिए जपे!

आपके घर में छुपा है धन का खजाना:जानिए कहां? वास्तु और ज्योतिष के इन असरदार उपायों से होगी धन की वृद्...

पैसा नही टिकता तो झटपट करे ये उपाय, दिनोदिन तरक्की, ज्योतिषीय समाधान:

Namak ke upay: नमक रखे इस एक जगह पर, खुल जाएगा किस्मत का ताला