Kartik snan 2025 : कार्तिक स्नान 2025 कब है? कार्तिक स्नान क्यों है इतना खास? जाने तिथि, विधि!
हिंदू धर्म में कार्तिक मास को अत्यंत पवित्र और पुण्यदायी माना गया है। इस महीने में कार्तिक स्नान विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक मास में सूर्योदय से पहले पवित्र नदियों, सरोवरों या घर पर ही जल में स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
आज ओमांश एस्ट्रोलॉजी कार्तिक स्नान 2025 से जुड़ी बेहद अहम जानकारी लेकर प्रस्तुत है, आइए विस्तार से जानते हैं कि कार्तिक स्नान 2025 कब है, क्यों खास है और इसका ज्योतिषीय व आध्यात्मिक महत्व क्या है।
#कार्तिक स्नान 2025 की तिथि:
कार्तिक मास अमावस्या से प्रारंभ होकर पूर्णिमा तक चलता है। इस अवधि में प्रतिदिन स्नान का महत्व है, परंतु अमावस्या, पूर्णिमा, एकादशी और कार्तिक पूर्णिमा का स्नान विशेष फलदायी माना गया है।
कार्तिक स्नान का शुभारंभ (शरद पूर्णिमा के अगले दिन से):
8 अक्टूबर 2025, बुधवार
कार्तिक मास का समापन (कार्तिक पूर्णिमा स्नान):
5 नवंबर 2025, बुधवार
👉 इसका अर्थ है कि कार्तिक स्नान की अवधि 8 अक्टूबर 2025 से 5 नवंबर 2025 तक रहेगी।
इन दिनों सूर्योदय से पहले स्नान करना और भगवान विष्णु, लक्ष्मी एवं शिवजी की आराधना करना अत्यंत पुण्यकारी होगा।
🌟 कार्तिक स्नान क्यों है खास?
1. धार्मिक महत्व
पद्म पुराण और स्कंद पुराण में कहा गया है कि कार्तिक स्नान से मनुष्य को पिछले जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है।
यह स्नान मोक्षदायक माना गया है, विशेषकर गंगा, यमुना, नर्मदा और सरस्वती नदी में।
कार्तिक स्नान करने वाले भक्त को तुलसी, दीपदान और भगवान विष्णु की पूजा का असीम फल मिलता है।
2. ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष के अनुसार, कार्तिक मास में सूर्य और चंद्रमा की स्थिति ऐसी होती है कि व्यक्ति का मानसिक और आध्यात्मिक बल प्रबल होता है। इस महीने में स्नान करने से ग्रह दोष शांत होते हैं।
विशेष रूप से जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा और शुक्र कमजोर हैं, उन्हें कार्तिक स्नान से लाभ मिलता है। यह काल पितृ दोष और पाप कर्म निवारण के लिए भी सर्वोत्तम माना गया है।
3. स्वास्थ्य लाभ
कार्तिक मास के समय मौसम बदलता है और सर्दी की शुरुआत होती है।
सुबह जल्दी उठकर ठंडे जल से स्नान करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
यह स्नान शरीर को शुद्ध करने के साथ मानसिक शांति भी देता है।
**कार्तिक स्नान की विधि;
1. प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठें।
2. गंगाजल या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करें। यदि संभव न हो तो घर पर ही गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
3. स्नान के समय यह मंत्र जपें:
“गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिन्धु कावेरी जलेऽस्मिन्सन्निधिं कुरु॥”
4. स्नान के बाद भगवान विष्णु, शिव और माता लक्ष्मी का पूजन करें।
5. दीपदान करें और तुलसी को जल अर्पित करें।
6. व्रत रखें और ब्राह्मण या जरूरतमंद को दान दें।
✨ कार्तिक स्नान का आध्यात्मिक लाभ
व्यक्ति के मन और आत्मा की शुद्धि होती है।
घर में सौभाग्य और समृद्धि आती है।
जीवन में धन, स्वास्थ्य और संतानों का कल्याण होता है।
यह स्नान भवसागर से मुक्ति दिलाने वाला माना गया है।
** पौराणिक कथाएँ और कार्तिक स्नान;
1. श्रीहरि विष्णु और तुलसी विवाह
कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और तुलसी का विवाह होता है। इस कारण इस दिन का स्नान और भी शुभ माना गया है।
2. शिवजी का त्रिपुरासुर वध
कार्तिक पूर्णिमा को भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था। इसलिए इसे ‘त्रिपुरी पूर्णिमा’ भी कहते हैं। इस दिन स्नान-दान करने से असीम पुण्य प्राप्त होता है।
3. देव-दीपावली
वाराणसी में कार्तिक पूर्णिमा को देव-दीपावली मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन देवता भी गंगा स्नान करने आते हैं।
**ज्योतिषीय दृष्टि से विशेष उपाय;
1. कार्तिक स्नान के दौरान तुलसी के पौधे के सामने दीपक जलाना सभी कष्टों को दूर करता है।
2. यदि कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर हो तो कार्तिक मास में रोज स्नान कर माता लक्ष्मी की पूजा करें।
3. कार्तिक पूर्णिमा पर पीपल वृक्ष की परिक्रमा करने से पितृ दोष दूर होता है।
4. इस माह रोज गाय को रोटी और कुत्ते को भोजन देने से राहु-केतु के दोष कम होते हैं!
कार्तिक स्नान केवल धार्मिक परंपरा ही नहीं बल्कि एक ज्योतिषीय और आध्यात्मिक साधना भी है। 2025 में यह स्नान 8 अक्टूबर से 5 नवंबर तक रहेगा। इस अवधि में स्नान, पूजा, दान और दीपदान करने से जीवन में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
हिंदू धर्मग्रंथों में स्पष्ट कहा गया है कि “कार्तिक मास में स्नान करने वाला मनुष्य सभी पापों से मुक्त होकर भगवान विष्णु का प्रिय हो जाता है।”