Air India Plain Crash: 2025 में इतने भीषण हादसे क्यों हो रहे हैं? क्या ये कालचक्र का प्रभाव है? जानते है ज्योतिष की दृष्टि से!

वर्ष 2025 अभी आधा भी नहीं बीता है, और दुनिया भर में प्राकृतिक आपदाओं, विमान दुर्घटनाओं, आगजनी, भूकंप, और मानवीय त्रासदियों की बढ़ती संख्या ने सभी को चौंका दिया है। कई लोग पूछ रहे हैं: “क्या यह सिर्फ एक संयोग है या इसके पीछे कोई गूढ़ रहस्य छिपा है?” कुछ वैज्ञानिक इसे जलवायु परिवर्तन, तकनीकी विफलताओं या मानवीय लापरवाही का परिणाम मानते हैं, लेकिन भारतीय ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से अगर हम इस वर्ष की ग्रह स्थिति का विश्लेषण करें, तो इसके पीछे कई गहरे और चिंताजनक संकेत मिलते हैं। आज ओमांश एस्ट्रोलॉजी अपने इस लेख में आपको 2025 में हो रहे भीषण हादसों को ज्योतिष की दृष्टि से कैसे देखते है इससे जुड़ी अहम जानकारी लेकर प्रस्तुत है!

 

2025 में राहु मेष राशि में और केतु तुला राशि में भ्रमण कर रहे हैं। राहु और केतु छाया ग्रह हैं और इनके गोचर का प्रभाव गहरा, रहस्यमय और कभी-कभी विनाशकारी होता है। जब राहु अग्नि तत्व की राशि (मेष) में आता है, तो वह उग्रता, अस्थिरता, और हिंसक घटनाओं को जन्म देता है।

मेष में राहु प्राकृतिक आपदाओं, आग लगने की घटनाओं, विस्फोट, युद्ध जैसी परिस्थितियों और राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ावा देता है!

तुला राशि में केतु न्याय, संतुलन और संबंधों में कटुता लाता है, जिससे कूटनीतिक संबंधों में खटास और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टकराव की स्थिति बनती है!

 

2025 में शनि कुंभ राशि में गोचर कर रहा है, जो उसकी अपनी राशि है। हालांकि शनि यहां नीच नहीं होता, लेकिन यह जब मंगल, राहु या सूर्य के प्रभाव में आता है, तो दुर्घटनाओं, विध्वंस और जनजीवन के लिए खतरनाक बन जाता है!

वर्ष 2025 के मार्च और अप्रैल में शनि और मंगल की युति ने वैश्विक स्तर पर तनाव, सड़क दुर्घटनाओं, और विस्फोट जैसी घटनाओं में वृद्धि की!

इस समय मीन, कुंभ और मकर राशि पर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही है, जो इन राशियों से संबंधित देशों, व्यक्तियों और क्षेत्रों को प्रभावित कर रही है!

 

2025 में कुल 4 ग्रहण हो रहे हैं – 2 चंद्रग्रहण और 2 सूर्यग्रहण। ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण काल को अत्यंत संवेदनशील और संकटकारी माना जाता है, विशेषकर जब यह राहु-केतु की स्थिति के साथ जुड़ता है!

**14 मार्च 2025 – सूर्यग्रहण (कुंभ राशि में)**

यह ग्रहण शनि की राशि में हुआ, जिससे तकनीकी दुर्घटनाएं और हवाई यातायात प्रभावित हुआ!

* **7 सितंबर 2025 – चंद्रग्रहण (कन्या राशि में)**

यह ग्रहण मानसिक असंतुलन, मौसम में विकृति, और बीमारियों की बढ़ोतरी कर सकता हैं!

ग्रहण के समय अगर कोई महत्वपूर्ण ग्रह जैसे मंगल, शनि या राहु ग्रहण स्थान के पास हो, तो दुर्घटनाओं और जनहानि की संभावना कई गुना बढ़ जाती है!

** मंगल का उग्र प्रभाव और युद्ध संकेत**

मंगल ग्रह ऊर्जा, शक्ति, युद्ध और अग्नि का प्रतीक है। 2025 में मंगल कई बार राहु और शनि के प्रभाव क्षेत्र में आया है, जिससे:

* सीमा पर तनाव की स्थिति बनी (विशेषकर एशिया में)

* आगजनी की घटनाएं बढ़ीं

* औद्योगिक दुर्घटनाएं जैसे फैक्ट्री में आग, केमिकल विस्फोट आदि सामने आए

विशेषकर मई 2025 में मंगल और राहु की युति ने अप्रत्याशित घटनाओं को जन्म दिया, जैसे कि रेल दुर्घटनाएं और आतंकी हमले।

 

बृहस्पति (गुरु) वर्तमान में वृषभ राशि में है। जब गुरु पृथ्वी तत्व की राशि में होता है और यदि उस पर शनि या राहु की दृष्टि पड़ती है, तो भू-स्खलन, भूकंप, और बाढ़ जैसी घटनाएं हो सकती हैं!

भूकंप और बाढ़ की स्थिति की बात करे तो बृहस्पति पर शनि की दृष्टि और गुरु-केतु के बीच सामंजस्यहीनता ने पृथ्वी पर जल और भूमि तत्वों में असंतुलन पैदा किया!

**सामूहिक दुर्घटनाएं: बृहस्पति का स्वास्थ्य और शिक्षा से संबंध है। इसके प्रभावित होने से स्वास्थ्य संकट, अस्पताल में आग लगना, या शिक्षण संस्थानों में दुर्घटनाएं देखी गईं!

2025 में ग्रहों की स्थिति वैश्विक अशांति को भी दर्शाती है:

 **राजनीतिक उथल-पुथल:

शुक्र और बुध के वक्री होने से संचार प्रणाली और राजनैतिक निर्णयों में भ्रम और अनिश्चितता बनी रही!

 **आर्थिक मंदी:

शुक्र-शनि की युति से वैश्विक स्तर पर आर्थिक अस्थिरता, बाजार में गिरावट, और बेरोजगारी जैसी समस्याएं सामने आईं!

**क्या यह कालचक्र का प्रभाव है?

भारतीय ज्योतिष में कालचक्र को एक चक्र के रूप में देखा जाता है, जो सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर और कलियुग में बँटा हुआ है। वर्तमान में हम कलियुग के मध्य चरण में हैं! इस युग में अराजकता, पाप, और अधर्म अपने चरम पर पहुंचते हैं।

कलियुग के इस दौर में राहु-केतु, शनि और मंगल जैसे ग्रह जब सक्रिय होते हैं, तो वैश्विक स्तर पर बड़े परिवर्तन और हादसे होते हैं। यह परिवर्तन आवश्यक भी हैं क्योंकि यह समाज को चेताते हैं और आध्यात्मिक रूप से उन्नति का अवसर भी प्रदान करते हैं।

 

 **निवारण क्या हैं? ज्योतिषीय सुझाव**

यदि आप व्यक्तिगत या सामूहिक तौर पर इन आपदाओं के प्रभाव को कम करना चाहते हैं, तो नीचे कुछ उपाय दिए गए हैं:

 

**1. ग्रहों की शांति के लिए उपाय**

* राहु-केतु की शांति के लिए;

हर मंगलवार और शनिवार को “राहु बीज मंत्र” और “केतु बीज मंत्र” का जाप करें!

* शनि की कृपा के लिए;

शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाएं और “शनि स्तोत्र” का पाठ करें!

* मंगल दोष से राहत के लिए;

हनुमान चालीसा का पाठ करें और मंगलवार को हनुमान मंदिर जाएं!

**2. घर में सकारात्मक ऊर्जा के लिए**

* रुद्राभिषेक करवाएं, विशेषकर ग्रहण काल में!

* घर में पीले रंग की वस्तुओं का प्रयोग करें (बृहस्पति की कृपा के लिए)।

* वास्तु दोषों को ठीक करें और नियमित दीप प्रज्वलित करें!

**3. सामूहिक जागरूकता**

* प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करें!

* तकनीकी उपकरणों और वाहन सुरक्षा को प्राथमिकता दें!

* पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दें जिससे प्राकृतिक आपदाएं कम हो सकें!

2025 में हो रहे भीषण हादसों के पीछे कई खगोलीय और ज्योतिषीय कारण हैं। ग्रहों की स्थिति, विशेषकर राहु, केतु, शनि और मंगल की युति और दृष्टि से बनी परिस्थितियां त्रासदियों को जन्म दे रही हैं। यह समय न केवल सावधानी बरतने का है, बल्कि आत्मचिंतन और आध्यात्मिक उन्नति का भी है!

 

ज्योतिष हमें सिर्फ डराने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह एक चेतावनी और दिशा देने वाला विज्ञान है! अगर हम इसके संकेतों को समझें और उनके अनुरूप आचरण करें, तो इन आपदाओं का प्रभाव काफी हद तक कम किया जा सकता है!

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