Deepawali 2025: दिवाली 2025 के खास 5 दिन? नोट करे सही तिथि, पूजा विधि!

 

2024-diwali

 

दीपावली 2025 पर संपूर्ण जानकारी जिसमें पूजन विधि, पौराणिक कथा और ज्योतिषीय महत्व है| आज ओमांश एस्ट्रोलॉजी अपने इस लेख में दीपावली 2025 पर विस्तार पूर्वक आपको बताने जा रहे है|

 

आज के समय में पटाखों के कारण पर्यावरण प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन गया है। अतः सभी को चाहिए कि ‘हरित दिवाली’ मनाएं|

पटाखों की बजाय दीपक जलाएं| घर की सजावट में प्राकृतिक चीज़ों का प्रयोग करें| पर्यावरण अनुकूल रंगोली बनाएं।

 

दीपावली न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह आत्मविश्लेषण, आंतरिक प्रकाश और सामाजिक सद्भाव का प्रतीक भी है। जब हम अपने जीवन के अंधकारों को मिटाकर दूसरों के जीवन में भी उजाला लाने का प्रयास करते हैं, तब ही दीपावली का वास्तविक सार साकार होता है।

 

दीपावली 2025 तिथि, पूजन विधि, कथा,

दीपावली, जिसे दिवाली भी कहा जाता है, भारत का सबसे प्रमुख और भव्य त्योहार है। यह अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। दीपावली न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा पर्व है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

**दीपावली 2025 की तिथि

वर्ष 2025 में दीपावली का पर्व 20 अक्टूबर, सोमवार को मनाया जाएगा। यह दिन कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को आता है और पांच दिनों तक चलने वाले उत्सवों की श्रृंखला का केंद्र बिंदु होता है।

 

**दीपावली के पांच विशेष दिन**

1. **धनतेरस (18 अक्टूबर, शनिवार)** इस दिन स्वास्थ्य और धन की देवी लक्ष्मी एवं धनवंतरी का पूजन होता है।

2. **नरक चतुर्दशी छोटी दिवाली (19 अक्टूबर, रविवार)** नरकासुर वध की स्मृति में मनाया जाता है।

3. **दीपावली (20 अक्टूबर, सोमवार)** लक्ष्मी पूजन, गणेश पूजन और दीप सज्जा का दिन।

4. **गोवर्धन पूजा (21 अक्टूबर, मंगलवार)** श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन उठाने की कथा से जुड़ा पर्व।

5. **भाई दूज (22 अक्टूबर, बुधवार)** भाई-बहन के स्नेह का पर्व।

 

**दीपावली पूजन विधि,

दीपावली की रात्रि को लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है। यह पूजन प्रदोष काल एवं स्थिर लग्न में किया जाना शुभ माना गया है।

**सामग्री:**

– कलश, दीपक, पुष्प, चावल, हल्दी, कुमकुम, चंदन, नारियल, मिठाई, नई झाड़ू, चांदी या मिट्टी की लक्ष्मी-गणेश मूर्ति, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, फूलमाला।

**पूजन विधि:**

1. सबसे पहले घर की साफ-सफाई करें। यह देवी लक्ष्मी के आगमन का संकेत होता है।

2. सायंकाल दीप जलाकर घर के सभी कोनों में रखें।

3. पूजा स्थान को स्वच्छ कर रंगोली बनाएं।

4. चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर लक्ष्मी और गणेश की मूर्ति स्थापित करें।

5. कलश स्थापना करें इसमें जल भरकर आम के पत्ते और नारियल रखें।

6. भगवान गणेश का पूजन करें और फिर लक्ष्मी पूजन करें। उनको पुष्प, माला, धूप-दीप अर्पित करें।

7. लक्ष्मी माता को कमल गट्टे, बताशे, खील-बताशा, मिठाई, पान-सुपारी अर्पण करें।

8. धन-धान्य, बहीखाते, तिजोरी आदि पर रोली, चावल से तिलक करें।

9. अंत में आरती करें “जय लक्ष्मी माता” और “ॐ जय जगदीश हरे” का गान करें।

10. पूजन के बाद प्रसाद वितरण करें और दीपमालिका सजाएं।

 

दीपावली से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं, जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं:

रामायण के अनुसार, जब श्रीराम माता सीता और भाई लक्ष्मण सहित 14 वर्षों का वनवास पूर्ण कर रावण का वध कर अयोध्या लौटे, तो अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया। तभी से दीपावली का पर्व दीपों की कतारों से मनाया जाने लगा।

 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, कार्तिक अमावस्या के दिन समुद्र मंथन से देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। इस कारण इस दिन लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है।

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध कर 16,100 कन्याओं को मुक्त किया था। अगले दिन को नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली के रूप में मनाया जाता है। कार्तिक अमावस्या की रात को लक्ष्मी देवी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं। शास्त्रों में उल्लेख है कि जो व्यक्ति इस दिन स्वच्छता रखकर, दीप जलाकर और लक्ष्मी पूजन करता है, उसके घर दरिद्रता नहीं टिकती।

 

दीपावली का दिन तांत्रिक एवं ज्योतिषीय उपायों के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। शनि, राहु, केतु दोष शांति के लिए विशेष पूजन किया जाता है।

व्यापारी वर्ग इस दिन को नूतन वर्ष का आरंभ मानते हैं। नई बहीखाता (खाता बही) लिखकर लक्ष्मी पूजन करते हैं।

इस शुभ अवसर पर दीपदान का बहुत खास महत्व होता हैं|

इस दिन यमराज के निमित्त दीप दान करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। तुलसी, पीपल, घर के मुख्यद्वार, कुएं आदि पर दीपक जलाने की परंपरा है।

 

**दीपावली में क्या करें और क्या न करें,

**क्या करें:**

– घर की सफाई और शुद्धता बनाए रखें।

– ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और पूजा स्थल को सजाएं।

– जरूरतमंदों को दान दें अन्न, वस्त्र, दीपक आदि।

 

**क्या न करें:**

– क्रोध और कलह से बचें।

– इस दिन मांस-मदिरा का सेवन वर्जित है।

– तिजोरी या बहीखाता में झूठी बात न लिखें।

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