Bagulamukhi chalisa in hindi: बगलामुखी चालीसा पढ़ने के फायदे
बगलामुखी चालीसा देवी बगलामुखी की स्तुति का विशेष पाठ है, जो शत्रुनाश, विजय, और जीवन में स्थिरता लाने के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है। देवी बगलामुखी को “स्तंभन शक्ति” की देवी कहा जाता है, जो शत्रुओं के बुरे प्रभाव को रोकती हैं और व्यक्ति को मानसिक शांति प्रदान करती हैं।
सर्वश्रेष्ठ परिणाम के लिए बगलामुखी चालीसा को पीले वस्त्र पहनकर, पीले फूल चढ़ाकर, और सच्चे मन से नियमित रूप से पढ़ें। इससे जीवन में सुख, शांति और सफलता प्राप्त होती है
बगलामुखी चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के शत्रु शांत होते हैं और उनके दुष्प्रभाव समाप्त हो जाते हैं। यह चालीसा पढ़ने से कोर्ट-कचहरी से जुड़े मामलों में सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। देवी की कृपा से वाणी में आकर्षण और प्रभावशीलता बढ़ती है, जिससे व्यक्ति अपनी बात आसानी से मनवा सकता है। यह पाठ जीवन में आने वाली नकारात्मक ऊर्जा, बुरी नजर, और तांत्रिक प्रभावों को दूर करने में सहायक है। देवी बगलामुखी की कृपा से आर्थिक तंगी दूर होती है और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है। चालीसा पढ़ने से मानसिक शांति और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
सर्वश्रेष्ठ परिणाम के लिए बगलामुखी चालीसा को पीले वस्त्र पहनकर, पीले फूल चढ़ाकर, और सच्चे मन से नियमित रूप से पढ़ें। इससे जीवन में सुख, शांति और सफलता प्राप्त होती है।
।। अथ श्री बगलामुखी चालीसा ।।
नमो महाविद्या बरदा , बगलामुखी दयाल। स्तम्भन क्षण में करे , सुमरित अरिकुल काल।।
नमो नमो पीताम्बरा भवानी , बगलामुखी नमो कल्याणी। भक्त वत्सला शत्रु नशानी , नमो महाविद्या वरदानी।।
अमृत सागर बीच तुम्हारा, रत्न जडि़त मणि मंडित प्यारा। स्वर्ण सिंहासन पर आसीना , पीताम्बर अति दिव्य नवीना।।
स्वर्णभूषण अति सुन्दर धारे, सिर पर चन्द्र मुकुट श्रृंगारे। तीन नेत्र दो भुजा मृणाला, धारे मुद्गर पाश कराला।।
भैरव करे सदा सेवकाई, सिद्ध काम सब विघ्न नसाई। तुम हताश का निपट सहारा, करे अकिंचन अरिकल धारा।।
तुम काली तारा भुवनेशी, त्रिपुर सुन्दरी भैरवी वेशी। छिन्नभाल धूमा मातंगी, गायत्री तुम बगला रंगी।।
सकल शक्तियां तुम में साजे, ह्रीं बीज के बीज बिराजे। दुष्ट स्तम्भन अरिकुल कीलन, मारण वशीकरण सम्मोहन।।
दुष्टोच्चाटन कारक माता, अरि जिव्हा कीलक सघाता । साधक के विपति की त्राता, नमो महामाया प्रख्याता।।
मुद्गर शिला लिए अति भारी, प्रेतासन पर किए सवारी। तीन लोक दस दिशा भवानी, बिचरहु तुम हित कल्यानी।।
अरि अरिष्ट सोचे जो जन को, बुद्धि नाशकर कीलक तन को। हाथ पांव बांधहु तुम ताके, हनहु जीभ बिच मुद्गर बाके।।
चोरों का जब संकट आवे, रण में रिपुओं से घिर जावे। अनल अनिल बिप्लव घहरावे, वाद-विवाद न निर्णय पावे।।
मूठ आदि अभिचारण संकट, राजभीति आपत्ति सन्निकट। ध्यान करत सब कष्ट नसावे, भूत प्रेत न बाधा आवे।।
सुमरित राजद्वार बंध जावे, सभा बीच स्तम्भवन छावे। नाग सर्प ब्रर्चिश्रकादि भयंकर, खल विहंग भागहिं सब सत्वर।।
सर्व रोग की नाशन हारी, अरिकुल मूलच्चाटन कारी। स्त्री पुरुष राज सम्मोहक, नमो नमो पीताम्बर सोहक।।
तुमको सदा कुबेर मनावे, श्री समृद्धि सुयश नित गावें। शक्ति शौर्य की तुम्हीं विधाता, दु:ख दारिद्र विनाशक माता।।
यश ऐश्वर्य सिद्धि की दाता , शत्रु नाशिनी विजय प्रदाता। पीताम्बरा नमो कल्याणी, नमो माता बगला महारानी ।।
जो तुमको सुमरै चितलाई, योग क्षेम से करो सहाई । आपत्ति जन की तुरत निवारो, आधि व्याधि संकट सब टारो।।
पूजा विधि नहिं जानत तुम्हरी, अर्थ न आखर करहूं निहोरी। मैं कुपुत्र अति निवल उपाया, हाथ जोड़ शरणागत आया।।
जग में केवल तुम्हीं सहारा, सारे संकट करहुं निवारा। नमो महादेवी हे माता, पीताम्बरा नमो सुखदाता।
सोम्य रूप धर बनती माता, सुख सम्पत्ति सुयश की दाता। रोद्र रूप धर शत्रु संहारो, अरि जिव्हा में मुद्गर मारो।।
नमो महाविधा आगारा, आदि शक्ति सुन्दरी आपारा। अरि भंजक विपत्ति की त्राता, दया करो पीताम्बरी माता।।
रिद्धि सिद्धि दाता तुम्हीं, अरि समूल कुल काल। मेरी सब बाधा हरो, माँ बगुला मुखी तत्काल!