“गणेश चतुर्थी 2025 विशेष: ज्योतिषीय उपाय जो बदल सकते हैं आपकी किस्मत के सितारे ”

**गणेश चतुर्थी** हिंदू धर्म का एक विशेष पर्व है जो भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। भगवान गणपति विघ्नहर्ता, बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता हैं। इस दिन विशेष पूजा, व्रत और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। वर्ष 2025 में गणेश चतुर्थी का पर्व विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह शुभ योगों के संगम में आएगा। आइए जानते हैं गणेश चतुर्थी 2025 की सटीक तिथि, इसकी पौराणिक कथा, और ज्योतिषीय उपाय।

** गणेश चतुर्थी 2025 की सही तिथि और मुहूर्त

– **तिथि:** शुक्रवार, 29 अगस्त 2025
– **चतुर्थी तिथि आरंभ:** 28 अगस्त 2025 को दोपहर 1:38 बजे
– **चतुर्थी तिथि समाप्त:** 29 अगस्त 2025 को दोपहर 3:50 बजे
– **विनायक चतुर्थी व्रत मुहूर्त:** 29 अगस्त को प्रातःकाल से दोपहर तक
– **मूर्ति स्थापना एवं पूजा का शुभ मुहूर्त:** 29 अगस्त 2025 को प्रातः 06:15 बजे से 09:30 बजे तक विशेष शुभ

**नोट:** गणेश स्थापना के लिए मध्याह्न काल को सर्वोत्तम माना जाता है, जब सूर्य उच्च स्थिति में होता है।

गणेश चतुर्थी का पर्व केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देव कहा गया है, अर्थात कोई भी शुभ कार्य उनके पूजन के बिना प्रारंभ नहीं किया जाता। ऐसा विश्वास है कि इस दिन भगवान गणेश पृथ्वी पर अवतरित हुए थे। उनकी पूजा से समस्त विघ्न बाधाएं दूर होती हैं और कार्यों में सफलता मिलती है।

** गणेश चतुर्थी की पौराणिक कथा:
भगवान गणेश का जन्म कैसे हुआ?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार माता पार्वती ने स्नान के समय अपने शरीर की मैल से एक बालक का निर्माण किया और उसे द्वारपाल के रूप में नियुक्त किया। माता पार्वती ने उसे आदेश दिया कि वह किसी को भी भीतर न आने दे।

इसी बीच भगवान शिव वहाँ पहुंचे और बालक द्वारा रोके जाने पर क्रोधित हो उठे। भगवान शिव ने गणेशजी का मस्तक काट दिया। माता पार्वती को जब इस बात का पता चला तो वे अत्यंत क्रोधित और दुखी हुईं। तब भगवान शिव ने गणेशजी के धड़ पर एक हाथी का सिर लगाकर उन्हें पुनर्जीवित कर दिया। साथ ही उन्हें “प्रथम पूज्य” होने का वरदान भी दिया, कि प्रत्येक शुभ कार्य से पहले उनकी पूजा अनिवार्य होगी।

एक अन्य कथा के अनुसार गणेश जी ने महर्षि वेदव्यास के कहने पर महाभारत को लिखा था, एक कथा में उल्लेख है कि गणेश जी ने परिक्रमा प्रतियोगिता में पृथ्वी की बजाय माता-पिता (शिव-पार्वती) की परिक्रमा कर उन्हें सर्वश्रेष्ठ सम्मान दिया, जिससे उन्हें ‘ज्ञान और बुद्धि का देवता’ घोषित किया गया।

 

** गणेश चतुर्थी पूजा विधि:

1. **प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।**
2. **मूर्ति स्थापना करें:** गणेशजी की मिट्टी की मूर्ति को चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित करें।
3. **संकल्प लें:** व्रत और पूजा का संकल्प करें।
4. **आवाहन करें:** मंत्रों द्वारा गणपति का आह्वान करें।
5. **षोडशोपचार पूजा करें:** गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से पूजन करें।
6. **मंत्र जाप करें:** “ॐ गं गणपतये नमः” का 108 बार जप करें।
7. **मोधक का भोग लगाएं:** गणपति को मोदक प्रिय है, अतः मोदक अवश्य अर्पित करें।
8. **आरती करें:** गणेश आरती जैसे “जय गणेश जय गणेश देवा” का गायन करें।
9. **व्रत कथा का श्रवण करें।**
10. **ब्राह्मण भोजन व दान करें।**

गणेश चतुर्थी के ज्योतिषीय उपाय:

गणेश चतुर्थी के दिन कुछ विशेष उपाय करने से जीवन में समृद्धि, बुद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं कुछ सरल व प्रभावी ज्योतिषीय उपाय:

1. ऋण मुक्ति के लिए उपाय
गणेश जी को दूर्वा (21 गांठ वाली) अर्पित करें और “ॐ गं ऋणमुक्ताय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें। इससे कर्ज से मुक्ति मिलती है।

2. व्यापार वृद्धि के लिए उपाय
गणेश जी को हल्दी की माला अर्पित करें और “ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा” मंत्र का जाप करें।

3. विवाह बाधा निवारण
गणेश चतुर्थी पर “सिद्धिविनायक स्तोत्र” का पाठ करें और श्री गणेश को सिंदूर व दूर्वा अर्पित करें। इससे विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।

4. बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति के लिए
विद्यार्थियों को गणेश चतुर्थी के दिन 21 लड्डुओं का भोग लगाना चाहिए और परीक्षा या करियर संबंधी सफलता हेतु “ॐ वक्रतुंडाय हुं” का जाप करना चाहिए।

5. संतान सुख हेतु उपाय:
निःसंतान दंपति इस दिन गणपति की स्थापना कर “संतान गणपति स्तोत्र” का पाठ करें और मोदक का भोग लगाएं।

*गणेश चतुर्थी 2025 पर विशेष योग

वर्ष 2025 में गणेश चतुर्थी के दिन कई शुभ योग बन रहे हैं| यहां विशेष 3 शुभ योग के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें पहला है,
**शुक्ल योग:** कार्यों में सफलता का संकेत मिलता है
**रवि योग:** सभी बाधाओं का निवारण होता हैं
**सर्वार्थ सिद्धि योग:** हर कार्य में लाभ की प्राप्ति होती हैं|

इन शुभ योगों में गणेश पूजा करने से विशेष पुण्य लाभ प्राप्त होगा और जीवन के बड़े कार्य सिद्ध होंगे।

गणेश चतुर्थी के उपरांत गणेश प्रतिमा का विसर्जन भी उतना ही महत्वपूर्ण होता है। आमतौर पर अनंत चतुर्दशी (गणेश स्थापना के 10वें दिन) को विसर्जन किया जाता है। विसर्जन से पहले गणपति से क्षमा याचना कर, उन्हें अगले वर्ष पुनः पधारने का आमंत्रण दिया जाता है |

विसर्जन मंत्र:

“गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ।”

गणेश चतुर्थी केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि आस्था, श्रद्धा और शुभ आरंभ का प्रतीक है। भगवान गणेश की उपासना से समस्त विघ्नों का नाश होता है, और जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है।
वर्ष 2025 में गणेश चतुर्थी का पर्व विशेष शुभ योगों के साथ आ रहा है, इसलिए इसे पूरे विधि-विधान से मनाना अत्यंत फलदायी रहेगा।

गणपति बप्पा का आशीर्वाद सभी पर बना रहे!

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