ग्रह दोष से कैसे बिगड़ता है स्वास्थ्य? जानिए कैसे शिव के 1 मंत्र से मिलती हैं हर रोग से मुक्ति?

 

 

 

भारतीय ज्योतिष शास्त्र केवल भाग्य बताने का साधन नहीं है, बल्कि यह मानव जीवन के हर पहलू स्वास्थ्य, धन, करियर और संबंधों को गहराई से समझने की विद्या है! जन्म कुंडली में उपस्थित ग्रह दोष (Planetary Afflictions) व्यक्ति के जीवन को अनेक प्रकार से प्रभावित करते हैं! विशेषकर स्वास्थ्य पर इनका गहरा असर देखा जाता है!

 

जब भी किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य में बार-बार बाधाएँ आती हैं, रोग ठीक होकर भी दोबारा लौट आते हैं या अचानक कोई गंभीर बीमारी घेर लेती है, तो इसके पीछे केवल शारीरिक कारण ही नहीं, बल्कि ज्योतिषीय कारण भी होते हैं! ओमांश एस्ट्रोलॉजी अपने इस लेख में ग्रह हमे कैसे प्रभावित करते हैं इससे जुड़ी जानकारी लेकर प्रस्तुत है,आइए विस्तार से समझते हैं!

 

#ग्रह दोष और स्वास्थ्य का संबंध;

 

1. लग्न और षष्ठ भाव (6th house) की स्थिति;

 

कुंडली में लग्न (Ascendant) और षष्ठ भाव (Disease House) सीधे स्वास्थ्य को दर्शाते हैं! यदि इन भावों के स्वामी पापग्रह (जैसे शनि, राहु, केतु, मंगल) से पीड़ित हों, तो रोग जल्दी पकड़ लेते हैं!

 

2. अशुभ ग्रहों की दृष्टि;

 

#शनि की अशुभ दृष्टि हड्डियों, जोड़ों और नसों की बीमारियाँ लाती है!

#राहु मानसिक तनाव, एलर्जी और असाध्य रोग देता है!

#केतु से अचानक दुर्घटना, शल्य चिकित्सा और रहस्यमयी रोग होते हैं!

#मंगल रक्त से जुड़ी समस्याएँ और दुर्घटनाएँ कराता है!

3. चंद्रमा की स्थिति

 

#चंद्रमा मन और जल तत्व का कारक है। यदि यह राहु, केतु या शनि से पीड़ित हो, तो मानसिक तनाव, अनिद्रा, डिप्रेशन और हार्मोनल समस्याएँ हो सकती हैं!

 

4. सूर्य की स्थिति

#सूर्य आत्मबल और हृदय का कारक है। कमजोर सूर्य से इम्युनिटी घटती है, आँखों और हृदय संबंधी रोग होते हैं!

 

5. कालसर्प दोष और पितृ दोष

 

#कालसर्प दोष या पितृ दोष है, तो जीवन में बार-बार रोग और मानसिक अशांति बनी रहती है!

 

🌿 क्यों बिगड़ता है स्वास्थ्य ग्रह दोष से?

 

ग्रह दोष शरीर की सातों चक्रों की ऊर्जा को बाधित करते हैं! पिछले जन्म के अधूरे कर्म या पाप वर्तमान जीवन में रोगों के रूप में फलित होते हैं! जब अशुभ ग्रह की दशा चलती है, तब रोग और कष्ट ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं!

ग्रह दोष से मन अस्थिर होता है और इससे मानसिक रोग व तनाव बढ़ जाते हैं!

 

#शिव जी और स्वास्थ्य का संबंध;

 

भगवान शिव को आदियोगी और महामृत्युंजय कहा गया है! वे संहारक भी हैं और पुनर्जीवन देने वाले भी ,ज्योतिष में जब ग्रह दोषों से रोग और पीड़ा बढ़ जाती है, तो भगवान शिव की उपासना विशेष रूप से लाभ देती है! शिव ही एकमात्र देवता हैं जो “रोगनाशक” कहे जाते हैं!

 

#महामृत्युंजय मंत्र का महत्व;

 

भगवान शिव का महामृत्युंजय मंत्र (त्रयम्बक मंत्र) को “सर्वरोग नाशक” माना जाता है!

 

इस मंत्र का अर्थ है –

 

तीन नेत्रों वाले भगवान शिव की हम उपासना करते हैं,

वे हमें बंधनों से मुक्त करें, और मृत्यु समान रोग, भय व संकटों से रक्षा करें!

 

 

इस मंत्र से लाभ:

 

1. असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है!

 

2. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है!

 

3. मानसिक शांति और तनाव से राहत मिलती है!

 

4. ग्रह दोषों से होने वाले कष्ट कम होते हैं!

 

5. अकाल मृत्यु और गंभीर दुर्घटनाओं से रक्षा होती है!

 

🙏 मंत्र जाप की विधि;

 

1. सुबह स्नान कर सफेद वस्त्र पहनें!

 

2. पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें!

 

3. रुद्राक्ष की माला से कम से कम 108 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें!

 

4. सामने तांबे के लोटे में जल रखें और मंत्रोच्चार के साथ उस पर फूंक मारें!

 

5. अंत में उस जल को पी लें या घर में छिड़क दें!

 

🪔 अन्य ज्योतिषीय उपाय स्वास्थ्य सुधार के लिए;

 

1. सोमवार को शिवलिंग पर जल और बेलपत्र अर्पित करें!

 

2. राहु-केतु दोष के लिए शिवलिंग पर कच्चे दूध और शहद का अभिषेक करें!

 

3. सूर्य कमजोर हो तो रविवार को गुड़ और गेहूँ दान करें!

 

4. चंद्रमा पीड़ित हो तो सोमवार को सफेद चावल और दूध दान करें!

 

5. पितृ दोष से मुक्ति के लिए अमावस्या को पीपल वृक्ष के नीचे दीपक जलाएँ!

 

 

ग्रह दोष वास्तव में हमारे स्वास्थ्य पर गहरा असर डालते हैं। यही कारण है कि कई बार चिकित्सा के बाद भी रोग लंबे समय तक बने रहते हैं! ऐसे में ज्योतिषीय उपाय और विशेषकर भगवान शिव का महामृत्युंजय मंत्र एक दिव्य चिकित्सा का कार्य करता है!

 

शिव का यह मंत्र न केवल शारीरिक रोगों से बल्कि मानसिक और आत्मिक कष्टों से भी मुक्ति दिलाता है!

जो भी व्यक्ति नियमित  श्रद्धा और विश्वास के साथ इसका जाप करता है, वह दीर्घायु, निरोग और मानसिक शांति से युक्त जीवन प्राप्त करता है!

 

 

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