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गुरु चांडाल योग:

गुरु चांडाल योग ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण और चर्चित योग है। ये योग तब बनता है जब गुरु (बृहस्पति) ग्रह राहु के साथ एक ही राशि में स्थित हो जाता है। यह योग किसी व्यक्ति की कुंडली में हो तो उसे कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। यह योग नकारात्मक परिणाम भी दे सकता है, लेकिन इसके उपायों का पालन कर इसके प्रभाव को नियंत्रित किया जा सकता है। आज ओमान्श एस्ट्रोलॉजी अपने पाठको के लिए गुरु चांडाल योग से जुड़ी बेहद खास जानकारी लेकर प्रस्तुत है|

गुरु चांडाल योग के कारण:

गुरु और राहु का संयोग: जब गुरु ग्रह और राहु एक ही राशि में स्थित होते हैं, तब गुरु चांडाल योग का निर्माण होता है। यह संयोग व्यक्ति के जीवन में नैतिकता, धर्म, और आध्यात्मिकता के प्रति भ्रम उत्पन्न कर सकता है।

गुरु की शक्ति में कमी: गुरु बृहस्पति ग्रह को ज्ञान, धर्म, नैतिकता और शिक्षा का कारक माना जाता है। जब राहु जैसे छाया ग्रह के साथ यह संयोजन होता है, तो गुरु की सकारात्मक ऊर्जा में कमी आ सकती है।

राहु का प्रभाव : राहु को भ्रम, छल, और अधार्मिक कार्यों का प्रतीक माना जाता है। राहु के साथ गुरु का होना व्यक्ति को गलत दिशा में जाने के लिए प्रेरित कर सकता है।

• गुरु चांडाल योग के प्रभाव:

*नैतिकता में गिरावट: यह योग नैतिक और धार्मिक विचारों में अस्थिरता ला सकता है। व्यक्ति नैतिक और अनैतिक के बीच सही निर्णय लेने में असमर्थ हो सकता है।

* शैक्षिक और व्यावसायिक परेशानियां : शिक्षा और करियर में रुकावटें आ सकती हैं। छात्रों को पढ़ाई में ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हो सकती है, जबकि पेशेवर जीवन में संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है।

धार्मिक और आध्यात्मिक भटकाव : यह योग व्यक्ति को धर्म और आध्यात्मिकता से भटका सकता है। व्यक्ति धर्म के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण रख सकता है और अपने जीवन में धार्मिक गतिविधियों से दूरी बना सकता है।

•आर्थिक समस्याएं:
गुरु चांडाल योग के कारण व्यक्ति को आर्थिक नुकसान, व्यापार में हानि, या वित्तीय अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है।

* स्वास्थ्य समस्याएं:
यह योग स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण भी बन सकता है। मानसिक तनाव, चिंता और अवसाद जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

* गुरु चांडाल योग के उपाय:

1.गुरु की पूजा: बृहस्पति देव की नियमित पूजा करें। हर गुरुवार को बृहस्पति देव का व्रत रखें और उनकी पूजा में हल्दी, चने की दाल, और पीले वस्त्र अर्पित करें।

2.गुरु मंत्र का जाप: बृहस्पति मंत्र “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” का जाप प्रतिदिन 108 बार हल्दी की माला से करें। यह मंत्र गुरु की शक्ति को बढ़ाता है और राहु के नकारात्मक प्रभाव को कम करता है।

3. गुरु से संबंधित दान: गुरुवार के दिन पीले वस्त्र, चने की दाल, हल्दी, और पीले फूल दान करें। यह दान गुरु के शुभ प्रभाव को बढ़ाता है।

4. राहु की शांति के उपाय : राहु के प्रभाव को कम करने के लिए राहु मंत्र “ॐ रां राहवे नमः” का जाप करें। राहु के लिए नीले या काले वस्त्र दान करें और राहु की शांति के लिए हवन करें।

5. गुरु और राहु ग्रहों की यंत्र स्थापना: गुरु ग्रह के यंत्र को घर में स्थापित करें और उसकी विधिपूर्वक पूजा करें।

6. गाय को चारा खिलाना: गुरुवार के दिन गाय को हरा चारा खिलाएं।और साथ ही गुरूवार के दिन पीले वस्त्र धारण करें|यह उपाय गुरु को प्रसन्न करता है और जीवन में आ रही परेशानियों को कम करता है।

7. शिक्षा और नैतिकता पर ध्यान : इस योग के प्रभाव को कम करने के लिए शिक्षा, नैतिकता और धर्म पर विशेष ध्यान दें। अच्छे शिक्षकों और गुरुओं का मार्गदर्शन लें और अपने जीवन में सकारात्मकता बनाए रखें। और वर्ष में एक बार अपने स्कूल या कॉलेज अवश्य जाएं और खुद को धन्य समझें|

8. भगवान शिव की पूजा: भगवान शिव की पूजा भी गुरु चांडाल योग के नकारात्मक प्रभावों को कम कर सकती है। सोमवार के दिन शिवलिंग पर जल अर्पित करें और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।

9. पीले फल और पीली सब्जी का दान करें | अपने भोजन में पीली वस्तुओं का सेवन करें जैसे हल्दी, चने की दाल, और पीले फलों का सेवन करें। यह बृहस्पति के शुभ प्रभाव को बढ़ाता है।

निष्कर्ष
गुरु चांडाल योग जीवन में कई चुनौतियाँ ला सकता है, लेकिन उचित उपायों और धार्मिक कार्यों के माध्यम से इसके नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है। ध्यान रहे कि किसी भी ज्योतिषीय उपाय को करते समय आस्था और श्रद्धा का होना आवश्यक है। यह योग व्यक्ति को नैतिकता और धर्म के प्रति जागरूक करता है और जीवन में आत्म-सुधार का अवसर प्रदान करता है।

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