जगन्नाथ मंदिर के द्वार पर किस देवता का वास है”! जाने जगन्नाथ मंदिर से जुड़ा ये रहस्य !

 

 

 

 

 

 

#जगन्नाथ मंदिर के द्वार पर किस देवता का वास है , ज्योतिषीय की दृष्टि से;

 

भारत की धरती धार्मिक विविधताओं, आध्यात्मिक ऊर्जा और रहस्यमयी प्रतीकों से परिपूर्ण है। ऐसा ही एक अद्भुत और चमत्कारी स्थान है — **भगवान जगन्नाथ का मंदिर**, जो उड़ीसा के पुरी शहर में स्थित है! यह मंदिर न केवल अपनी भव्यता और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी वास्तुशिल्प संरचना, रहस्यमयी तत्व और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है

 

आज ओमांश एस्ट्रोलॉजी अपने इस लेख में विस्तार से बताने जा रहे हैं कि *भगवान जगन्नाथ मंदिर के मुख्य द्वार पर किस देवता का वास है*, और यह मान्यता ज्योतिष, शास्त्र और वास्तु के संदर्भ में क्या अर्थ रखती है!

 

 

#भगवान जगन्नाथ मंदिर हिन्दू धर्म के चार धामों में से एक है। इसे “श्री क्षेत्र” भी कहा जाता है! यहाँ भगवान विष्णु के तीन स्वरूपों की पूजा होती है:

 

**भगवान जगन्नाथ** (श्रीकृष्ण)

**बलभद्र** (बलराम)

**सुभद्रा** (भगवान कृष्ण की बहन)

 

मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में गंग वंश के राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव ने करवाया था। इसकी धार्मिकता और स्थापत्य कला आज भी शोध का विषय है!

 

 

#जगन्नाथ मंदिर के मुख्य द्वार पर कौन से देवता विराजमान हैं?

 

भगवान जगन्नाथ मंदिर के **मुख्य द्वार को ‘सिंह द्वार’** कहा जाता है। यह मंदिर के चार प्रमुख द्वारों में से सबसे मुख्य और भव्य है! किंवदंतियों और शास्त्रों के अनुसार, **सिंह द्वार पर भगवान हनुमान का वास माना जाता है**, जिन्हें इस स्थान पर **”बिमला देवी” के रक्षक** और **”पवनपुत्र”** के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है।

 

लेकिन यहाँ एक रहस्यमयी और विशेष बात यह है कि मुख्य द्वार के पास एक अदृश्य शक्ति का वास भी माना जाता है ! जिसे *”काल भैरव”* या *”नृसिंह देवता”* से भी जोड़ा जाता है!

 

 

 

 

 

 

 

#द्वारपाल के रूप में हनुमान जी का महत्व**

 

शास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु जहां भी निवास करते हैं, वहां उनके चारों ओर शक्तिशाली देवताओं का पहरा होता है। भगवान हनुमान को *’चिरंजीवी’* माना जाता है, जो सदा-सर्वदा पृथ्वी पर उपस्थित रहते हैं! उन्हें द्वारपाल के रूप में पूजने की परंपरा कई मंदिरों में है, जैसे कि:

 

* राम मंदिरों में दक्षिण दिशा में हनुमान जी का वास होता हैं!

* विष्णु और कृष्ण मंदिरों में उत्तर और पूर्व दिशा की रक्षा करते हैं!

 

#पुरी जगन्नाथ मंदिर के सिंह द्वार के ठीक पास *हनुमान जी का एक छोटा लेकिन अत्यंत प्रभावशाली मंदिर* स्थित है, जिसे स्थानीय लोग *”बडि हनुमान” या “दंडा हनुमान”* कहते हैं! यह दर्शाता है कि वे मंदिर की रक्षा के लिए सदैव सजग हैं!

 

 

## जगन्नाथ मंदिर वास्तु और दिशा अनुसार देवताओं की स्थिति**

 

वास्तु शास्त्र के अनुसार, मंदिरों में द्वारों की दिशा, आकार और उनके समीप स्थापित मूर्तियाँ किसी विशेष ऊर्जा या ग्रह के प्रभाव को दर्शाती हैं!

 

 

 

 

 

#सिंह द्वार – पूर्व दिशा:

 

* पूर्व दिशा सूर्य की दिशा है!

 

* इसे देवताओं की दिशा भी कहा जाता है!

 

* इस दिशा की रक्षा प्रायः इंद्र, अग्नि या सूर्य देव करते हैं!

 

लेकिन विशेष रूप से रक्षा के लिए *पूर्व दिशा में हनुमान जी या नृसिंह जी की स्थापना* की परंपरा रही है! क्योंकि ये देवता शक्तिशाली, क्रोधी लेकिन धर्म के रक्षक माने जाते हैं!

 

 

#नृसिंह देवता – छिपा हुआ स्वरूप?

 

कुछ ज्योतिषियों और पुराणों के आधार पर यह माना गया है कि *सिंह द्वार के पास भगवान नृसिंह* का भी अदृश्य रूप में वास है! क्योंकि:

 

* ‘नृसिंह’ का अर्थ होता है: आधा नर, आधा सिंह!

* भगवान विष्णु के इस अवतार ने धर्म की रक्षा के लिए अत्यंत उग्र रूप धारण किया!

* मंदिर के सिंह द्वार पर दो शेरों की मूर्तियाँ हैं, जो नृसिंह रूप की ओर संकेत करती हैं!

 

ज्योतिष के अनुसार, सिंह राशि सूर्य की राशि है, और सूर्य देव नृसिंह अवतार में एक विशेष रूप से उपस्थित होते हैं!

 

 

#काल भैरव – ऊर्जा का केंद्र**

 

कुछ तंत्र और शाक्त परंपराओं में ऐसा भी माना जाता है कि *पुरी के सिंह द्वार पर काल भैरव* की छाया भी है। भैरव को शिव का उग्र रूप माना जाता है, जो मंदिरों के रक्षक होते हैं!

 

#काल भैरव की उपस्थिति के लक्षण:

 

* मंदिर के बाहर भूत-प्रेत प्रवेश नहीं कर सकते!

* मंदिर की पवित्रता और ऊर्जा स्थिर रहती है!

* भक्तों पर किसी भी प्रकार की नकारात्मक शक्ति का प्रभाव नहीं डाल सकती!

 

यही कारण है कि सिंह द्वार पर प्रवेश करते समय भक्त स्वाभाविक रूप से अपना सिर झुकाते हैं — क्योंकि वहां एक महान, दिव्य शक्ति का वास है!

 

 

#ज्योतिषीय दृष्टि से सिंह द्वार की शक्ति**

 

#ग्रहों से संबंध:**

 

* सिंह द्वार का संबंध **सूर्य और मंगल** से है!

 

* सूर्य आत्मा का प्रतिनिधित्व करता है और मंगल साहस, ऊर्जा और सुरक्षा का!

 

* हनुमान जी को मंगल का अधिदेवता माना जाता है!

 

* नृसिंह भगवान का संबंध सूर्य और चंद्र दोनों से है!

 

इस दृष्टिकोण से सिंह द्वार पर इन देवताओं की उपस्थिति पूर्णतः ज्योतिषीय और ऊर्जात्मक नियमों के अनुकूल है!

 

 

 

 

#द्वारों पर देवताओं की स्थापना – परंपरा क्यों है?

 

भारतीय मंदिर स्थापत्य में ऐसा माना गया है कि:

 

**मुख्य देवता की मूर्ति जितनी महत्वपूर्ण है, उतना ही महत्वपूर्ण है उसका द्वारपाल!

* द्वारपाल शत्रु ऊर्जा को मंदिर में प्रवेश करने से रोकते हैं!

* वे दिशाओं के माध्यम से ऊर्जा संतुलन को स्थिर रखते हैं!

 

 

 

पुरी के सिंह द्वार पर हनुमान, नृसिंह और भैरव इन तीनों शक्तियों का अदृश्य समन्वय दिखता है!

स्थानीय जनश्रुति के अनुसार, कई भक्तों ने यह अनुभव किया है कि जैसे ही वे सिंह द्वार के निकट आते हैं, एक अद्भुत ऊर्जा का संचार उनके भीतर होता है। ऐसा लगता है जैसे कोई अदृश्य शक्ति उन्हें आशीर्वाद दे रही हो!

कुछ साधकों का मानना है कि:

 

*हनुमान जी वहां सशरीर रक्षक रूप में हैं!

 

*नृसिंह देव क्रोध की ज्वाला के रूप में आस-पास स्थित हैं!

 

*काल भैरव अदृश्य रेखा खींच कर मंदिर को सुरक्षित करते हैं!

 

 

# जगन्नाथ मंदिर का सिंह द्वार केवल एक प्रवेश द्वार नहीं, बल्कि *एक ऊर्जा केंद्र*, *एक रक्षक द्वार* और *एक दिव्य प्रवेश द्वार* है। वहां *हनुमान जी, नृसिंह देव* और *काल भैरव* की उपस्थिति मंदिर को आध्यात्मिक सुरक्षा प्रदान करती है! ज्योतिषीय दृष्टिकोण, वास्तु तत्व और धार्मिक परंपराएं , तीनों इस तथ्य की पुष्टि करते हैं कि इस द्वार पर दिव्य रक्षक देवताओं का वास है!

 

जब भी आप भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए जाएं, तो

सिंह द्वार पर रुककर नमन करें — क्योंकि वह सिर्फ एक दरवाज़ा नहीं, बल्कि स्वयं देवताओं का **द्वारपाल स्वरूप** है!

 

 

 

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