Janmashtumi 2025: जन्माष्टमी 2025 में कब है? जाने सही तिथि, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त कब है?
हिंदू धर्म में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव जन्माष्टमी एक अत्यंत पवित्र और भक्ति भाव से ओत-प्रोत पर्व है। इसे कृष्ण जन्माष्टमी, गोकुलाष्टमी या अष्टमी रोहिणी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन श्रद्धालु उपवास रखते हैं, रात को 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाते हैं और विविध प्रकार की पूजा-अर्चना करते हैं।
जन्माष्टमी तिथि हर वर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आती है, परंतु चंद्रमा की गति के अनुसार इसका दिन हर वर्ष बदलता रहता है। आज ओमांश एस्ट्रोलॉजी जन्माष्टमी 2025 में कब है से जुड़ी अहम जानकारी लेकर प्रस्तुत है, तो आइए जानते हैं कि 2025 में जन्माष्टमी कब है , इस दिन के ज्योतिषीय महत्व, पूजा विधि, और शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार से।
**जन्माष्टमी 2025 की तिथि व दिनांक**
वर्ष 2025 में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव बुधवार, 13 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा!
अष्टमी तिथि प्रारंभ 13 अगस्त 2025, बुधवार को सुबह 05:47 बजे अष्टमी तिथि समाप्ति होगी!
14 अगस्त 2025, गुरुवार को सुबह 07:14 बजे
* **रोहिणी नक्षत्र** 13 अगस्त की दोपहर से लेकर रात 01:10 बजे तक रहेगा
इसलिए निशिता काल (रात्रि 12 बजे के आसपास का समय) में 13 अगस्त की रात्रि को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा!
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि में हुआ था। इन दोनों का योग अत्यंत शुभ और आध्यात्मिक शक्ति से परिपूर्ण माना जाता है।
कृष्ण जन्म के समय चंद्रमा वृषभ राशि में और रोहिणी नक्षत्र में था, जो कि चंद्रमा का अत्यंत प्रिय नक्षत्र है।
इस विशेष संयोग में पूजा करने से व्यक्ति को न केवल सांसारिक सुख-संपत्ति, बल्कि मोक्ष की प्राप्ति तक मानी जाती है।
**ज्योतिषीय लाभ**
* इस दिन व्रत रखने से कुंडली में चंद्र दोष, शनि दोष और राहु-केतु दोष शांत होते हैं।
* जो जातक कृष्णाष्टमी पर जन्मे हैं, उन्हें कृष्णयोग प्राप्त होता है जो एक भाग्यशाली योग है।
**जन्माष्टमी व्रत और पूजा विधि**
**व्रत की विधि**
* श्रद्धालु निर्जल या फलाहार व्रत रखते हैं!
* पूरे दिन भगवान कृष्ण की लीलाओं का स्मरण करते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं।
* रात्रि के समय निशिता काल में व्रत का पारण करते हैं।
* श्रीकृष्ण पूजन विधि*
* प्रातः काल स्नान कर के साफ वस्त्र पहनें।
* भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा या झूले की स्थापना करें।
* पंचामृत से स्नान कराएं, वस्त्र, आभूषण, मौर मुकुट आदि पहनाएं।
* तुलसी पत्र, माखन-मिश्री, फल, धूप-दीप, पुष्प अर्पित करें।
* “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
* मध्यरात्रि (रात्रि 12 बजे) श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाएं।
**जन्माष्टमी 2025 के विशेष योग**
2025 की जन्माष्टमी पर कई शुभ योग भी बन रहे हैं:
* **अमृत सिद्धि योग: यह योग कार्य सिद्धि और पूजन के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
* **रवि योग: यह सभी बाधाओं को हरने वाला योग है।
* **सर्वार्थ सिद्धि योग: इसमें किया गया पूजा-पाठ विशेष फलदायी होता है।
इन योगों के प्रभाव से इस वर्ष की जन्माष्टमी सौगुणित फल देने वाली मानी जा रही है।
* जन्माष्टमी पर क्या करें?
श्रीकृष्ण को बाल रूप में पूजना विशेष फलदायी होता है। उन्हें झूला झुलाएं, भजन करें, आरती करें!
अगर स्वास्थ्य ठीक है तो निर्जल व्रत, नहीं तो फलाहार व्रत रखें।
इस दिन अन्न, वस्त्र, गौ-दान , या जल वितरण करें। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है।
श्रीकृष्ण के जन्म के समय जागरण कर भजन-कीर्तन करें। यह विशेष फल देता है।
* जन्माष्टमी पर क्या न करें ?
* कटु वाणी का प्रयोग न करें
* मांस, मदिरा, लहसुन-प्याज से परहेज करें
* क्रोध, लोभ, ईर्ष्या जैसे भावों से बचें
* दोपहर तक सोना वर्जित है
* अपवित्रता से बचें (शरीर और विचार दोनों में)
**भगवान श्रीकृष्ण का जन्म: एक दिव्य लीला का वर्णन;
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में कंस की जेल में हुआ था। उनके जन्म के साथ ही संसार में धर्म की पुनः स्थापना, अधर्म का विनाश , और भक्तों की रक्षा का संदेश प्रसारित हुआ।
श्रीकृष्ण केवल एक अवतारी पुरुष ही नहीं, बल्कि योगेश्वर, राजनीतिक द्रष्टा, और भागवत धर्म के प्रवर्तक भी हैं।
मन की चंचलता को नियंत्रित करने के लिए श्रीकृष्ण का स्मरण अत्यंत प्रभावी है। श्रीमद भगवद्गीता का पाठ इस दिन करने से ध्यान और विवेक की शक्ति जाग्रत होती है! इस दिन किया गया संकल्प विशेष फलदायी होता है, जैसे संतान सुख, धन वृद्धि, विवाह में सफलता आदि।
वर्ष 2025 की जन्माष्टमी शांति, भक्ति और साधना के लिए एक उत्तम अवसर है। जो व्यक्ति इस दिन सच्चे मन से व्रत, पूजा और श्रीकृष्ण के नाम का स्मरण करता है, उसे जीवन के सभी क्षेत्रों में विजय प्राप्त होती है।
श्रीकृष्ण कहते हैं:
“जो मुझे भजता है, मैं उसके सब कार्यों को सिद्ध करता हूँ।”
जन्माष्टमी 2025 एक अत्यंत शुभ और आध्यात्मिक पर्व के रूप में आ रही है, जिसमें अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र और अमृत सिद्धि योग जैसे विशेष संयोग उपस्थित हैं। यदि आप इस दिन पूर्ण श्रद्धा, निष्ठा और नियमपूर्वक उपवास, पूजा और ध्यान करते हैं तो निश्चित ही भगवान श्रीकृष्ण की कृपा आप पर बनी रहेगी।
*जय श्रीकृष्ण!*