पुखराज धारण करते ही क्या होता है ? जानिए पुखराज कैसे अचानक देता हैं अपार धन और प्रसिद्धि?

 

 

 

 

 

 

 

पुखराज रत्न जिसे अंग्रेज़ी में Yellow Sapphire कहा जाता है, नवग्रहों में सबसे शुभ ग्रह बृहस्पति का रत्न है। यह रत्न अपने धारणकर्ता के जीवन में ज्ञान, समृद्धि, विवाह, संतान सुख और आत्मविश्वास की वृद्धि करता है। ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति सच्चे मन से पुखराज धारण करे और उसकी कुंडली में बृहस्पति शुभ स्थिति में हो, तो जीवन में अद्भुत परिवर्तन आते हैं। आज ओमांश एस्ट्रोलॉजी पुखराज से जुड़ी बेहद अहम जानकारी लेकर प्रस्तुत है, आइए जानते हैं विस्तार से पुखराज धारण करने से क्या होता है, किन लोगों को यह रत्न पहनना चाहिए, और किन्हें नहीं।

 

पुखराज एक कीमती पीले रंग का रत्न है जो मुख्यतः श्रीलंका, थाईलैंड, ब्राज़ील और भारत में पाया जाता है। इसका रंग हल्का पीला से लेकर सुनहरा या नींबू पीला तक हो सकता है। इसे गुरु रत्न कहा जाता है क्योंकि यह ग्रह बृहस्पति की ऊर्जा को धारण करने का माध्यम है।

 

बृहस्पति ज्ञान, धर्म, शिक्षक, गुरू, धन, पुत्र, विवाह और उच्च विचारों का कारक ग्रह है। जब यह ग्रह मजबूत होता है, तो व्यक्ति के जीवन में शिक्षा, सम्मान, भाग्य और वैवाहिक जीवन में सफलता आती है।

 

 

 

#पुखराज धारण करने से होने वाले लाभ;

 

1. भाग्य वृद्धि और समृद्धि

बृहस्पति भाग्य का कारक ग्रह है। जब कोई व्यक्ति पुखराज धारण करता है, तो उसके जीवन में अचानक भाग्य वृद्धि, आर्थिक स्थिरता और सफलता के अवसर बढ़ते हैं। व्यापार में लाभ और नौकरी में प्रमोशन मिलने की संभावनाएँ भी बढ़ती हैं।

 

2. शिक्षा और ज्ञान में वृद्धि

विद्यार्थियों, शिक्षकों, लेखकों और बुद्धिजीवियों के लिए पुखराज अत्यंत शुभ माना गया है। यह स्मरण शक्ति, ध्यान, और समझने की क्षमता को बढ़ाता है। जो लोग प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें यह रत्न विशेष लाभ देता है।

 

3. विवाह और संतान सुख

जिन लोगों की कुंडली में विवाह में देरी होती है या संतान प्राप्ति में बाधा आती है, उनके लिए पुखराज एक शुभ उपाय है।

कन्या या कुंभ लग्न की स्त्रियों के लिए यह विशेष रूप से लाभदायक माना गया है, क्योंकि यह उन्हें वैवाहिक सुख और समझदार जीवनसाथी दिलाने में सहायक होता है।

 

4. आध्यात्मिक और मानसिक शांति

पुखराज पहनने से व्यक्ति के विचार शांत होते हैं। बृहस्पति ज्ञान और अध्यात्म का प्रतीक ग्रह है, इसलिए यह रत्न मन की अशांति, नकारात्मक विचारों और भय को दूर करता है।

यह ध्यान, साधना और आध्यात्मिक अभ्यासों में भी सहायता करता है।

 

5. आकस्मिक धन और व्यावसायिक लाभ

अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति धन भाव (2nd house) या लाभ भाव (11th house) में शुभ स्थिति में हो, तो पुखराज पहनने से व्यवसाय में वृद्धि, प्रतिष्ठा और सम्मान मिलता है। व्यक्ति की लगातार धन वृद्धि होती हैं! यह रत्न व्यक्ति को सही निर्णय लेने में मदद करता है जिससे आर्थिक स्थिति में स्थिरता आती है।

 

6. स्वास्थ्य लाभ

बृहस्पति शरीर में लीवर, मोटापा, मधुमेह, गैस्ट्रिक और पाचन तंत्र को नियंत्रित करता है।

पुखराज धारण करने से इन समस्याओं से राहत मिलती है। साथ ही यह मानसिक तनाव, थकान और अवसाद को भी कम करता है!

 

 

#पुखराज किसे पहनना चाहिए:

पुखराज रत्न उन जातकों के लिए शुभ होता है जिनकी कुंडली में बृहस्पति शुभ स्थिति में हो या जिनकी राशि या लग्न निम्न में से एक हो:

1.धनु (Sagittarius)

2.मीन (Pisces)

3.कर्क (Cancer)

4.सिंह (Leo)

5.मेष (Aries)

 

इन राशियों के जातकों को यह रत्न भाग्य वृद्धि, उन्नति और मानसिक शांति प्रदान करता है।

 

 

❌पुखराज किसे नहीं पहनना चाहिए:

अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति:

शत्रु ग्रहों जैसे शुक्र, बुध या राहु से पीड़ित है

या 8वें या 12वें भाव में नीच स्थिति में है

तो पुखराज पहनना नुकसानदेह हो सकता है।

 

मिथुन, तुला, मकर और वृश्चिक राशि वालों को यह रत्न सामान्यतः नहीं पहनना चाहिए जब तक कि कोई अनुभवी ज्योतिषी विशेष रूप से सलाह न दे।

 

**पुखराज पहनने की विधि और शुभ दिन;

पुखराज धारण करने का सबसे शुभ दिन है गुरुवार (Thursday)।

इसे शुक्ल पक्ष के गुरुवार, खासकर पुष्य, विशाखा या पुनर्वसु नक्षत्र में धारण करना श्रेष्ठ होता है।

 

**शुभ मुहूर्त;

गुरुवार को सुबह 6 बजे से 8 बजे के बीच का समय सबसे उत्तम माना गया है।

 

शुद्धिकरण विधि

रत्न पहनने से पहले उसे गंगाजल, कच्चे दूध, शहद, और तुलसी पत्तियों के मिश्रण में डुबोकर शुद्ध करें।

फिर बृहस्पति देव का ध्यान करते हुए इस मंत्र का जाप करें:

 

> “ॐ ब्रह्म बृहस्पतये नमः”

(Om Brim Brihaspataye Namah)

 

108 बार जप के बाद पुखराज को सोने की अंगूठी में तर्जनी उंगली (Index finger) में धारण करें।

 

**पुखराज की शुद्धता कैसे पहचानें?

 

असली पुखराज की पहचान करना बहुत जरूरी है। बाजार में नकली या हीटेड पुखराज बहुत मिलते हैं।

 

असली पुखराज में दरार या धुंधलापन नहीं होता। यह ठंडा स्पर्श देता है।

 

सूरज की रोशनी में इसका रंग हल्का सुनहरा दिखाई देता है। नकली पुखराज पहनने से गुरु की कृपा नहीं मिलती और कभी-कभी विपरीत प्रभाव भी हो सकता है।

 

** पुखराज के ज्योतिषीय परिणाम कब दिखते हैं?

यदि रत्न असली है और सही विधि से धारण किया गया है, तो इसके प्रभाव लगभग 30 से 45 दिनों में दिखने लगते हैं।

3 से 6 महीने में व्यक्ति के जीवन में आर्थिक, मानसिक और पारिवारिक परिवर्तन स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगते हैं।

 

पुखराज धारण करने के बाद सावधानियाँ:

1. पुखराज को कभी भी उतारकर किसी और को न दें।

 

2. इसे तेल, साबुन या रासायनिक पदार्थों से दूर रखें।

 

3. यदि रत्न में दरार या फीका रंग आ जाए, तो उसे तुरंत बदल दें।

 

4. गुरुवार को ही इसे साफ करें और बृहस्पति देव को हल्दी और पीले फूल चढ़ाए!

 

पुखराज धारण करना केवल एक रत्न पहनना नहीं, बल्कि गुरु बृहस्पति की दिव्य ऊर्जा को जीवन में आमंत्रित करना है।

यह व्यक्ति को न केवल धन, ज्ञान और प्रतिष्ठा देता है, बल्कि जीवन में स्थिरता, शांति और आत्मविश्वास भी प्रदान करता है।

 

परंतु याद रखें , हर व्यक्ति की कुंडली अलग होती है।

इसलिए पुखराज धारण करने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषाचार्य से परामर्श अवश्य लें। सही सलाह और सच्चा रत्न ही आपके भाग्य को वास्तव में बदल सकता है।

 

 

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