rahu

कुंडली के अष्टम भाव में राहु का फल? कितना शुभ कितना अशुभ

ज्योतिष शास्त्र में राहु को एक छाया ग्रह माना जाता है, जिसका प्रभाव रहस्यमयी और अप्रत्याशित होता है। कुंडली के अष्टम भाव में राहु की स्थिति व्यक्ति के जीवन में गहरे प्रभाव डालती है। यह स्थान आयु, गूढ़ विज्ञान, गुप्त धन, शोध, आकस्मिक लाभ-हानि, आध्यात्मिकता, जीवन-मृत्यु के रहस्यों और परिवर्तन का प्रतिनिधित्व करता है। आज ओमांश एस्ट्रोलॉजी अपने इस लेख में राहु का कुंडली के अष्टम भाव में क्या फल मिलता लेकर प्रस्तुत है| अष्टम भाव को दुख, संकट और अनिश्चितताओं का भाव भी कहा जाता है, अतः इसमें राहु का प्रभाव विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है।

अष्टम भाव में राहु का सामान्य प्रभाव:

अष्टम भाव में राहु व्यक्ति को रहस्यमयी, खोजी, जिज्ञासु और असाधारण बनाता है। ऐसा जातक किसी भी विषय की गहराई में जाने की क्षमता रखता है और उसमें विशेषज्ञता हासिल कर सकता है। यह स्थिति जातक के जीवन में अचानक बदलाव, अप्रत्याशित घटनाएं और जोखिम भरे अनुभव लेकर आ सकती है। राहु यहाँ रहकर व्यक्ति को गूढ़ और रहस्यमयी विषयों में रुचि रखने वाला बना सकता है, जैसे कि तंत्र-मंत्र, गुप्त विद्याएँ, ज्योतिष, मनोविज्ञान, अनुसंधान कार्य और खुफिया सेवाएँ।

हालांकि, यदि राहु अशुभ प्रभाव में हो तो यह व्यक्ति को मानसिक तनाव, अनावश्यक भय, अस्थिरता और गलत निर्णय लेने की प्रवृत्ति दे सकता है। राहु की इस स्थिति में जातक को अचानक धन की प्राप्ति हो सकती है, लेकिन यह स्थायी नहीं रहता और उतनी ही तेजी से समाप्त भी हो सकता है।

अष्टम भाव में राहु के सकारात्मक प्रभाव:

अनुसंधान और गहराई से सोचने की क्षमता होती हैं| यह स्थिति व्यक्ति को वैज्ञानिक सोच और खोजी प्रवृत्ति प्रदान करती है। जातक किसी भी विषय पर गहन शोध करने और उसमें विशेषज्ञता हासिल करने में सक्षम होता है। गुप्त धन और विरासत में लाभ प्राप्त होने की संभावना होती हैं राहु इस भाव में हो तो जातक को अचानक धन लाभ, गुप्त संपत्ति या पैतृक संपत्ति से लाभ मिलने की संभावना होती है। अतुलनीय दृढ़ता और जोखिम उठाने की क्षमता होती हैं|ऐसा व्यक्ति अपने लक्ष्य को पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है और बड़े जोखिम लेने की हिम्मत रखता है। गूढ़ और आध्यात्मिक विषयों में रुचि| राहु यहाँ व्यक्ति को गुप्त विद्याओं, तंत्र-मंत्र, ज्योतिष, मनोविज्ञान और परामनोविज्ञान में रुचि रखने वाला बना सकता है। राजनीति और खुफिया कार्यों में सफलता | यदि कुंडली में अन्य ग्रहों का सहयोग मिले तो राहु व्यक्ति को राजनीति, गुप्तचर सेवाओं, अनुसंधान, जासूसी या गुप्त एजेंसियों में सफलता दिला सकता है।

अष्टम भाव में राहु के नकारात्मक प्रभाव:

अचानक दुर्घटनाएँ और स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन होती है| यह स्थिति जातक के जीवन में अचानक दुर्घटनाओं, ऑपरेशन, गंभीर बीमारियों और मानसिक तनाव को जन्म दे सकती है। धोखा और विश्वासघात मिलता है| ऐसा व्यक्ति कई बार दूसरों को धोखा दे सकता है या स्वयं धोखा खा सकता है। आयु में कमी या जीवन में संकट जैसी स्थिति बन जाती हैं| यदि राहु अशुभ प्रभाव में हो तो यह जातक की आयु को प्रभावित कर सकता है और गंभीर जीवन संकट उत्पन्न कर सकता है। अचानक धन हानि कराता है| राहु यहाँ जातक को अचानक धन लाभ तो दे सकता है, लेकिन उतनी ही तेजी से उसे खो भी सकता है। मानसिक तनाव और भय रहता है| राहु की इस स्थिति में जातक के मन में अनावश्यक भय, चिंता और अवसाद की भावना उत्पन्न हो सकती है।

राहु की महादशा और अंतर्दशा में प्रभाव

यदि किसी जातक की कुंडली में राहु अष्टम भाव में स्थित हो और उसकी महादशा या अंतर्दशा चल रही हो तो यह प्रभाव अत्यधिक प्रबल हो जाता है। इस दौरान व्यक्ति को अनिश्चितताओं, मानसिक तनाव, रहस्यमयी घटनाओं और अप्रत्याशित लाभ-हानि का सामना करना पड़ सकता है। इस समय उसे अत्यधिक सतर्क रहना चाहिए और कोई भी बड़ा निर्णय सोच-समझकर लेना चाहिए।

राहु के अशुभ प्रभाव को कम करने के उपाय

1. हनुमान चालीसा का पाठ करें| हनुमान जी की भक्ति राहु के दुष्प्रभाव को शांत करने में सहायक होती है।
2. सफेद और नीले रंग का प्रयोग कम करें| राहु के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए काले और नीले रंग से बचना चाहिए।
3. सत्कर्म करें और सच्चाई का मार्ग अपनाएं| राहु मिथ्या, छल और धोखे का कारक है, अतः व्यक्ति को सत्यनिष्ठ और ईमानदार रहना चाहिए।
4. सरसों के तेल का दान करें| शनिवार को सरसों के तेल का दान करने से राहु के अशुभ प्रभाव में कमी आती है।
5. गुरु ग्रह की पूजा करें | बृहस्पति राहु के नकारात्मक प्रभाव को नियंत्रित करने वाला ग्रह है, अतः गुरुवार का व्रत और पीली वस्तुओं का दान शुभ होता है।

6. सिरहाने के नीचे थोड़े जौ रखे और सुबह पक्षियों को डाले|

कुंडली के अष्टम भाव में राहु का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में गहरे और अप्रत्याशित परिवर्तन ला सकता है। यह उसे रहस्यमयी, खोजी और आत्मविश्लेषण में रुचि रखने वाला बनाता है। हालाँकि, यदि राहु अशुभ प्रभाव में हो तो यह मानसिक तनाव, दुर्घटनाएँ, धोखा और अचानक हानि का कारण भी बन सकता है। उचित उपायों और सतर्कता से इसके दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है, जिससे व्यक्ति अपने जीवन को अधिक सकारात्मक और उन्नत बना सकता है।

Related posts:

गंगा दशहरा 2025 में कब है? तिथि, शुभ मुहूर्त और पौराणिक कथा

Sawan 2024 : सावन के पहले दिन दुर्लभ संयोग

Leo Horoscope:"सिंह राशि मासिक राशिफल जून 2025"

शारदीय नवरात्रि 2024 तिथि: कौन सा उपाय करने से देवी प्रसन्न होती है, जानिए

शनिवार का उपाय , सोया हुआ भाग्य जागता है, अचानक धन प्राप्ति के अचूक उपाय

Mesh Rashifal june: मेष मासिक राशिफल जून 2025 कैसा रहेगा?

होली 2025 कब है: जाने सही तिथि, कौन सी 3 राशियां होंगी भाग्यशाली

Machhmani ke fayde : मच्छमणि के हैरान करने वाले फायदे| दुर्लभ मच्छमणि धारण करते ही असर

गुरु चांडाल योग: गुरु राहु का संयोजन , जाने कारण और उपाय

मेष और वृश्चिक राशि के बीच क्यों होती है तकरार? अनसुना रहस्य

Ashadh Gupt Navratri 2024: गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की पूजा से मिलेंगे चमत्का...

शनि कमज़ोर होने के लक्षण और शनि के उपाय