शिव का ध्यान करते हुए बोले ये 5 मंत्र! वर्षों की दरिद्रता असफलता होगी दूर! 

 

 

 

भगवान शिव जिन्हें महादेव, भोलेनाथ, त्रिपुरारी और नीलकंठ के नाम से जाना जाता है ,वे देव हैं जो साधारण से साधारण व्यक्ति का भाग्य बदलने की शक्ति रखते हैं। उनके मंत्र केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि ज्योतिषीय रूप से भी अत्यंत प्रभावशाली माने जाते हैं। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों का प्रभाव अशुभ हो, राहु-केतु बाधाएँ दें, या भाग्य सोया हुआ प्रतीत हो, तब शिव मंत्रों का जाप शुभ योगों को जाग्रत कर देता है। आज ओमांश एस्ट्रोलॉजी भगवान शिव के 5 महा मंत्र के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जिनको करने मात्र से जीवन के समस्त संकट गरीबी दूर होती हैं साथ ही सोया हुआ भाग्य जागता है!

 

ज्योतिष के अनुसार, शिव सूर्य, चंद्र और शनि तीनों ग्रहों से गहराई से जुड़े हैं। शिव की कृपा से ये ग्रह संतुलित होते हैं और व्यक्ति का भाग्य पुनः सक्रिय होने लगता है। आइए जानते हैं वे 5 शिव मंत्र, जिनके नियमित जाप से सोया हुआ भाग्य भी चमक उठता है।

 

 

🕉️ 1. महामृत्युंजय मंत्र – जीवन और भाग्य का पुनर्जन्म

मंत्र:

> “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥”

अर्थ:

हम तीन नेत्रों वाले भगवान शिव की उपासना करते हैं, जो हमें जीवन, स्वास्थ्य और समृद्धि प्रदान करते हैं। जैसे पका हुआ फल डंठल से अलग हो जाता है, वैसे ही हमें मृत्यु और दुखों के बंधन से मुक्त करें।

ज्योतिषीय प्रभाव:

यह मंत्र आयु, स्वास्थ्य और मानसिक स्थिरता बढ़ाता है।

आठवें भाव में ग्रहदोष, शनि या राहु की पीड़ा को शांत करता है।

जो लोग बार-बार असफलता, बीमारी या मानसिक तनाव झेलते हैं, उन्हें प्रतिदिन 108 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए।

कब और कैसे करें:

प्रातःकाल स्नान के बाद रुद्राक्ष माला से 108 बार मंत्र का जाप करें। सोमवारी व्रत या प्रदोष तिथि पर इसका विशेष फल मिलता है।

 

 

🕉️ 2. पंचाक्षरी मंत्र – “ॐ नमः शिवाय”

मंत्र:

> “ॐ नमः शिवाय”

अर्थ:

#शिव को मै नमन करता/करती हूँ, जो सृष्टि, स्थिति और संहार के स्वामी हैं।

ज्योतिषीय महत्व:

यह शुद्धिकरण और आत्मिक शक्ति का मंत्र है।

कुंडली में यदि भाग्य स्थान (9वां भाव) कमजोर हो या गुरु दोष दे रहा हो, तो यह मंत्र उस सोए हुए भाग्य को पुनर्जीवित करता है।

मन को शांति, निर्णय शक्ति और आत्मविश्वास प्रदान करता है।

जाप विधि:

शाम के समय दीपक जलाकर, शिवलिंग पर जल अर्पित करें और 108 बार “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का उच्चारण करें।

यह मंत्र कर्मफल को संतुलित कर व्यक्ति को आगे बढ़ने की शक्ति देता है।

 

 

🕉️ 3. रुद्र गायत्री मंत्र – ब्रह्मांडीय ऊर्जा को जगाने वाला

मंत्र:

> “ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि।

तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥”

 

अर्थ:

हम परमपुरुष महादेव का ध्यान करते हैं, वे रुद्र देव हमें सच्चे मार्ग पर प्रेरित करें।

ज्योतिषीय रहस्य:

यह मंत्र सूर्य और मंगल ग्रह को संतुलित करता है।

आत्मविश्वास, इच्छाशक्ति और निर्णय लेने की क्षमता को मजबूत करता है।

यदि व्यक्ति का भाग्य लगातार प्रतिकूल हो और मेहनत का फल न मिल रहा हो, तो यह मंत्र अद्भुत चमत्कार करता है।

 

उपयोग विधि:

सुबह सूर्य उदय के समय पूर्व दिशा की ओर मुख कर 21 या 108 बार जाप करें।

प्रत्येक रविवार या मासिक शिवरात्रि को इसका विशेष प्रभाव होता है।

 

🕉️ 4. शिव ध्याय मंत्र – धन, यश और प्रतिष्ठा के लिए मंत्र

 

> “करचरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वा,

श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम्।

विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व,

जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शंभो॥”

 

अर्थ:

हे महादेव, जो भी पाप मेरे हाथ, पैर, वाणी, मन या इंद्रियों से हुआ हो, उसे क्षमा करें। हे करुणामय शिव, मुझे आशीर्वाद दें।

ज्योतिषीय दृष्टि से:

जब किसी व्यक्ति की कुंडली में कर्म भाव (10वां भाव) या लाभ भाव (11वां भाव) कमजोर हो, तब यह मंत्र चमत्कारिक प्रभाव देता है।

व्यक्ति को धन, यश, प्रतिष्ठा और स्थायी सफलता दिलाता है।

मानसिक तनाव, भय और असुरक्षा की भावना को मिटाता है।

 

जाप विधि:

रात्रि में सोने से पहले 11 बार मंत्र का जाप करें। इससे मन की शुद्धि होती है और शनि दोष में राहत मिलती है।

 

 

🕉️ 5. शिव शांति मंत्र – ग्रहों के अशुभ प्रभाव को शांत करने वाला मंत्र:

> “ॐ नमो भगवते रुद्राय, नमस्ते अस्तु भगवन् विश्वेश्वराय,

महादेवाय त्र्यंबकाय त्रिपुरांतकाय त्रिकाग्निकालाय,

कालाग्निरुद्राय नीलकण्ठाय मृत्युंजयाय॥”

अर्थ:

हे विश्वेश्वर, महादेव, त्रयंबक, त्रिपुरांतक, नीलकंठ — आप मुझे हर संकट, रोग और शत्रु से मुक्त करें।

ज्योतिषीय प्रभाव:

यह मंत्र विशेष रूप से राहु-केतु, शनि और चंद्र दोषों को शांत करता है।

व्यक्ति के जीवन में शांति, संतुलन और स्थिरता लाता है।

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रह बार-बार जीवन को उलझा रहे हों, तो इस मंत्र से ग्रहों की स्थिति सुधरने लगती है।

कब करें:

प्रदोष व्रत, शिवरात्रि या सोमवार के दिन इस मंत्र का जाप जल, बेलपत्र और दूध अर्पित करते हुए करें।

**ज्योतिषीय दृष्टि से शिव मंत्रों का प्रभाव;

1. चंद्र दोष शमन: शिव चंद्रदेव के अधिपति हैं। जो लोग भावनात्मक या मानसिक अस्थिरता झेल रहे हों, उन्हें “ॐ नमः शिवाय” या “रुद्र गायत्री मंत्र” का जाप करना चाहिए।

 

2. शनि संतुलन: शिव ही शनि के गुरु हैं। “शिव शांति मंत्र” और “महामृत्युंजय मंत्र” शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या में अत्यंत शुभ फल देते हैं।

 

3. राहु-केतु दोष: यदि कुंडली में राहु-केतु भ्रम, अवसाद या विघ्न पैदा कर रहे हों, तो रुद्राभिषेक और शिव जप से उनकी नकारात्मकता कम होती है।

 

4. भाग्य जागरण: जब नवम भाव कमजोर हो, तो शिव साधना से गुरु और सूर्य ग्रह मजबूत होते हैं, जिससे व्यक्ति का भाग्य पुनः जागृत होता है।

 

** विशेष ज्योतिषीय उपाय

सोमवार को रुद्राक्ष धारण करें (5 मुखी या 11 मुखी)।

शिवलिंग पर कच्चा दूध, शहद और जल अर्पित करें।

हर अमावस्या या प्रदोष व्रत पर “ॐ नमः शिवाय” का 1008 बार जाप करें।

शिव पंचाक्षरी मंत्र का जाप करते समय मन में अपने लक्ष्य को ध्यान में रखें। इससे आपकी कुंडली के शुभ योग सक्रिय हो जाते हैं।

 

भगवान शिव के ये पाँच प्रिय मंत्र केवल भक्ति नहीं, बल्कि ज्योतिषीय रूप से भाग्य परिवर्तन के सूत्र हैं। जब व्यक्ति सच्चे मन से इनका जाप करता है, तो ग्रहों की स्थिति सुधरती है, कर्म फल संतुलित होता है और सोया हुआ भाग्य जग उठता है।

 

शिव भक्ति का अर्थ है , स्वयं को कर्म, भक्ति और सत्य

के मार्ग पर लाना।

जब मन, वाणी और कर्म शुद्ध होते हैं, तो भाग्य स्वयं जागृत होता है, क्योंकि शिव स्वयं “भाग्य विधाता” हैं।

 

**समाप्ति मंत्र:

 

“हर हर महादेव!

ॐ नमः शिवाय।”

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