सूर्य को जल चढ़ाते समय भूलकर भी न करें ये गलतियां ? कहीं छिन ना जाए मान सम्मान और चेहरे की चमक!

 

 

 

 

 

 

 

हिंदू धर्म और ज्योतिष में सूर्यदेव को अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है! सूर्य न केवल जीवनदाता हैं, बल्कि आत्मा, तेज, स्वास्थ्य, मान-सम्मान और सरकारी कार्यों के कारक भी माने जाते हैं! प्रातःकाल सूर्य को अर्घ्य (जल) देना एक पवित्र और शुभ क्रिया है, जिससे न केवल मानसिक और शारीरिक शुद्धता मिलती है बल्कि ग्रहों की स्थिति में भी सकारात्मक परिवर्तन संभव होता है!

 

लेकिन बहुत बार लोग सूर्य को जल चढ़ाते समय कुछ ऐसी सामान्य गलतियां कर बैठते हैं जिनके कारण लाभ की बजाय अनजाने में दोष लग जाता है! आज ओमांश एस्ट्रोलॉजी अपने इस लेख में हम विस्तार से बताने जा रहे है कि सूर्य को जल चढ़ाते समय किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए और किन गलतियों से बचना चाहिए!

 

सूर्य को जल चढ़ाना एक शक्तिशाली प्रक्रिया है! यह केवल एक धार्मिक कर्तव्य नहीं बल्कि हमारे जीवन में ऊर्जा, आत्मबल और सौभाग्य का स्रोत बन सकता है, यदि इसे श्रद्धा, शुद्धता और सही विधि से किया जाए!

गलत तरीकों से किया गया अर्घ्य सूर्य की कृपा की जगह अप्रसन्नता भी ला सकता है! आपके चेहरे का तेज छीन सकता है! आपके मान सम्मान में कमी होती हैं जब आप गलत तरीके से सूर्य को जल चढ़ाते है, क्योंकि धरती पर सूर्य और चंद्रमा प्रत्यक्ष देवता है,अतः उपरोक्त बताए गए सभी बिंदुओं का ध्यान रखकर ही प्रतिदिन सूर्य को जल चढ़ाएं और अपना जीवन तेजस्वी बनाएं! तो आइए जानते हैं कि कौन सी सावधानी बरते और जल चढ़ाने का सही तरीका क्या है?

 

 

🌞 #सूर्य को जल चढ़ाने का महत्व;

 

सूर्य देव नवग्रहों में राजा माने जाते हैं!आत्मबल, नेतृत्व, प्रशासनिक योग्यता, नेत्र स्वास्थ्य और सरकारी संबंधों पर सूर्य का प्रभाव होता है! सूर्य को जल देने से पित्त दोष संतुलित होता है और मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है! यह सूर्य ग्रह के दोषों को दूर करने का प्रभावी उपाय माना गया है, विशेषकर तब जब जन्म कुंडली में सूर्य नीच राशि, द्वादश भाव, षष्ठ भाव या अष्टम भाव में हो!

 

 

🌅 सूर्य को जल चढ़ाने का श्रेष्ठ समय;

 

ब्राह्म मुहूर्त से लेकर सूर्योदय तक का समय सर्वोत्तम होता है!

 

सूर्य की प्रथम किरणें जब धरती पर पड़ती हैं, तब उन्हें अर्घ्य देना विशेष शुभ फल देता है!

 

शास्त्रों के अनुसार, इस समय की गई उपासना दोगुना फल देती है क्योंकि वातावरण सकारात्मक ऊर्जा से भरा होता है!

 

 

 

❌ सूर्य को जल चढ़ाते समय की जाने वाली आम गलतियां;

 

1. गंदे पाँव से या बिना स्नान किए जल चढ़ाना;

 

कई लोग बिना स्नान किए, गंदे कपड़ों में पांव सड़क पर खड़े होकर जल चढ़ाते हैं, जो अशुद्धि का संकेत है! इसके विपरीत परिणाम आपको मिल सकते हैं!

 

*सही तरीका: पहले स्नान करें, साफ वस्त्र पहनें, और पवित्र भाव से सूर्य को अर्घ्य दें। यदि संभव हो तो पूर्व दिशा की ओर मुख करके ही जल चढ़ाएं।

 

 

2. लोहे या एल्युमिनियम के पात्र का उपयोग;

 

ज्योतिष के अनुसार सूर्य अग्नि तत्व का ग्रह है और धातुओं से संवेदनशीलता रखता है!

 

गलती: लोहे, स्टील या एल्युमिनियम के बर्तन से जल चढ़ाना वर्जित है!

 

*सही उपाय: तांबे के लोटे से ही जल अर्पित करें! तांबा सूर्य का धातु है और यह सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है!

 

 

3. खाली जल से अर्घ्य देना;

 

*सही सामग्री: ताजे जल में लाल चंदन, रोली, अक्षत (साफ और टूटे हुए चावल नहीं), गुड़ या लाल फूल मिलाए जा सकते हैं!

 

 

4. जल अर्पण करते समय पैर या शरीर पर जल गिरना;

 

जल चढ़ाते समय जल यदि पैरों पर गिरता है या व्यक्ति उसका अपमान करता है, तो यह सूर्य का अनादर माना जाता है!

 

सावधानी: दोनों हाथ जोड़कर ऊंचाई से जल धीरे-धीरे अर्पित करें ताकि वह सूर्य की किरणों से होकर धरती पर गिरे! या फिर आप किसी गमले को नीचे रख कर अर्घ्य दें , इसे “सूर्य रश्मियों से अर्घ्य देना” कहा गया है!

 

 

5. सूर्य को सीधे आंखों से देर तक देखना; सूरज की सीधी किरणें आंखों को नुकसान पहुंचा सकती हैं!

 

सावधानी: जल की धार के बीच से सूर्य के दर्शन करें! जल की धार प्रकाश को नरम करती है और आंखों पर सकारात्मक प्रभाव डालती है!

 

 

6. सूर्य को जल चढ़ाते समय मन का अशांत या अपवित्र होना!

 

*अगर मन में गुस्सा, तनाव, या गलत विचार हों तो अर्घ्य का प्रभाव कम हो जाता है!

 

*सुझाव: अर्घ्य देने से पहले कुछ देर ध्यान करें! “ॐ सूर्याय नमः” या “ॐ घृणि: सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें!

 

 

7. सूर्य को अर्घ्य देने के बाद 4 कदम तक सूर्य की तरफ पीठ न करे, सूर्य की तरफ मुंह करके धीरे धीरे मुड़े !

 

 

8. कुंडली में सूर्य नीच का हो और गलत दिशा में अर्घ्य देना;

 

अगर सूर्य कुंडली में नीच का या पीड़ित हो तो विशेष उपाय के साथ ही अर्घ्य दें!

 

दिशा का ध्यान: पूर्व दिशा में ही मुख करके जल अर्पण करना सर्वोत्तम है! उत्तर या दक्षिण दिशा में कभी जल न चढ़ाएं!

 

 

9.रविवार को सूर्य को जल देना श्रेष्ठ माना जाता है, लेकिन प्रतिदिन भी जल चढ़ा सकते हैं!

 

✅ सूर्य को जल चढ़ाने के ज्योतिषीय लाभ;

 

1. सरकारी कार्यों में सफलता मिलती है!

 

2. नेत्र रोगों में लाभ होता है!

 

3. पिता से संबंध बेहतर होते हैं!

 

4. आत्मबल और आत्मविश्वास बढ़ता है!

 

5. जन्मपत्रिका में सूर्य के दोष कम होते हैं!

 

6. राजयोग सक्रिय होने की संभावना बढ़ती है!

 

🌟सूर्य के विशेष मंत्र और स्तुति;

 

*मूल मंत्र:

**ॐ घृणि: सूर्याय नमः**

(यह अर्घ्य देते समय 3 या 7 बार बोलें)

 

#आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना;

यदि सूर्य कमजोर है या स्वास्थ्य कमजोर हो तो रविवार के दिन इस स्तोत्र का पाठ अवश्य करें!

 

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