राहु–केतु के अशुभ प्रभाव दूर करता हैं तुलसी का एक पत्ता! तुलसी का पत्ता क्यों है इतना असरदार? ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को छाया ग्रह कहा गया है। ये दोनों ग्रह दिखाई तो नहीं देते, परंतु जन्मकुंडली में इनका प्रभाव अत्यंत गहरा होता है। राहु व्यक्ति को मायाजाल, भटकाव, मानसिक…
Read Moreकेतु का कुंडली के सप्तम भाव में फल? केतु अगर सातवें भाव में हो… भारतीय वैदिक ज्योतिष में सातवां भाव (सप्तम भाव) विवाह, जीवनसाथी, साझेदारी, प्रेम, और जनसंपर्क का प्रतिनिधित्व करता है। इस भाव से जातक के वैवाहिक जीवन की गुणवत्ता, वैवाहिक सुख, जीवनसाथी का स्वभाव, व्यापारिक साझेदारियाँ, और सार्वजनिक संबंधों का आकलन किया…
Read Moreकुंडली के आठवें घर में राहु का फल! जुआ,सट्टे, या काला जादू…. वेदिक ज्योतिष में राहु एक छाया ग्रह है, जिसे नकारात्मक प्रभावों का वाहक माना जाता है। यह ग्रह भौतिक इच्छाओं, माया, छल, भ्रम, और विदेशी तत्वों से जुड़ा होता है। कुंडली के विभिन्न भावों में राहु की स्थिति अलग-अलग प्रकार के प्रभाव…
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