Vastu dosh: कैसे जाने कि घर में वास्तु दोष है ? जानिए ज्योतिष और वास्तु के अनुसार संकेत और समाधान!

 

 

 

 

घर केवल दीवारों का ढांचा नहीं होता, बल्कि यह हमारे जीवन की ऊर्जा, स्वास्थ्य, समृद्धि और मानसिक शांति का आधार होता है। जब घर का वास्तु संतुलित रहता है तो जीवन में सकारात्मकता, धन, स्वास्थ्य और रिश्तों में स्थिरता आती है। वहीं, यदि घर में वास्तु दोष (Vastu Dosh) हो, तो जीवन में अनचाहे तनाव, बीमारियाँ, आर्थिक नुकसान और मानसिक अशांति बढ़ने लगती है।

ओमांश एस्ट्रोलॉजी घर में हुए वास्तु दोष होने पर क्या संकेत मिलते हैं, इससे जुड़ी अहम जानकारी लेकर प्रस्तुत है, आइए जानते हैं ज्योतिष और वास्तु के अनुसार कैसे पहचानें कि आपके घर में वास्तु दोष है, और इसके सरल उपाय क्या हैं।

 

 

घर में वास्तु दोष क्या होता है?

वास्तु दोष का अर्थ है , घर या भवन के निर्माण, दिशा या ऊर्जा प्रवाह में असंतुलन। हर दिशा का एक विशेष ग्रह और ऊर्जा तत्व से संबंध होता है!

पूर्व दिशा (East) — सूर्य (सफलता और स्वास्थ्य)

पश्चिम दिशा (West) — शनि (धैर्य, स्थिरता)

उत्तर दिशा (North) — कुबेर (धन और समृद्धि)

दक्षिण दिशा (South) — मंगल (शक्ति और साहस)

 

जब इन दिशाओं में गलत निर्माण, भारी वस्तुएँ, या अनुचित उपयोग होता है तो वहाँ की ग्रह ऊर्जा बाधित होती है, यही वास्तु दोष कहलाता है। ज्योतिष में घर की स्थिति, ग्रहों की दशा और भावों से भी पता चलता है कि व्यक्ति के जीवन में वास्तु से जुड़ी समस्याएँ हैं या नहीं

मुख्य संकेत इस प्रकार हैं:

 

*लगातार धन की हानि या रुकावट — कुबेर दिशा (उत्तर) में दोष या बृहस्पति की कुंडली में कमजोरी।

*परिवार में कलह और तनाव — दक्षिण-पूर्व (अग्नि कोण) में दोष या मंगल-शुक्र का असंतुलन।

*बच्चों की शिक्षा में अड़चन — उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) का दोष या गुरु ग्रह की पीड़ा।

*स्वास्थ्य समस्याएँ — दक्षिण-पश्चिम दिशा में बाथरूम, सीढ़ियाँ या टैंक होने से।

*अचानक दुर्घटनाएँ या कानूनी मामले , राहु या केतु का प्रभाव वास्तु दोष को बढ़ाता है।

 

**घर में वास्तु दोष के सामान्य लक्षण;

अगर आप इन संकेतों को महसूस कर रहे हैं, तो संभव है कि घर में वास्तु दोष मौजूद हो:

1. घर में अचानक बार-बार बीमारियाँ होना।

2. पैसे आने के बावजूद खर्च बढ़ जाना या सेविंग न हो पाना।

3. रिश्तों में गलतफहमियाँ और झगड़े बढ़ना।

4. घर में पौधे सूख जाना या पालतू जानवर का अस्वस्थ होना।

5. बच्चों का पढ़ाई में ध्यान न लगना।

6. घर में बार-बार चीज़ों का टूटना या इलेक्ट्रॉनिक सामान खराब होना।

7. मन का अशांत रहना, नींद न आना, या नकारात्मक सपने आना।

8. मकान बनने के बाद भी कामों का अधूरा रह जाना या अड़चनें आना।

 

कौन सी दिशा में क्या दोष सबसे हानिकारक होता है?

पूर्व (East)- सूर्य-

बंद खिड़की या दीवार के होने से आत्मविश्वास की कमी, प्रतिष्ठा में गिरावट

 

पश्चिम (West)- शनि-

खुला या खाली स्थान विलंब, करियर में रुकावट

 

उत्तर (North)- कुबेर –

भारी वस्तुएँ या दीवार धन की हानि, आर्थिक अस्थिरता

 

 

दक्षिण (South) मंगल-

खुला या नीचा स्थान दुर्घटना, तनाव, बेचैनी

 

ईशान (North-East) बृहस्पति-

टॉयलेट या रसोईघर स्वास्थ्य, शिक्षा और आध्यात्मिकता में बाधा

 

नैऋत्य (South-West) राहु-

खुला कोना या पानी का स्रोत रिश्तों में अविश्वास, चिंता

 

अग्नि कोण (South-East) शुक्र-

पानी या पूजा घर कलह, विवाहिक तनाव

 

वायव्य कोण (North-West) चंद्र-

भारी वस्तुएँ या बंद स्थान मानसिक बेचैनी, नींद की कमी

 

🪔 5. वास्तु दोष दूर करने के आसान उपाय (Practical Remedies)

1. उत्तर दिशा में जल तत्व रखें — जैसे फव्वारा, एक्वेरियम या जल पात्र, धन वृद्धि में सहायक होगा।

 

2. ईशान कोण (North-East) हमेशा साफ और हल्का रखें, यहाँ पूजा घर सबसे शुभ माना गया है।

 

3. मुख्य द्वार (Entrance) पर स्वस्तिक, ॐ या मंगल चिन्ह लगाएं — नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं करती।

 

4. नैऋत्य दिशा में भारी वस्तुएँ जैसे अलमारी या तिजोरी रखें — स्थिरता बढ़ती है।

 

5. रसोईघर में गैस और पानी का नल एकदम पास न रखें — अग्नि और जल तत्व का टकराव कलह लाता है।

 

6. क्रिस्टल पिरामिड या वास्तु यंत्र घर के केंद्र में रखें — ऊर्जा संतुलन बनाए रखता है।

7. घर में तुलसी का पौधा उत्तर-पूर्व दिशा में लगाएं — सकारात्मक कंपन को बढ़ाता है।

8. दरवाजों की चरमराहट ठीक करें — इससे मानसिक और पारिवारिक तनाव कम होता है।

9. रात में झाड़ू या बर्तन साफ रखें — नकारात्मकता दूर रहती है और लक्ष्मी का वास होता है।

 

**ज्योतिषीय उपाय;

 

यदि वास्तु दोष ग्रहों के कारण बढ़ रहा हो, तो ज्योतिषीय उपाय भी सहायक होते हैं:

*गुरुवार को पीले कपड़े पहनें, बृहस्पति मजबूत होगा और घर की सकारात्मकता बढ़ेगी।

*मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें, दक्षिण दिशा का वास्तु संतुलित होता है।

*शनिवार को शनि मंत्र “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का जाप करें — पश्चिम दिशा के दोष शांत होते हैं।

*कुबेर यंत्र को उत्तर दिशा में स्थापित करें — धन और स्थिरता बढ़ती है।

*घर में रोजाना दीपक जलाएं — विशेषकर संध्या समय, ताकि अग्नि तत्व सक्रिय रहे।

 

वास्तु दोष केवल निर्माण की गलती नहीं है, यह ऊर्जा के असंतुलन का संकेत है।ज्योतिष के अनुसार, ग्रहों की स्थिति और वास्तु दोष एक-दूसरे से गहराई से जुड़े होते हैं।

 

सही दिशा में छोटे-छोटे बदलाव और कुछ ज्योतिषीय उपाय आपके जीवन में अद्भुत सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं। क्योंकि जब घर का वास्तु ठीक होता है, तब जीवन का हर कोना खुशियों से भर जाता है।

 

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