चैत्र नवरात्रि हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जो देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना के लिए मनाया जाता है। इसे वसंत नवरात्रि भी कहा जाता है क्योंकि यह वसंत ऋतु में आता है। चैत्र नवरात्रि 2025 में यह पर्व विशेष ज्योतिषीय महत्व रखता है, क्योंकि इस दौरान ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति देवी उपासना के प्रभाव को और अधिक शुभ बनाती है।
चैत्र नवरात्रि आत्म-शुद्धि, शक्ति साधना और नए संकल्पों के लिए अत्यंत पावन समय है। इस पर्व के दौरान देवी दुर्गा की उपासना से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है। पूजा विधि और ज्योतिषीय उपायों को सही तरीके से अपनाने से साधक को मनचाहा फल प्राप्त होता है। आज ओमांश एस्ट्रोलॉजी चैत्र नवरात्रि की पूजा विधि, तिथि, और राशि अनुसार जाने अचूक उपाय लेकर प्रस्तुत है|
**चैत्र नवरात्रि 2025 के विशेष योग:
2025 में चैत्र नवरात्रि के दौरान अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं, जो शुभ कार्यों के लिए अत्यंत लाभकारी होंगे। विशेष ग्रह योग व्यापार, संपत्ति निवेश और आध्यात्मिक साधना के लिए उत्तम रहेंगे
**चैत्र नवरात्रि 2025 की तिथियां
– *प्रारंभ तिथि (प्रतिपदा):* 30 मार्च 2025 (रविवार) से प्रारंभ होकर समापन 7 अप्रैल 2025 (सोमवार) को होगा|
यह नवरात्रि शक्ति साधना, आत्म-शुद्धि और आत्म-ज्ञान प्राप्त करने का समय है। देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना से साधक को नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति और सकारात्मकता की प्राप्ति होती है।
चैत्र नवरात्रि के दौरान सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है, जिससे नववर्ष की शुरुआत मानी जाती है। इस समय ग्रहों की स्थिति नई योजनाओं के लिए अत्यंत अनुकूल होती है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार, चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नववर्ष की शुरुआत होती है। इसे विक्रम संवत के आरंभ के रूप में भी मनाया जाता है।
*नवरात्रि में पूजन विधि (Navratri Puja Vidhi)*
नवरात्रि के नौ दिन देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। पूजा विधि इस प्रकार है:
*1. घट स्थापना (Kalash Sthapana)*
– शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करें।
– एक मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं।
– उसके ऊपर जल से भरा हुआ कलश रखें, जिसमें आम के पत्ते और नारियल रखा जाता है।
– कलश के पास देवी दुर्गा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
**2. देवी का आह्वान: हाथ में अक्षत, फूल और जल लेकर देवी का आह्वान करें:
“ॐ अम्बे देवि नमः, माँ का आह्वान है। कृपया यहाँ विराजमान हों।”
*3. नवदुर्गा पूजा *
– प्रतिदिन अलग-अलग देवी के स्वरूप की पूजा करें:
1. शैलपुत्री (प्रथम दिन)
2. ब्रह्मचारिणी (द्वितीय दिन)
3. चंद्रघंटा (तृतीय दिन)
4. कूष्मांडा (चतुर्थ दिन)
5. स्कंदमाता (पंचम दिन)
6. कात्यायनी (षष्ठी दिन)
7. कालरात्रि (सप्तमी दिन)
8. महागौरी (अष्टमी दिन)
9. सिद्धिदात्री (नवमी दिन)
– रोज़ाना धूप, दीप, पुष्प और नैवेद्य चढ़ाएं।
** दुर्गा सप्तशती पाठ :
दुर्गा सप्तशती या देवी महात्म्य का पाठ करें। अगर संभव हो तो नवचंडी पाठ भी करवाएं।
** कन्या पूजन:
अष्टमी या नवमी के दिन 9 कन्याओं को आमंत्रित करें,उन्हें भोजन करवाकर दक्षिणा और उपहार दें।
**नवरात्रि के दौरान क्या करें और क्या न करें:
*करें:*
– शुद्ध और सात्विक आहार लें।
– उपवास के दौरान फल, दूध और हल्का आहार ग्रहण करें।
– रोज सुबह और शाम देवी के मंत्रों का जाप करें।
*न करें:*
– तामसिक भोजन जैसे मांस, मदिरा, लहसुन-प्याज का सेवन न करें।
– नकारात्मक विचारों और क्रोध से दूर रहें।
– अनावश्यक झूठ बोलने से बचें।
*चैत्र नवरात्रि के दौरान प्रमुख मंत्र*
1. *दुर्गा मंत्र:*
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” मंत्र रोजाना पढ़े
2. *नवरात्रि बीज मंत्र:*
“ॐ दुं दुर्गायै नमः” मंत्र से पूजा प्रारंभ करे
3. *सप्तश्लोकी दुर्गा:*
*“सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते॥ ये मंत्र करते हुए मां दुर्गा की स्तुति करें
*ग्रहों की स्थिति:* नवरात्रि के दौरान सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है, जिससे नई शुरुआत के लिए यह समय अत्यंत शुभ होता है।
**राशि के अनुसार उपाय:
*मेष से कर्क राशि वालों के लिए शक्ति साधना लाभकारी होती है।
*सिंह से वृश्चिक राशि वालों के लिए वित्तीय समस्याओं से मुक्ति के उपाय किए जा सकते हैं।
**धनु से मीन राशि वालों के लिए आध्यात्मिक साधना अत्यधिक फलदायी होती है।
*जय माता दी!*