राहु किससे डरता है? कौन-से देवता का उपाय इसे करता है शांत ?
राहु हिन्दू ज्योतिष में नवग्रहों में से एक ‘छाया ग्रह’ है। यह शारीरिक ग्रह नहीं, बल्कि चंद्रमा के आरोही नोड (North Lunar Node) का प्रतीक है! समुन्द्र मंथन की कथा अनुसार, जब असुर सवरभानु ने छलपूर्वक अमृत पिया, तो भगवान विष्णु ने उसका सिर काट दिया! अमृत के प्रभाव से सिर अमर हो गया और उसे राहु कहा गया, जबकि धड़ को केतु नाम मिला सूर्य और चंद्रमा ने अमर असुर राहु को विष्णु के सामने उजागर किया, जिसके कारण राहु को उनसे वैर हो गया !
राहु को भ्रम, माया, लालच, अहंकार और मानसिक अस्थिरता का स्तंभ माना गया है !आधुनिक ज्योतिषियों के अनुसार, यह असीमित भूख, असमाधान और अकस्मात बदलाव लाता है!
**राहु का मन पर प्रभाव;
चूंकि राहु चंद्रमा का (मन का स्वामी) का विरोधी है, यह मन में भय, भ्रम, मानसिक अस्थिरता और अवसाद उत्पन्न कर सकता है ! मानसिक विकार, भ्रम, तनाव, न्यूरॉसिस और अवसाद की स्थिति राहु की दोषमय स्थिति से उत्पन्न होती हैं !
**राहु का शरीर पर प्रभाव;
राहु का संबंध सिर और गले से है—सर, गर्दन, कान आदि ! यह चोट, संक्रमण, सिरदर्द और मानसिक समस्या का कारण बन सकता है!
**राहु का व्यवहार और समाजिक जीवन पर असर;
राहु को छल-कपट, धोखा, गुप्त कृत्यों, मादकता और असामाजिक प्रवृत्तियों से भी जोड़ा गया है ! यह राजनीति, व्यापार, अनुसंधान, टेक्नोलॉजी, और गहरे मानसिक अनुभवों को भी प्रेरित करता है, लेकिन अक्सर हानि के साथ ! राहु गलत फैसले लेने के लिए प्रेरित करता है, जिसके कारण व्यक्ति जीवन भर पछताता है ! व्यक्ति को सिर में जकड़न रहती है! बीमारी, कोर्ट कचहरी जैसी परेशानी में धन का नुकसान होता हैं!
राहु एक शक्तिशाली छाया ग्रह है, जो विवेकहीनता, भ्रम, लालच, और जोखिम प्रेरित करता है!
राहु के भय का स्रोत शिव और विष्णु जैसे देवों की शक्ति मानी जाती है, विशेषकर शिव का तपस्वी रूप !
भगवान शिव, मां दुर्गा, सरस्वती, हनुमान जी , मां काली की साधना, मंत्र जाप, स्वच्छता और दान उपयोगी हैं!
राहु के अधर्मी स्वभाव को सकारात्मक रूप से साधा जाए, तो आध्यात्मिक उन्नति और भौतिक सफलता दोनों प्राप्त होती है!
राहु का होना बलपूर्वक चुनौती है, लेकिन उसे नियंत्रण में लाया जा सकता है! भगवान शिव की पूजा महामृत्युंजय मंत्र, दुर्गा सरस्वती की साधना, लाल किताब के उपाय, और स्वच्छ, दयालु जीवनशैली राहु की नकारात्मक ऊर्जा को शांत करती है! ध्यान सेवा, और नैतिकता से राहु का स्वभाव बदलकर वह आपकी उन्नति में सहायक बन सकता है! ऐसे में राहु की भयंकर छाया धर्म, ज्ञान और कर्मयोग के प्रकाश में सम्मोहित होकर अवसर का रूप ले सकती है! कोई भी फैसला लेने से पहले उस पर विचार कर के ही लेने से आपको नुकसान नहीं झेलना पड़ेगा!
**राहु किससे डरता है?
सबसे प्रमुख “राहु भगवान शिव से डरता है” इसका कारण है कि शिव सभी ग्रहों के स्वामी और शीतलक हैं! राहु के अशुभ प्रभाव को शांत करने के लिए महादेव को जल अर्पित करना और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना लाभकारी माना गया है !
माँ दुर्गा (विशेष रूप से मां काली) राहु को शांत करने वाली देवी मानी जाती हैं । साथ ही, देवी सरस्वती की पूजा राहु को संतुलित करने में सहायक है!
राहु का अपहरण भगवान विष्णु द्वारा सुदर्शन चक्र से हुआ था। इसलिए राहु भगवान विष्णु से भय रखता है !
** राहु से रक्षा: उपाय एवं मंत्र;
** शनिवार या सोमवार को शिवलिंग पर काले तिल जल में मिला कर अर्पित करें!
**महामृत्युंजय मंत्र: “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे…” का जाप राहु दोष को शांत करता है!
* दुर्गा चालीसा या सप्तशती पाठ करने से राहु की नकारात्मक ऊर्जा कम होती है!
* काली माता की अराधना, दीप जलाना, या सप्तशती का पाठ लाभप्रद माना गया है!
* राहु को शुभ बनाने के लिए सरस्वती पूजा, वायलय कीर्तन, या ज्ञानप्रद उपहार अत्यंत उपयोगी है!
** लाल किताब के उपाय;
* राहु मंत्र: **ॐ भ्रां भीं भ्रौं सः राहवे नमः मंत्र बुधवार और शनिवार को जाप करें!
* काले तिल, नारियल, काली सरसों, नीले रंग की वस्तुएँ दान करें!
* घर : विशेषकर सिरऔर गले की सफ़ाई रखें!
*हनुमान चालीसा और हनुमान स्तुति राहु महादशा में भी बहुत सहायक होती है !
* चींटियों को पंजीरी रोजाना डाले!
**दान: गरीबों को काली उड़द दाल, काली चीज़ों का दान करे! निकट-संबंध: गुरु, गुरु सदृश संबंधों में सुधार रखें !
**आहार: लेहसुन, प्याज़, सरसों, नीला वस्त्र आदि दान करें !
यदि राहु शुभ और सही दिशा में kanalised हो, तो भौतिक समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति दोनों मिल सकती हैं ! राजनीति जैसे क्षेत्रों में ऊंचाइयों तक ले जाता है! अपार धन की प्राप्ति भी राहु की अच्छी स्थिति के कारण हो सकती है!
**राहु दोष के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
मानसिक भय, भ्रम, अवसाद, आवेग, शारीरिक सिरदर्द, चोट, गले और सिर से संबंधित बीमारियाँ , व्यवहारिक ,छल, धोखा, छुपे हुए काम, असामाजिक प्रवृत्तियाँ , सामाजिक संबंधों में दूरी, अज्ञानता, धार्मिक अनादर !
चंद्रमा मन से जुड़ा है, राहु माया और भ्रम का प्रतीक! जब चंद्रमा राहु द्वारा बाधित होता है, तो मन विक्षुब्ध होता है! आधुनिक मनोविज्ञान में भय, भ्रम, और संदेह भी उसी मानसिक प्रक्रिया का हिस्सा हैं जो राहु के गुणों के कारण उभरते हैं! सतत आत्म-शुद्धि, शारीरिक स्वच्छता, नैतिक जीवन अपन!ए! इसीलिए व्यक्ति अपने ध्यान को साध कर ऊपर दिए गए उपायों को अपनाता है तो राहु आपका कुछ बिगाड़ नहीं सकता! प्राणायाम का नियमित अभ्यास करें और भगवान शिव का स्मरण करते हुए “ॐ” पर ध्यान लगाएं! आपको निश्चित लाभ प्राप्त होगा!