Bhai duj 2025: भैया दूज 2025 कब है! जाने सही तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और पौराणिक कथा!
#भैया दूज त्योहार की तारीख और शुभ मुहूर्त;
इस वर्ष भैया दूज का पर्व गुरूवार, 23 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा।
ब्राह्मण पञ्चांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर यह पर्व मनाया जाता है।
मुहूर्त की दृष्टि से इस प्रकार समय दिए गए हैं (क्षेत्रानुसार थोड़ा-बहुत अंतर हो सकता है) :
तिथि प्रारंभ: 22 अक्टूबर 2025 की रात/शाम से
तिथि समाप्त: 23 अक्टूबर 2025 की रात तक
तिलक / आरती हेतु शुभ समय (मुहूर्त) : लगभग दोपहर 12:15 बजे से 14:30 बजे तक लगभग।

2. भैया दूज के दिन पूजा-विधि ;
सुबह स्नान कर चावल-कुंकुम आदि से थाली तैयार करना। बहन अपनी भाई की कलाई पर रक्षा-कलावा बाँधती है, उनके माथे पर तिलक लगाती है, आरती उतारती है तथा मीठा भोजन तथा उपहार देती है।
भाई इस अवसर पर बहन को प्रेम व आशीर्वाद देता है तथा यदि संभव हो तो उपहार देता है।
कुछ स्थानों पर यह रीति भी है कि भाई बहन के घर भोजन ग्रहण करते हैं; इस द्वारा उनका सौभाग्य और दीर्घायु माना जाता है।
पारंपरिक मान्यता है कि अगर इस तिथि पर बहन भाई की सेवा (तिलक-आरती) करे, तो भाई को यमलोक के भय से मुक्ति मिलती है और दीर्घायु होती है।
ज्योतिषीय सलाह;
भैया दूज की थाली सजाते समय लाल या हल्के गुलाबी रंग का तिलक, चावल, मिठाई (लड्डू, रसगुल्ला), राखी-कलावा तथा फूल-पुष्प शामिल करें।
भाई को उपहार देने से पूजा का भाव और भी बढ़ जाता है , यह उपहार वस्त्र, किताब, छोटे इलेक्ट्रॉनिक्स, मोमेंटो आदि हो सकते हैं।
यदि भाई बहन दूर-दराज हों, तो वीडियो कॉल पर तिलक-भोज का आयोजन भी किया जा सकता है — समय का ध्यान रखते हुए।
पूजा के बाद मिलकर हल्का-भोजन या मिठाई साझा करना परंपरा का हिस्सा है , संबंधों में प्रेम व सौहार्द बनाए रखने के लिए।

३. भाई दूज पौराणिक कथा;
भैया दूज का मूल एक पौराणिक कथा पर आधारित है, जिसके माध्यम से भाई-बहन के रिश्ते का विशेष महत्व बतलाया गया है। मुख्य कथा इस प्रकार है:
यमराज (यम) मृत्यु के देवता माने जाते हैं और यमुना उनकी बहन थीं।
एक दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर आमंत्रित हुए। यमुना ने यमराज की آपर तिलक किया, आरती उतारी और प्रेम से उनका स्वागत किया। यमराज इस बहन-भाई के प्रेम से अत्यंत प्रसन्न हुए।
यमराज ने अपनी बहन को यह वरदान दिया कि इस दिन जो भाई अपनी बहन से मिलकर भोजन करेगा, तिलक-आरती कराएगा, वह मृत्यु-भीत्र भय से मुक्त रहेगा, लंबा जीवन पायेगा। उसी दिन से इस पर्व का आरम्भ हुआ और इसे “यम द्वितीया” के नाम से भी जाना गया।
इस प्रकार, भैया दूज केवल भाई-बहन के रिश्ते का उत्सव ही नहीं है, बल्कि इसमें भाई की दीर्घायु, रक्षा, बहन की सेवा एवं प्रेम का दायित्व निहित है।
आध्यात्मिक दृष्टि से, यह पर्व स्नेह, कर्तव्य और परिवार-बंधन को पुष्ट करने वाला अवसर है। बहन के द्वारा भाई के प्रति की गई पूजा-भोजन और भाई का उपहार बहन के प्रति धन्यवाद एवं कर्तव्य-भाव का प्रतीक है।
इस दिन तिथि-मोहूर्त का विशेष महत्व है , समयानुसार पूजा-आरम्भ करने से शुभ असर माना जाता है।
भाई-बहन की आपसी रक्षा-प्रेम की भावना सामाजिक समरसता, पारिवारिक सौहार्द व भावनात्मक संतुलन को बढ़ावा देती है।
भाई के दीर्घायु व सुख-समृद्धि की कामना स्वयं में एक सकारात्मक ऊर्जा है, जो घरेलू वातावरण को सकारात्मक बनाती है। इस पर्व के माध्यम से पुरानी परंपराएँ, संस्कार व सामाजिक मूल्यों का पुनर्स्थापन होता है।
भैया दूज 2025 एक पवित्र व पारिवारिक पर्व है जिसमें भाई-बहन का प्रेम, बहन की सेवा, भाई की रक्षा-प्रतिज्ञा एवं पारिवारिक एकता का संगम होता है।
इस वर्ष 23 अक्टूबर 2025 को मनाए जाने वाले इस पर्व में, तय मुहूर्त (दोपहर के समय) का ध्यान रखते हुए तिलक-आरती करें, भाई को
थाली से भोजन कराएं, उपहार दें और मिलकर खुशी-भाव से समय बिताएं।














