Chaturmas 2025: चातुर्मास 2025 में कब से कब तक? भगवान विष्णु को प्रसन्न करते है ये उपाय! मिलेंगे अदभुत लाभ!
#चातुर्मास 2025 में कब से कब तक? भगवान विष्णु की पूजा कैसे करें? सम्पूर्ण ज्योतिषीय व धार्मिक मार्गदर्शन!
आज ओमांश एस्ट्रोलॉजी अपने इस लेख में चातुर्मास से सम्बन्धित बेहद अहम जानकारी लेकर प्रस्तुत है! भारत में सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए **चातुर्मास** एक अत्यंत पवित्र, तपस्वी और धर्मपरायण काल होता है! यह चार महीने का वह विशेष समय है जब *भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं* और संपूर्ण सृष्टि पर सात्त्विकता का प्रभाव बढ़ जाता है! इस दौरान व्रत, उपवास, साधना, दान, सेवा और सत्संग का विशेष महत्व होता है!
#2025 में चातुर्मास कब से कब तक रहेगा, क्या नियम पालन करना चाहिए, और भगवान विष्णु की पूजा कैसे की जाए — आइए जानते हैं इस विस्तृत लेख में!!
##चातुर्मास 2025 की तिथि (Chaturmas 2025 Dates)**
##चातुर्मास का प्रारंभ:
**17 जुलाई 2025, गुरुवार — देवशयनी एकादशी (आषाढ़ शुक्ल एकादशी)
**चातुर्मास का समापन:
**11 नवंबर 2025, मंगलवार**— देवउठनी एकादशी (कार्तिक शुक्ल एकादशी)
यह चार महीने (आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक) का समय ही *चातुर्मास* कहलाता है, जिसमें भगवान विष्णु पाताल लोक में योगनिद्रा में रहते हैं! यह समय आत्म-संयम, साधना और सेवा का होता है!
##चातुर्मास का महत्व (Significance of Chaturmas)
चातुर्मास का समय स्वयं भगवान विष्णु ने तप, व्रत और शुद्ध आचरण के लिए निर्धारित किया है। इस समय विशेष कर *धार्मिक कार्य, पुण्य, जप-तप, व्रत, ब्रह्मचर्य और संयम* का पालन करने से जन्म-जन्मांतर के पाप समाप्त होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है!
**महत्वपूर्ण पर्व चातुर्मास में आने वाले:**
#गुरु पूर्णिमा**
#रक्षा बंधन**
#कृष्ण जन्माष्टमी**
#गणेश चतुर्थी**
#नवरात्रि**
#दशहरा**
#करवा चौथ**
#दीपावली**
#देवउठनी एकादशी**
## चातुर्मास के नियम (Chaturmas Rules and Vrat Niyam)**
चातुर्मास के दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन करना धर्मशास्त्रों में अनिवार्य बताया गया है! ये नियम संयम और साधना को बढ़ाते हैं!
## चातुर्मास में क्या करें:
1. **प्रतिदिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें।
2. **भगवान विष्णु की पूजा, विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें!
3. **एक समय सात्विक भोजन करें!
4. **मौन व्रत, ब्रह्मचर्य व संयम का पालन करें!
5. **दान-पुण्य, गौसेवा, तुलसी सेवा, अन्नदान करें!
6. **हरि नाम संकीर्तन, भजन, सत्संग में भाग लें!
7. **एकादशी, पूर्णिमा, प्रदोष आदि व्रत अवश्य करें!
## चातुर्मास में क्या न करें:*
1. विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य निषिद्ध हैं!
2. *प्याज-लहसुन, मांस-मदिरा, तामसिक भोजन वर्जित है!
3. **रात्रि भोज से बचें!
4. **ज्यादा सोना, अपवित्र भाषा, क्रोध से बचें!
5. **सफर, जलयात्रा, नदियों में स्नान से बचें (विशेषकर संन्यासियों के लिए
## भगवान विष्णु की पूजा कैसे करें (Vishnu Pooja Vidhi in Chaturmas)**
चातुर्मास में भगवान विष्णु की पूजा विशिष्ट विधि से की जाती है! इस दौरान उनके चार रूपों **श्री हरि, वामन, दामोदर और मधुसूदन** की आराधना करने का विधान है!
**दैनिक पूजा विधि:**
1. **स्नान के बाद पीले वस्त्र धारण करें!
2. पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें, दीपक जलाएं!
3. भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के समक्ष निम्न मंत्र से आह्वान करें:
> **”ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”**
4. पीले फूल, तुलसी दल, चंदन, अक्षत, धूप और दीप से पूजा करें!
5. विष्णुसहस्रनाम, नारायण कवच या भगवद्गीता के श्लोक पढ़ें!
6. तुलसी जी को जल चढ़ाएं और 11 बार **”ॐ विष्णवे नमः”** का जाप करें!
7. प्रसाद में मीठा भोग अर्पित करें , खीर, फल, चूरमा या पंचामृत!
#चातुर्मास 2025 में विशेष उपाय व मंत्र जाप (Special Remedies & Mantra)**
#चातुर्मास में शुभ फल के लिए मंत्र:
**”ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्”*
(108 बार जपने से दुर्भाग्य दूर होता है)
**”श्रीराम राम रामेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्त्रनाम तत्तुल्यं राम नाम वरानने॥”**
(भगवान विष्णु के रामावतार की स्तुति)
**अन्य उपाय:**
* हर गुरुवार व्रत रखें और पीली चीजें दान करें!
* तुलसी की 11 परिक्रमा करें!
* अन्नदान करें, विशेषकर ब्राह्मणों और निर्धनों को!
#चातुर्मास में तुलसी पूजा का महत्व*
भगवान विष्णु को तुलसी अत्यंत प्रिय है ! इसलिए इस काल में तुलसी की सेवा और पूजा विशेष फलदायी मानी गई है!
* प्रतिदिन तुलसी के पौधे में दीपक जलाएं!
* तुलसी दल के बिना विष्णु जी को भोग अर्पण अधूरा माना जाता है!
* “ॐ तुलस्यै नमः” का 108 बार जाप करें!
#चातुर्मास में कौन से व्रत रखें?
चातुर्मास के दौरान चार मुख्य मास आते हैं ,
**आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद और आश्विन! हर मास में कुछ विशेष व्रत और पूजन होते हैं:
मास ; प्रमुख व्रत/त्योहार
# आषाढ़ : देवशयनी एकादशी, गुरु पूर्णिमा
#श्रावण : सावन सोमवार, नाग पंचमी, रक्षा बंधन
#भाद्रपद : जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी, ऋषि पंचमी
# आश्विन :नवरात्रि, दशहरा, करवा चौथ
# कार्तिक :गोवत्स द्वितीया, दीपावली, देवउठनी एकादशी
## ज्योतिष के अनुसार चातुर्मास में ग्रहों का प्रभाव**
ज्योतिष के अनुसार चातुर्मास काल में **सूर्य, गुरु और शनि** की स्थिति विशेष प्रभाव डालती है!
***सूर्य का कर्क में प्रवेश (संक्रांति)** आध्यात्मिक ऊर्जा को जाग्रत करता है!
***गुरु की वक्री गति** साधकों के लिए अवसर देता है आत्मावलोकन का!
***शनि की दृष्टि** कर्म की परीक्षा लेती है! जो सच्चे नियम पालन करें, उन्हें शनि शुभ फल देते हैं!
**इस दौरान किए गए उपाय दीर्घकालिक लाभ देते हैं।**
# क्यों नहीं होते मांगलिक कार्य चातुर्मास में?
चूंकि इस समय **भगवान विष्णु योगनिद्रा में होते हैं**, इसलिए शास्त्रों में विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन, नामकरण जैसे कार्य वर्जित बताए गए हैं! यह समय आत्मसंयम, तप और आत्मचिंतन का है, न कि उत्सव और भोग का।
मांगलिक कार्य पुनः **देवउठनी एकादशी** के बाद आरंभ होते हैं!
#चातुर्मास से जुड़ी पौराणिक कथा**
एक बार देवताओं ने भगवान विष्णु से पूछा, “हे प्रभु! जब आप चार मास तक योगनिद्रा में चले जाते हैं, तब सृष्टि का संचालन कौन करता है?”
भगवान विष्णु ने उत्तर दिया, “मैं सबके भीतर स्थित होकर धर्म, सत्य और शुद्ध आचरण के माध्यम से सृष्टि को संचालित करता हूं! इन चार महीनों में जो साधक मेरी शरण में रहते हैं, वे मेरी कृपा के पात्र बनते हैं।”
**चातुर्मास 2025** न केवल आध्यात्मिक उन्नति का समय है, बल्कि यह स्वयं को सुधारने, आत्म-अनुशासन, संयम और भक्ति के मार्ग पर चलने का भी श्रेष्ठ अवसर है! जो व्यक्ति इस समय साधना, दान, उपवास और सेवा करता है, उसे **अद्भुत आध्यात्मिक एवं सांसारिक लाभ** प्राप्त होते हैं।
तो आइए, इस वर्ष 17 जुलाई से 11 नवंबर तक चलने वाले *चातुर्मास* में हम सब मिलकर भगवान विष्णु की भक्ति करें, आत्मिक शांति प्राप्त करें और जीवन को धर्ममय बनाएं!