Dushehra 2025: अष्टमी-नवमी के साथ इस बार दशहरा कब है और क्यों है इतना खास?

 

 

भारत में नवरात्रि और दशहरा पर्व का महत्व धार्मिक ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से भी अद्वितीय माना जाता है। वर्ष 2025 में शारदीय नवरात्र का समापन विजयदशमी (दशहरा) पर होगा। यह दिन असत्य पर सत्य की विजय और अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है। आज ओमांश एस्ट्रोलॉजी दशहरा 2025 से जुड़ी बेहद अहम जानकारी लेकर प्रस्तुत है,आइए जानते हैं इस बार दशहरा 2025 कब है, क्या खास योग बन रहे हैं और इसका ज्योतिषीय महत्व क्या है।

 

 

**नवमी और दशहरा 2025 की तिथियाँ;

 

*नवरात्रि की नवमी तिथि शुक्ल पक्ष नवरात्रि की नवमी) 30 सितंबर को शाम 6:06 बजे से शुरू होगी और 1 अक्टूबर को शाम 7:01 बजे तक रहेगी

 

**दशहरा / विजयदशमी : 2 अक्टूबर 2025

विजयदशमी/दशहरा (Dussehra): 2 अक्टूबर 2025, दिन गुरुवार

 

👉 इस बार अष्टमी से लेकर दशमी तक लगातार 3 दिन बड़े ही शुभ योग बन रहे हैं, इसलिए धार्मिक आस्था रखने वालों के लिए यह समय अत्यंत फलदायी रहेगा।

 

 

🔥 विजयदशमी का महत्व;

विजयदशमी के दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था। इसे “सत्य की असत्य पर विजय” का दिन माना जाता है। इस दिन रावण दहन करके बुराइयों का नाश करने का संदेश दिया जाता है। घर-परिवार में शुभ कार्यों की शुरुआत करना अत्यंत फलदायी रहता है।

शस्त्र पूजन, वाहन पूजन और देवी पूजन करने का विशेष महत्व है।

 

 

** दशहरा 2025 में बन रहे विशेष योग;

 

ज्योतिषीय दृष्टि से 2025 का दशहरा बेहद खास है क्योंकि:

 

1. शुभ योगों का संयोग

 

दशहरा गुरुवार के दिन है, जो भगवान विष्णु का दिन माना जाता है। इस दिन विजयदशमी और विष्णु भगवान की कृपा का संगम होगा। तिथि और वार का मेल इसे और अधिक शक्तिशाली बना देगा।

 

2. ग्रह स्थिति

 

चंद्रमा उस दिन वृषभ राशि में रहेगा, जो उसकी उच्च राशि है।

 

उच्च चंद्रमा के कारण मानसिक शांति, स्थिरता और कार्यों में सफलता प्राप्त होगी।

 

3. शस्त्र पूजन और वाहन पूजन का विशेष प्रभाव

 

इस दिन किया गया शस्त्र पूजन जीवन में रक्षा कवच की तरह कार्य करता है।

वाहन पूजन से दुर्घटनाओं और बाधाओं से बचाव होता है।

 

**रावण दहन और उसका आध्यात्मिक संदेश;

 

रावण को जलाना केवल एक परंपरा नहीं है, बल्कि यह हमारी बुरी आदतों और कमजोरियों को त्यागने का संदेश देता है। रावण के दस सिर हमारी काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या, आलस्य, मद, मत्सर और असत्य का प्रतीक हैं। दशहरा हमें सिखाता है कि इन नकारात्मकताओं को त्यागकर ही हम जीवन में सच्ची विजय पा सकते हैं।

 

 

 **दशहरे पर किए जाने वाले प्रमुख ज्योतिषीय उपाय;

 

1. धन प्राप्ति के लिए – दशहरे के दिन पीपल के पत्ते पर चांदी का सिक्का रखकर लक्ष्मी माता के चरणों में चढ़ाएँ, फिर तिजोरी में रखें।

2. शत्रु नाश के लिए – रावण दहन के समय “जय श्रीराम” का 108 बार जाप करें।

3. सफलता के लिए – इस दिन शमी के पेड़ की पूजा करने से कार्यों में विजय मिलती है।

4. परिवार की सुख-शांति के लिए – घर के उत्तर-पूर्व दिशा में दीपक जलाकर देवी दुर्गा का ध्यान करें।

 

** दशहरा और करियर/व्यवसाय;

जिन लोगों को नौकरी या व्यापार में बाधाएँ आ रही हैं, वे दशहरे पर नया काम शुरू कर सकते हैं।

भूमि, वाहन, या सोना-चांदी की खरीद इस दिन शुभ मानी जाती है।

व्यापारी वर्ग अपने बही-खाते की पूजा करते हैं और नए लेन-देन की शुरुआत करते हैं।

 

** इस बार  दशहरा क्यों है खास?

 

1. गुरुवार को दशहरा पड़ने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा का योग है।

2. चंद्रमा उच्च का होने से मानसिक और आर्थिक स्थिरता का संकेत है।

3. लगातार तीन दिनों (अष्टमी, नवमी और दशमी) पर शुभ योग बनने से यह समय पूरे भारतवर्ष में धार्मिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है।

 

दशहरा 2025 केवल रावण दहन का पर्व नहीं है, बल्कि यह हमें आत्मविजय का मार्ग दिखाता है। इस बार का दशहरा खास है क्योंकि ज्योतिषीय दृष्टि से यह दिन जीवन की नकारात्मकताओं को दूर करने, सफलता पाने और नई शुरुआत करने के लिए सर्वोत्तम है। यदि आप सही विधि से पूजन और उपाय करेंगे तो निश्चय ही आपके जीवन में विजय और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होगा।

 

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