Ketu greh: खराब केतु के 4 लक्षण आपके जीवन को हिला कर रख देते हैं! केतु के अशुभ प्रभाव को दूर करते हैं ये असरदार उपाय !
वेदिक ज्योतिष में राहु और केतु को छाया ग्रह कहा गया है! ये भौतिक रूप से अस्तित्व में नहीं होते, लेकिन इनका प्रभाव जीवन के हर पहलू पर गहरा पड़ता है! केतु को मोक्ष, अध्यात्म, रहस्य, पूर्वजों के कर्म और अचानक होने वाली घटनाओं का कारक माना गया है! यदि जन्म कुंडली में केतु शुभ स्थान पर हो, तो यह व्यक्ति को अत्यंत आध्यात्मिक, ज्ञानवान और तेजस्वी बनाता है, लेकिन जब केतु अशुभ या कमजोर हो जाता है, तो यह जीवन में ऐसी हलचल मचा देता है कि व्यक्ति खुद को संभालना कठिन पाता है!
खराब केतु जीवन में अचानक बदलाव, मानसिक उलझन, रिश्तों में दूरी, वित्तीय अस्थिरता और स्वास्थ्य समस्याएं ला सकता है। लेकिन याद रखें, केतु का स्वभाव ही मोक्ष और ज्ञान देने वाला है। यदि हम इसके संकेतों को समय पर पहचानकर सही उपाय करें, तो यह हमें भटकाने की बजाय जीवन की सही राह दिखा सकता है! अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए नियमित पूजा-पाठ, दान-पुण्य, और सकारात्मक सोच सबसे जरूरी है!
आज ओमांश एस्ट्रोलॉजी अपने इस लेख में केतु से जुड़े 4 प्रमुख लक्षणों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जिनके अगर सही उपाय ना किए जाएं तो व्यक्ति बुरी तरह से प्रभावित होता है! खराब केतु के 4 प्रमुख लक्षण और अचूक उपाय, ताकि आप इसके नकारात्मक प्रभाव को कम कर जीवन में स्थिरता ला सकें! जानते हैं अशुभ केतु के प्रमुख 4 लक्षणों के बारे में;
1. मानसिक अस्थिरता और उलझनें;
खराब केतु का सबसे पहला और आम लक्षण है मन का अस्थिर होना! ऐसे समय में व्यक्ति बिना कारण परेशान रहने लगता है, निर्णय लेने में कठिनाई होती है और मन किसी भी काम में नहीं लगता ! बार-बार सोच बदलना ओर डर और अनजाना भय महसूस होना! ध्यान, पढ़ाई या काम में एकाग्रता की कमी होना छोटी-छोटी बातों पर उलझन और भ्रम की स्थिति बन जाना!
जब केतु चंद्रमा के साथ या चंद्रमा से केंद्र/त्रिकोण में पाप ग्रहों के प्रभाव में हो, तब मानसिक अस्थिरता बढ़ जाती है। केतु का चौथे या बारहवें भाव में अशुभ होना भी मानसिक अशांति का संकेत है!
**अचूक उपाय
*प्रतिदिन सुबह गायत्री मंत्र या हनुमान चालीसा का पाठ करें!
*चांदी का छल्ला (अनामिका उंगली में) पहनें!
*अपने घर के दक्षिण-पश्चिम कोने को साफ और स्थिर रखें!
2. रिश्तों में दूरी और अलगाव की भावना;
केतु का स्वभाव ही विरक्ति का है, लेकिन जब यह अशुभ हो जाए, तो यह रिश्तों में दूरियां पैदा करता है। व्यक्ति को ऐसा लगने लगता है कि कोई भी उसे समझ नहीं पा रहा, और वह खुद को अलग-थलग महसूस करता है! परिवार या दोस्तों से दूरी बनाना! वैवाहिक जीवन में ठंडापन और भावनात्मक दूरी! अचानक रिश्तों का टूटना या गलतफहमियां होना और साथ ही लोगों पर भरोसा न कर पाना!
जब केतु सप्तम भाव, पंचम भाव या एकादश भाव में पाप प्रभाव में हो, तो रिश्तों में दरार आती है। केतु-शुक्र या केतु-शनि की अशुभ युति विवाह और प्रेम जीवन में कठिनाई लाती है!
**अचूक उपाय;
*हर गुरुवार को गरीबों को पीली दाल दान करें!
*विवाहिता स्त्रियां बुधवार को हरे कपड़े पहनें और शिव-पार्वती की पूजा करें!
*पूर्वजों का श्राद्ध और तर्पण जरूर करें!
3. करियर और धन में अचानक उतार-चढ़ाव;
अशुभ केतु का असर करियर और वित्तीय स्थिरता पर भी गहरा पड़ता है! यह व्यक्ति को एक पल में सफलता दिला सकता है और अगले ही पल सब कुछ छीन भी सकता है! नौकरी या बिजनेस में अचानक नुकसान और
प्रमोशन या अवसर का छिन जाना! निवेश में घाटा ! बार-बार काम बदलना या करियर दिशा स्पष्ट न होना!
जब केतु दशम भाव, द्वितीय भाव या अष्टम भाव में पाप प्रभाव में हो, तो करियर और वित्तीय अस्थिरता आती है! राहु-केतु की महादशा/अंतरदशा में यह प्रभाव और बढ़ जाता है!
**अचूक उपाय;
*मंगलवार को हनुमान मंदिर में सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं।
*शनिवार को काले तिल और उड़द की दाल दान करें!
*किसी भी शुभ कार्य से पहले गणेश जी की पूजा करें!
4. स्वास्थ्य संबंधी रहस्यमय समस्याएं;
खराब केतु अक्सर ऐसे रोग देता है जिनका सही कारण और इलाज जल्दी नहीं मिलता! यह व्यक्ति को लंबे समय तक डॉक्टर के चक्कर कटवाता है! सिर दर्द, आंखों में जलन या दृष्टि की समस्या! त्वचा संबंधी रोग,
रहस्यमय दर्द जो टेस्ट में पकड़ में न आए! अचानक चोट या सर्जरी की स्थिति बन जाती है!
केतु जब षष्ठ भाव, अष्टम भाव या बारहवें भाव में पाप ग्रहों के साथ हो, तब स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ जाती हैं! खासकर मंगल या शनि के साथ केतु होने पर दुर्घटना और ऑपरेशन की संभावना रहती है!
**अचूक उपाय;
*मंगलवार और शनिवार को मंदिर में नारियल चढ़ाएं!
*प्रतिदिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें!
*घर के मुख्य दरवाजे पर लाल रंग का सुंदर तोरण लगाएं!
#केतु को शांत करने के सामान्य उपाय;
ऊपर बताए गए विशेष उपायों के साथ-साथ कुछ सामान्य उपाय भी हैं, जो केतु के अशुभ प्रभाव को कम करने में सहायक होते हैं —
1. केतु मंत्र का जाप –
ॐ कें केतवे नमः
रोज 108 बार जाप करें।
2. दान-पुण्य –
कंबल, तिल, नारियल, काले कुत्ते को भोजन
नीले या भूरे रंग के वस्त्र जरूरतमंद को देना
3. आध्यात्मिक साधना –
ध्यान और योग करें
तीर्थ यात्रा या पितृ कार्य करें
4. रंग और रत्न –
केतु के लिए कैट्स आई (लेहसुनिया) रत्न धारण करना लाभकारी है (योग्य ज्योतिषी की सलाह से)।