Pradosh vrat 2025: सितंबर 2025 में शुक्र प्रदोष व्रत कब कब है? नोट करे सही तिथि, महत्व, कथा और पूजा विधि!
हिंदू धर्म में व्रत-त्योहारों का अत्यधिक महत्व है! इन व्रतों में से एक है प्रदोष व्रत, जो हर महीने शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है! जब यह व्रत शुक्रवार के दिन आता है, तो इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है! शुक्रवार का दिन स्वयं ही देवी लक्ष्मी और शुक्र ग्रह का माना गया है, इसलिए इस दिन का व्रत जीवन में सुख, समृद्धि, प्रेम और वैवाहिक आनंद बढ़ाने वाला होता है!
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्र ग्रह जीवन में ऐश्वर्य, प्रेम, कला, सौंदर्य और भौतिक सुखों का कारक है! यदि यह ग्रह कमजोर या पीड़ित हो तो व्यक्ति को वैवाहिक जीवन, आर्थिक स्थिति और स्वास्थ्य संबंधी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है! शुक्र प्रदोष व्रत करके इन दोषों को दूर किया जा सकता है!
सितंबर 2025 में आने वाले दोनों शुक्र प्रदोष व्रत ग्रहस्थिति की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं!इस समय व्रत रखने से शुक्र की शुभता बढ़ेगी और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आएगी!
सितंबर 2025 में शुक्र प्रदोष व्रत की तिथियाँ;
इस वर्ष सितंबर 2025 में दो बार शुक्र प्रदोष व्रत पड़ रहा है—
1. पहला शुक्र प्रदोष व्रत – 5 सितंबर 2025 (शुक्रवार, कृष्ण पक्ष त्रयोदशी)
#त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: सुबह 4:08 बजे!
*समाप्त: 6 सितंबर सुबह 3:12 बजे!
*पूजा का श्रेष्ठ समय (प्रदोष काल): शाम 6:38 से 8:55 बजे तक!
*दूसरा शुक्र प्रदोष व्रत – 19 सितंबर 2025 (शुक्रवार, शुक्ल पक्ष त्रयोदशी)
#त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 18 सितंबर रात 11:24 बजे
*समाप्त: 19 सितंबर रात 11:37 बजे
पूजा का श्रेष्ठ समय (प्रदोष काल): शाम 6:21 से 8:43 बजे तक!
इन दोनों दिनों व्रत और पूजा करने से भगवान शिव, माता पार्वती और देवी लक्ष्मी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है!
#शुक्र प्रदोष व्रत का महत्व;
शास्त्रों और पुराणों में शुक्र प्रदोष व्रत को अति शुभ और फलदायी बताया गया है! इसके प्रमुख महत्व इस प्रकार हैं:
1. वैवाहिक जीवन में सुख-संतोष – जिन दंपत्तियों के जीवन में तनाव और कलह रहता है, उनके लिए यह व्रत अमृत समान है! इससे आपसी प्रेम और विश्वास बढ़ता है!
2. समृद्धि और धन प्राप्ति – शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी और शुक्र ग्रह से संबंधित है! इस दिन प्रदोष व्रत रखने से आर्थिक संकट दूर होते हैं और धनलाभ के योग बनते हैं!
3. स्वास्थ्य लाभ – प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, ऊर्जा और दीर्घायु प्राप्त होती है! रोग-व्याधि कम होते हैं!
4. ग्रहदोष निवारण – जिनकी कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर हो या शत्रु भाव में हो, उन्हें यह व्रत अवश्य करना चाहिए। इससे ग्रहदोष दूर होकर जीवन में सौंदर्य, कला, प्रेम और भौतिक सुखों की वृद्धि होती है!
5. पापों का नाश – यह व्रत पापों को हरने वाला और मोक्ष प्रदान करने वाला माना गया है!
#पूजा विधि;
#शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा विधि सरल किंतु प्रभावी है! इसे प्रदोष काल में करना अत्यंत फलदायी होता है!
1. प्रातःकाल स्नान और संकल्प – व्रती को सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए और व्रत का संकल्प लेना चाहिए!
2. उपवास – दिनभर फलाहार या निर्जल उपवास रख सकते हैं!
3. संध्याकालीन पूजा (प्रदोष काल में) –
*पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
*भगवान शिव-पार्वती की मूर्ति या शिवलिंग को स्थापित करें!
*पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल) से शिवलिंग का अभिषेक करें!
बिल्वपत्र, पुष्प, धूप, दीप और अक्षत अर्पित करें!
शिव पंचाक्षरी मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें!
शुक्रवार को विशेष रूप से गुलाब और कमल का फूल अर्पित करना उत्तम माना जाता है!
माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए “श्रीसूक्त” का पाठ करें।
4. आरती और भोग – अंत में शिवजी और माता पार्वती की आरती करें तथा फलों और मिठाई का भोग लगाकर प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें!
5. दान-पुण्य – इस दिन स्त्रियों और कन्याओं को श्रृंगार सामग्री, वस्त्र, फल या धन दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है!
*शुक्र प्रदोष व्रत की कथा;
*कथा 1 – चंद्रमा की आराधना:
कहा जाता है कि एक बार चंद्रमा क्षय रोग से पीड़ित हो गए। उन्होंने भगवान शिव की आराधना की और प्रदोष व्रत का पालन किया! शिवजी उनकी भक्ति से प्रसन्न हुए और उन्हें रोगमुक्त कर दिया। तभी से यह व्रत हर प्रकार के दुख और रोग को दूर करने वाला माना जाता है!
*कथा 2 – समुद्र मंथन प्रसंग;
समुद्र मंथन के समय जब समुद्र से विष निकला तो समस्त देवता भयभीत हो गए! तब भगवान शिव ने उस विष को ग्रहण किया! उस समय देवताओं ने प्रदोषकाल में शिवजी की पूजा की और उनकी स्तुति की,तभी से प्रदोष काल और प्रदोष व्रत विशेष महत्व रखने लगा!
**विशेष उपाय शुक्र प्रदोष व्रत पर:
#धन लाभ के लिए – शिवलिंग पर सफेद पुष्प और इत्र चढ़ाएं!
#दांपत्य जीवन में सुख के लिए – शिव-पार्वती की संयुक्त पूजा करें और दंपति साथ में व्रत करें!
#ग्रहदोष निवारण हेतु – “ॐ शुक्राय नमः” मंत्र का जाप करें!
#लक्ष्मी कृपा पाने के लिए – कन्याओं को वस्त्र और श्रृंगार सामग्री दान करें!
#स्वास्थ्य लाभ के लिए – शिवलिंग पर शहद और गंगाजल से अभिषेक करें!
सितंबर 2025 में शुक्र प्रदोष व्रत दो बार आ रहा है—5 और 19 सितंबर को! यह अवसर भगवान शिव, माता पार्वती और देवी लक्ष्मी की आराधना के लिए अति शुभ है। इस दिन व्रत रखकर और प्रदोषकाल में पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख-समृद्धि, प्रेम, शांति और धन की वृद्धि होती है। वैवाहिक जीवन में आने वाले तनाव समाप्त होते हैं और ग्रहदोष दूर होकर जीवन में सफलता प्राप्त होती है!
इस प्रकार, जो भी भक्त श्रद्धा और भक्ति के साथ शुक्र प्रदोष व्रत करता है, उसका जीवन सुखमय बन जाता है और भगवान शिव का आशीर्वाद सदैव उस पर बना रहता है!