शनि की साढ़ेसाती: जीवन में उथल पुथल या नई शुरुआत, जाने अनसुने उपाय
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह को न्यायाधीश के रूप में जाना जाता है। शनि देव हमारे कर्मों का फल देते हैं और यह मान्यता है कि यदि हमने जीवन में अच्छे कर्म किए हैं तो शनि का प्रभाव शुभ रहता है, लेकिन अगर हमने बुरे कर्म किए हैं तो शनि कष्टकारी हो सकते हैं। शनि की साढ़े साती का नाम सुनते ही लोग भयभीत हो जाते हैं क्योंकि इसे जीवन में संघर्ष, कठिनाई और चुनौतियों का समय माना जाता है। लेकिन सच यह है कि साढ़े साती केवल कष्टकारी नहीं होती, यह समय हमारे जीवन को सुधारने और हमें सही मार्ग पर लाने का भी होता है। आज ओमांश एस्ट्रोलॉजी अपने इस लेख में शनि की साढ़े साती से बचने के कुछ आसान ज्योतिषीय उपायों के बारे में जानेंगे।
शनि की साढ़े साती क्या है?
साढ़े साती वह अवधि होती है जब शनि देव किसी व्यक्ति की जन्म राशि के ऊपर, उसके ठीक पहले और उसके बाद की राशि में कुल 7.5 वर्षों तक रहते हैं। यह अवधि तीन चरणों में विभाजित होती है:
*पहला चरण: जब शनि जन्म राशि के पहले पड़ाव में होता है।
*दूसरा चरण: जब शनि जन्म राशि में प्रवेश करता है।
*तीसरा चरण: जब शनि जन्म राशि से निकलकर अगले पड़ाव में जाता है।
इस अवधि के दौरान व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। यह समय चुनौतियों से भरा हो सकता है, लेकिन ज्योतिष के अनुसार कुछ उपाय करने से इन प्रभावों को कम किया जा सकता है।
साढ़े साती का प्रभाव हर व्यक्ति पर अलग-अलग होता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति की कुंडली में शनि किस स्थान पर बैठा है और उसके साथ कौन से ग्रह हैं। शनि की साढ़े साती का प्रभाव मुख्यतः निम्नलिखित प्रकार से होता है:
इस दौरान व्यक्ति को आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ सकता है। शारीरिक समस्याएं जैसे थकान, घुटनों का दर्द, जोड़ो का दर्द आदि हो सकते हैं। व्यक्ति मानसिक रूप से तनाव में रहता है और उसे काम में असफलता का सामना करना पड़ सकता है। परिवार में विवाद और अशांति का माहौल बन सकता है व्यक्ति को कानून से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।
शनि की साढ़े साती से बचने के आसान उपाय:
1. शनि देव की पूजा और व्रत:
साढ़े साती के दौरान शनि देव को प्रसन्न करने के लिए प्रत्येक शनिवार को शनि मंदिर जाकर पूजा करें। काले तिल, सरसों का तेल, और नीले फूल चढ़ाएं। इसके अलावा, शनिवार के दिन व्रत रखने से भी लाभ मिलता है। शनि व्रत में हल्के भोजन या सिर्फ फल ग्रहण करें।
2. हनुमान जी की पूजा:
शनि देव हनुमान जी के भक्तों को कभी कष्ट नहीं देते। इसलिए, हर मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की पूजा करें। हनुमान चालीसा का पाठ करें और शनि देव के प्रकोप से मुक्ति पाने के लिए उन्हें सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं।
3. काले तिल और सरसों का तेल दान :
शनिवार के दिन काले तिल, काले कपड़े और सरसों के तेल का दान करें। दान करते समय ध्यान रखें कि दान जरूरतमंद लोगों को ही किया जाए। इससे शनि की साढ़े साती का प्रभाव कम होता है।
4. काला धागा पहनें:
काला धागा पहनने से शनि के दुष्प्रभाव कम हो सकते हैं। इसे विशेष रूप से दाहिने हाथ की कलाई में बांधना शुभ माना जाता है। इसे पहनने से नकारात्मक ऊर्जा से बचाव होता है।
5. नियमित हवन और यज्ञ:
शनि के दुष्प्रभाव से बचने के लिए नियमित रूप से हवन या यज्ञ करना भी फायदेमंद होता है। शनि के बीज मंत्र “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का जाप करते हुए हवन करें। इसके अलावा, “शनि स्तोत्र” का पाठ करने से भी शनि देव की कृपा प्राप्त होती है।
6.जरूरतमंदों की सहायता करें:
शनि न्याय के देवता हैं, इसलिए वे उन लोगों को पसंद करते हैं जो दूसरों की मदद करते हैं। गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करना, उन्हें खाना खिलाना और वस्त्र दान करना शुभ माना जाता है।
7. नीलम रत्न धारण करें:
अगर ज्योतिषी से परामर्श के बाद उचित लगे, तो नीलम रत्न धारण कर सकते हैं। नीलम शनि ग्रह से संबंधित है और इसे धारण करने से शनि के कुप्रभाव कम हो सकते हैं। नीलम को धारण करते समय सावधानी बरतनी चाहिए, खासकर छटे ,अष्टम और द्वादश भाव में शनि स्थित है तो नीलम पहनने से बचे ,क्योंकि यह बहुत प्रभावशाली रत्न है।
8. प्रभावशाली मंत्रों का जाप:
शनि देव को प्रसन्न करने के लिए निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें:
– “ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः”
– “ॐ शं शनैश्चराय नमः”
इन मंत्रों का प्रतिदिन 108 बार जाप करना अत्यंत फलदायी होता है।
9. पीपल वृक्ष की पूजा:
पीपल का वृक्ष शनि देव का प्रिय है। शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों का दीपक जलाएं और सात बार वृक्ष की परिक्रमा करें। यह उपाय शनि देव के प्रकोप को कम करने में सहायक होता है।
निष्कर्ष:
शनि की साढ़े साती एक चुनौतीपूर्ण समय हो सकता है, लेकिन अगर व्यक्ति धैर्य, संयम और सही उपाय अपनाए तो यह समय सुधार का भी होता है। शनि के प्रभाव से घबराने की बजाय, अपने कर्मों को सुधारें, धार्मिक और आध्यात्मिक उपायों का पालन करें और भगवान पर विश्वास रखें। शनि देव हमारे जीवन में अनुशासन और न्याय स्थापित करने के लिए आते हैं, इसलिए उनकी कृपा पाने के लिए सही रास्ते पर चलना ही सबसे बड़ा समाधान है।