कुंडली के आठवें घर में राहु का फल! जुआ,सट्टे, या काला जादू….

 

वेदिक ज्योतिष में राहु एक छाया ग्रह है, जिसे नकारात्मक प्रभावों का वाहक माना जाता है। यह ग्रह भौतिक इच्छाओं, माया, छल, भ्रम, और विदेशी तत्वों से जुड़ा होता है। कुंडली के विभिन्न भावों में राहु की स्थिति अलग-अलग प्रकार के प्रभाव डालती है। जब राहु आठवें भाव में स्थित होता है, तो यह व्यक्ति के जीवन में रहस्यमयता, आकस्मिक परिवर्तन, और मानसिक उलझनों को जन्म दे सकता है। आज ओमांश एस्ट्रोलॉजी अपने पाठकों के लिए कुंडली के आठवें भाव में राहु का क्या फल प्राप्त होता है से जुड़ी अहम जानकारी लेकर प्रस्तुत है!

आठवां भाव जन्मपत्रिका का एक अत्यंत रहस्यमयी और गूढ़ भाव माना जाता है। यह भाव मृत्यु, पुनर्जन्म, गुप्त ज्ञान, शोध, दुर्घटनाएं, गुप्त शत्रु, योग-साधना, पारलौकिक शक्तियों और गहरे मनोवैज्ञानिक प्रभावों से जुड़ा होता है। इस भाव में राहु की उपस्थिति विशेष फल देती है।

**राहु का स्वभाव

राहु को ग्रह नहीं, बल्कि एक छाया बिंदु माना जाता है। फिर भी इसका प्रभाव कई बार शनि से भी अधिक तीव्र और दीर्घकालिक होता है। राहु जहां बैठता है, वहां भ्रम, लालच, आकांक्षाएं और विदेशी तत्वों का संचार करता है। यह ग्रह यथार्थ से अलग कल्पनाओं और अदृश्य शक्तियों की ओर व्यक्ति को आकर्षित करता है।

ज्योतिष के अनुसार, आठवां भाव ‘अष्टम भाव’ कहलाता है। इसके मुख्य लक्षण होते है;

* जीवन की दीर्घता और मृत्यु!

* अचानक परिवर्तन या दुर्घटना!

* गूढ़ विषय, रहस्य, तंत्र-मंत्र!

* गुप्त शत्रु, रोग!

* मनोवैज्ञानिक तनाव और पुनर्जन्म!

* उत्तराधिकार या साथी की संपत्ति!

जब कोई ग्रह इस भाव में आता है, तो वह उपरोक्त विषयों में प्रभाव डालता है। राहु की स्थिति इस भाव को और भी रहस्यमयी बना देती है।

**आठवें भाव में राहु सकारात्मक प्रभाव!

हालाँकि राहु को सामान्यतः नकारात्मक ग्रह माना जाता है, लेकिन यदि कुंडली में शुभ ग्रहों की दृष्टि हो या राहु उच्च स्थिति में हो, तो यह निम्न सकारात्मक फल भी दे सकता है:

ऐसे जातक ज्योतिष, तंत्र-मंत्र, गुप्त विज्ञान, मनोविज्ञान, डिटेक्टिव, गुप्तचर आदि क्षेत्रों में रुचि लेते हैं और उसमें प्रवीण भी होते हैं।रिसर्च, वैज्ञानिक अनुसंधान, मेडिकल या खगोल विज्ञान जैसे क्षेत्रों में ये लोग उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं। राहु यदि शुभ स्थिति में हो तो व्यक्ति को बीमा, लॉटरी, शेयर मार्केट या उत्तराधिकार में अचानक धन लाभ हो सकता है। राहु विदेशों से जुड़े कार्यों और तकनीकी क्षेत्रों में सफलता देता है। आठवें भाव में होने से यह व्यक्ति को विदेशी संसाधनों से लाभ दिला सकता है !राहु जातक को मानसिक रूप से जिद्दी और साहसी बना सकता है। ये लोग कठिन परिस्थितियों से डरते नहीं हैं।

 

**आठवें भाव में राहु का नकारात्मक प्रभाव,

यदि राहु अशुभ स्थिति में हो, पाप ग्रहों के प्रभाव में हो, या नीच का हो, तो इसके प्रभाव अत्यंत हानिकारक हो सकते है! ऐसे जातकों के जीवन में शारीरिक दुर्घटनाएं, ऑपरेशन, या बीमारी की संभावना बनी रहती है। व्यक्ति को चिंता, भय, भ्रम, या डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याएं हो सकती हैं। वह जीवन के रहस्यों में उलझा देता है!आठवें भाव में राहु व्यक्ति को गुप्त शत्रु और धोखे से ग्रसित करता है। मित्र भी पीठ पीछे धोखा दे सकते हैं। चूंकि आठवां भाव ससुराल का भी सूचक है, अतः राहु यहाँ रिश्तों में कड़वाहट या ससुराल पक्ष से दूरी लाता है। राहु यहां गुप्त रोग जैसे त्वचा रोग, एलर्जी, या सेक्स संबंधी समस्याएं दे सकता है। मृत्यु से डर और जीवन में अस्थिरता रहती है! ऐसे जातक प्रायः मृत्यु, भूत-प्रेत या अदृश्य शक्तियों के भय में जीते हैं। उनका जीवन दिशा रहित हो सकता है।

**राहु की महादशा या अंतर्दशा में फल!

अगर जातक की कुंडली में राहु की महादशा या अंतर्दशा चल रही हो और राहु आठवें भाव में स्थित हो, तो निम्न प्रभाव देखने को मिल सकते हैं:

* अचानक नौकरी या स्थान परिवर्तन!

* मानसिक तनाव या पारिवारिक कलह!

* लंबी बीमारी या ऑपरेशन!

* रहस्यात्मक विषयों में रुचि बढ़ना!

* आय के स्रोतों में अस्थिरता!

* परामनोविज्ञान, टैरो, तंत्र में रुचि!

उपाय: राहु के दुष्प्रभाव से बचाव;

1. **राहु मंत्र का जाप**:

“**ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः**”

इस मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करें।

 

2. **नाग नागिन की पूजा करना विशेष होता है ! राहु को सर्पों का प्रतीक माना जाता है, अतः नागपंचमी या श्रावण मास में नागदेव की पूजा लाभकारी होती है।

3. **राहु ग्रह के रत्न गोमेढ़ या हेसोनाइट (गुंड) रत्न योग्य ज्योतिषी से परामर्श कर पहनें।

4. **राहु ग्रह की वस्तुएं दान करें उड़द की दाल, नीले कपड़े, सरसों का तेल, काले तिल, लोहे की वस्तु आदि का दान करें।

5. **संध्या समय दीप जलाएं, घर के मुख्य द्वार या पीपल के नीचे दीपक जलाना राहु को शांत करता है।

कुंडली के आठवें भाव में राहु का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण और संवेदनशील होता है। यह व्यक्ति के जीवन में उतार-चढ़ाव, रहस्यमय अनुभव, और मानसिक द्वंद्व ला सकता है। राहु की शुभ स्थिति में जातक आध्यात्मिक, शोधपरक और गूढ़ ज्ञान में पारंगत हो सकता है, जबकि अशुभ स्थिति में जीवन में भटकाव, रोग और मानसिक तनाव उत्पन्न होते हैं। उचित उपायों और विवेक से राहु के प्रभाव को नियंत्रित किया जा सकता हैं!

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