छठ पूजा 2025 में कब है? नोट करे सही तिथि और पूजा विधि, पूजा की कथा और विशेष उपाय!

 

 

 

 

#छठ पूजा 2025 की तिथि व तिथि विवरण*

**पूजा विधि (चार‑दिवसीय अनुष्ठान)**

**पूजा की कथा व कथा का महत्व**

**ज्योतिषीय मान्यताएँ, उपाय और लाभ**

 

#छठ पूजा 2025 – तिथि एवं पंचांग विवरण* आज ओमांश एस्ट्रोलॉजी अपने इस लेख में छठ पूजा से जुड़ी हुई जानकारी लेकर प्रस्तुत है!

 

**छठ पूजा** हिन्दू पंचांग के अनुसार **कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि** पर होती है! वर्ष 2025 में ये तिथियाँ इस प्रकार हैं:

 

 #नहाय‑खाय (दिन‑1)** – *शनिवार, 25 अक्टूबर 2025*

#खरना (दिन‑2)** – *रविवार, 26 अक्टूबर 2025*

#संध्या अरघ्य (दिन‑3) मुख्य छठ पूजा)*सोमवार, 27 अक्टूबर 2025*

#उषा अरघ्य (दिन‑4)  पारणा)** मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025* 

 

#पंचांग अनुसार:

 

#चतुर्थी – नहाय‑खाय): *25 अक्टूबर 2025* *सूर्योदय पूर्व 06:41 / सूर्यास्त 18:06*

 

#पंचमी – खरना): *26 अक्टूबर 2025*

*सूर्योदय 06:41 / सूर्यास्त 18:05*

 

#षष्ठी– संध्या अरघ्य): *27 अक्टूबर 2025* *सूर्योदय 06:42 / सूर्यास्त 18:05*

 

#अष्टमी – उषा अरघ्य / पारणा): *28 अक्टूबर 2025* – *सूर्योदय 06:42 / सूर्यास्त 18:04

 

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कुछ स्थानों (जैसे दिल्ली, पटना आदि) में समय में कुछ मिनटों का अंतर हो सकता है, लेकिन दिन वही निर्धारित हैं!

 

 

 

 

 

 

#पूजा विधि – चार दिवसीय अनुष्ठान का विवरण

 

#दिवस 1 – नहाय‑खाय (Nahay‑Khay)*

 

* दिन की शुरुआत की जाती है स्वच्छता और पवित्रता से! सभी श्रद्धालु नदी या तालाब में स्नान करें और घर को अच्छी तरह साफ करें! भोजन के समय वे एक सादा शाकाहारी आहार लेते हैं , जैसे लौकी, चावल, अरवा दल, चना आदि! इसे ‘भोग’ के रूप में भगवान को अर्पित किया जाता है! यह व्रती (उपासक) का पहला और अंतिम भोजन होता है ! भोजन के बाद व्रत की आरंभ की जाती है; इसके पश्चात निर्जला व्रत का प्रारंभ!

 

#दिवस 2 – खरना

 

* यह दिन निर्जला व्रत का होता है , यानी दिन भर बिना भोजन और जल के रहता है! शाम को सूर्यास्त के समय व्रती ‘खरना’ करके व्रत तोड़ते हैं , इसमें दूध, गन्ने की गुड़ व चावल की खीर बनाई जाती है! यह प्रसाद तैयार करके सूर्य देवी और अपने परिवार को अर्पित की जाती है और उसके बाद ही पारंपरिक व्रत पारण होता है !

 

#दिवस 3 – संध्या अरघ्य

 

* मुख्य दिन माना जाता है, जिसमें शाम को मंदिर या नदी किनारे दीप-पुष्प, दोहरी प्रस्तुति (सूप) और ठेकुआ, लड्डू व फल आदि चढ़ाकर सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है! भक्त गंगे, सरयु या अन्य जलाशय किनारे सतत खड़े होकर सूर्य को धन्यवाद देते हैं! इस दिन शाम से रात में तक कथा, भजन-कीर्तन व मंत्रोच्चारण चलता है !

 

#दिवस 4 – उषा अरघ्य व पारणा 

 

* अगले दिन प्रातःकाल देवोदय (सूर्योदय) पर व्रती नदी किनारे जाते हैं और रंगीन सामान, सूप, ठेकुआ, लड्डू व जल से परमोपचार सहित पहलवान्चन करते हुए उषा अर्घ्य अर्पित करते हैं! तत्पश्चात व्रत पारण कर लिया जाता है , जो मुख्यतः *अदरक और गुड़* खाने से किया जाता है!

 

 

 

#छठ कथा एवं पौराणिक महत्व;

 

#कथा 1:राजा प्रियव्रत व षष्ठी माता ;

 

राजा प्रियव्रत संतानहीन थे! उनकी पत्नी ने पुत्र को जन्म दिया परंतु वह जन्म के पश्चात मर गया! तब षष्ठी माता उनके सामने प्रकट हुईं, पुत्र को जीवित करने की आशीर्वाद दीं और पुत्र ने पुनः जीवन पाया! तब से षष्ठी माता को संतानों की रक्षा करने वाली देवी माना गया !

 

#कथा 2: महाभारत‑पैदानन्द

 

महाभारत में पांडवों और द्रौपदी ने परिणामस्वरूप राजा लौटने पर षष्ठी माता का व्रत रखा! कहा जाता है कि उनके द्वारा किया गया व्रत उन्हें विजय दिलाने में सहायक था !

कर्ण ने तथा राम–सीता ने भी अयोध्या लौटने के पश्चात सूर्य यज्ञ मंत्र के रूप में छठ पूजा की विधि का निर्वहन किया! यह देवता‌—ऋषियों और राजाओं का यह अनुष्ठान आत्म-शुद्धि व स्वस्थ संतान की कामना से जुड़ा है !

 

 

 

#ज्योतिषीय मान्यताएँ एवं उपाय;

 

#सूर्य की अराधना:*

सूर्य को जीवन, ऊर्जा व पूर्वजों की आत्मा का प्रतीक माना जाता है; सूर्य की पूजा से स्वास्थ्य, सम्मान, समृद्धि और लंबी आयु की प्राप्ति होती है !

 

#छठी माता का ज्योतिषीय महत्व:*

यदि जन्म कुंडली में सूर्य की स्थिति कमजोर हो (दोष, ग्रहण, नीच या अशुभ भाव), तो व्रत-मंत्र, यादियों, भक्ति से इसे पुष्ट किया जा सकता है! ऐसी स्तिथि में छठ पूजा रूपी उपाय अनुशंसित है !

 

#व्रत और मंत्र:*

संध्या और उषा अर्घ्य के समय “ॐ आदित्याय विद्महे…” आदि सूर्य‑मंत्रों का उच्चारण शुभ माना जाता है। मंत्र का जाप + संयत मन/शुद्धताहोती है साथ ही ग्रह‑दोष का शमन होता है!

 

#उपाय (Remedies):*

 

* गुड़-आदरक सेवन पारणा में गुड़ व अदरक लेने से वात दोष शांत होता है!

 

*शुद्ध जल व कच्चे फल , व्रत के दौरान केवल शुद्ध भोजन/जल लेने से स्वास्थ्य बनी रहती है!

 

* दीप जलाना , शाम व सुबह अर्घ्य के समय दीपक प्रज्ज्वलित करने से बाधा दूर होती है !

 

* नदी के पवित्र जलाशय में स्नान | इसे आत्म-शुद्धि माना जाता है और ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है !

 

 

 

#छठ पूजा के लाभ व सामाजिक प्रभाव**

 

*स्वास्थ्य पर लाभ:

व्रत, निर्जला तपस्या व संयम से शरीर डिटॉक्स होता है, चर्म रोग दूर होते हैं, पाचन मजबूत होता है।

सूर्य‑आराधना से ‘विटामिन D’ का महत्व भी ज्योतिषीय रूप से माना गया है!

 

* समाजिक और पारिवारिक सौहार्द:*

चारों दिन रात में गंगा-घाट या तालाब किनारे जाकर पारिवारिक सहयोग, मिलन‑भजन, पारंपरिक तैयारी से सामूहिक जुड़ाव गहराता है!

 

*पर्यावरण जागरूकता:**

छठ पूजा बिना मूर्ति-पूजा, प्लास्टिक‑मिट्टी ग़ैर‑वनस्पति सामग्री और प्रदूषण से रहित होती है – इसे “eco‑friendly” त्योहार माना गया है !

 

*आध्यात्मिक शांति:*

सुबह‑शाम सत्संग, मंत्र तप, नदी स्नान और दिव्य वातावरण संचेतना से मन शांत होता है और धर्मिक बोध होता है!

 

 

 

 

 

 

# संक्षिप्त उपाय-सारांश;

 

* व्रत पूर्ण संकल्प, ब्रहमचार्य, पवित्रता आवश्यक है!

* स्नान, घर-गेट की सफाई, कच्चा आहार, व गाय-गौ, ब्रह्मचर्य पालन चाहिए!

* प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य, दीप, पुष्प, फल, ठेकुआ & संतुलित प्रसाद!

* 27 ऑक्टोबर की शाम और 28 की सुबह सूर्य‑अराधना अत्यंत मुहूर्तपूर्ण है!

* पारणा में गुड़, अदरक, शुद्ध जल, शाकाहारी भोजन लें (वैदिक विधि के समान)!

 

 

#पूजन सारचर्चा

 

**तिथि की पुष्टि** — 25–28 अक्टूबर 2025 (नहाय‑खाय से पारणा तक), षष्ठी तिथि – 27 अक्टूबर !

 

**चार‑दिवसीय विस्तार** — प्रतिदिन की मर्यादा, अनुष्ठानिक विधि व समय‑परिमाण!

**कथा‑कथा महत्व** — राजा प्रियव्रत, पांडव व कर्ण आदि कथा से प्रेरणा!

 

**ज्योतिषीय विश्लेषण** — सूर्य दोष, उपाय व मंत्र संबंधी औचित्य!

 

**लाभ-समीक्षा** — स्वास्थ्य, वातावरण, परिवार, आत्म‑शांति!

 

**टिप्स व दैनिक लेखन** — भयमुक्त व स्वचालित लेखन शैली में मार्गदर्शन!

 

**छठ पूजा 2025** का यह दिव्य पर्व न केवल आध्यात्मिक लाभ देता है, बल्कि स्वास्थ्य, सुसंस्कार व परिवारिक मेल को भी उत्तरोत्तर मजबूत करता है! सत्संग, संस्कार, व्रत, और भक्तिपूर्ण विधियों का यह अनुष्ठान हमें प्रकृति एवं जीवन की मूल गहराईयों से जोड़ता है!

 

🌄 **27 अक्टूबर 2025 की शाम** (संध्या अरघ्य) और **28 अक्टूबर 2025 की सुबह** (उषा अरघ्य) मूल अर्घ्य-मुहूर्त हैं!

इस पावन दिन पर सूर्य देवता एवं षष्ठी माता की कृपा से समस्त कष्ट, ग्रह‑दोष दूर हो

कर सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य एवं संतुलित परिवार की प्राप्ति में सहायता मिले!

 

आप सबको और आपके परिवार को छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ!

 

 

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