Diwali 2024: दिवाली पर गणेश जी के साथ माता लक्ष्मी की पूजा क्यों होती है?
दीपावली, जिसे “दीपों का पर्व” भी कहा जाता है, भारत में मनाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है। यह पर्व मुख्य रूप से माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा के साथ मनाया जाता है। दिवाली पर गणेश जी और माता लक्ष्मी की पूजा के पीछे धार्मिक और ज्योतिषीय कारण हैं, जो हिंदू धर्म में समृद्धि, सुख-समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माने जाते हैं। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि दिवाली पर गणेश जी के साथ माता लक्ष्मी की पूजा क्यों की जाती है और इसके पीछे के ज्योतिषीय तत्त्व क्या हैं।
दिवाली पर गणेश जी के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करना हिंदू धर्म में एक विशेष परंपरा है। यह केवल एक धार्मिक कृत्य नहीं है, बल्कि इसमें छिपा हुआ गहरा आध्यात्मिक और सांकेतिक संदेश भी है। गणेश-लक्ष्मी पूजन धन और बुद्धि के संतुलन का प्रतीक है, जिससे व्यक्ति का जीवन सफल, सुखी और समृद्ध बनता है। ज्योतिष, पुराण, और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दिवाली पर यह पूजा सभी विघ्नों को दूर करती है और हमें जीवन में धन, समृद्धि और संतोष की प्राप्ति कराती है। आज ओमांश एस्ट्रोलॉजी अपने पाठको के लिए यह खास जानकारी लेकर प्रस्तुत है|
माता लक्ष्मी धन, समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी है|
माता लक्ष्मी को हिंदू धर्म में धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की देवी माना जाता है। दीपावली के दिन माता लक्ष्मी का विशेष आह्वान किया जाता है ताकि उनके भक्तों पर कृपा बरसे और वे आर्थिक रूप से समृद्ध हो सकें। लक्ष्मी पूजा में माता लक्ष्मी का स्वागत करने के लिए घर की सफाई, सजावट और दीप जलाने की परंपरा है ताकि उनके आगमन के लिए शुभ माहौल बन सके। लक्ष्मी जी का आगमन अंधकार को दूर करता है और जीवन में प्रकाश एवं खुशी भरता है। दिवाली पर माता लक्ष्मी की पूजा के बिना दीपावली अधूरी मानी जाती है।
गणेश जी को विघ्नहर्ता, बुद्धि, विवेक और ज्ञान के देवता माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणेश जी की पूजा के बिना नहीं होती है। वे हर प्रकार के विघ्न को दूर करते हैं और अपने भक्तों के जीवन को आसान बनाते हैं। दीपावली पर लक्ष्मी जी की पूजा में गणेश जी की उपस्थिति अनिवार्य मानी जाती है ताकि पूजा विधिपूर्वक संपन्न हो और लक्ष्मी जी का आशीर्वाद सदा बना रहे।
*गणेश-लक्ष्मी पूजन का ज्योतिषीय महत्व :
ज्योतिष के अनुसार, दिवाली का समय कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को आता है, जो वर्ष की सबसे अंधेरी रात मानी जाती है। इस समय ग्रहों की स्थिति भी विशिष्ट होती है। इस तिथि पर लक्ष्मी-गणेश पूजन करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि, धन-धान्य, और शांति का वास होता है।
ज्योतिष के दृष्टिकोण से भी, धन और समृद्धि के देवता कुबेर और माता लक्ष्मी की पूजा इस दिन करने से विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती है। गणेश जी की पूजा के बिना कोई भी पूजा संपूर्ण नहीं मानी जाती, इसीलिए गणेश जी की उपासना के बिना लक्ष्मी पूजन करना अशुभ माना जाता है। गणेश जी की उपस्थिति से घर में नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और लक्ष्मी जी का आह्वान प्रभावी हो जाता है। समृद्धि और सौभाग्य के प्रतीक दिवाली की पूजा में गणेश जी और लक्ष्मी जी का एक साथ पूजन करना यह भी दर्शाता है कि केवल धन का आना ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि उसे सही तरीके से उपयोग और संरक्षित करना भी आवश्यक है। लक्ष्मी जी धन, ऐश्वर्य, और संपत्ति का प्रतीक हैं, जबकि गणेश जी ज्ञान, विवेक, और शुभता का प्रतीक माने जाते हैं। इस प्रकार, लक्ष्मी और गणेश की पूजा यह संदेश देती है कि जीवन में धन के साथ-साथ ज्ञान और विवेक का होना भी महत्वपूर्ण है ताकि धन का सही उपयोग किया जा सके।
* व्यापार और व्यवसाय में उन्नति का संकेत :
भारत में अधिकांश व्यवसायी, व्यापारी और उद्यमी दीपावली पर विशेष पूजा का आयोजन करते हैं। इसे शुभ मुहूर्त मानकर अपने बहीखातों की पूजा की जाती है, जिसे “चोपड़ा पूजन” भी कहा जाता है। व्यापार में लाभ, उन्नति और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए गणेश और लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है ताकि अगले साल व्यवसाय में उन्नति और तरक्की हो सके। यह परंपरा बताती है कि आर्थिक उन्नति के लिए लक्ष्मी-गणेश की पूजा अत्यंत आवश्यक है।
आध्यात्मिक रूप से देखा जाए तो, लक्ष्मी और गणेश की पूजा हमारी भौतिक और मानसिक समृद्धि के प्रतीक हैं। लक्ष्मी जी हमारे भौतिक जीवन में धन-धान्य की पूर्ति करती हैं, जबकि गणेश जी मानसिक शांति और समृद्धि प्रदान करते हैं। दोनों देवताओं की पूजा से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और संतोष का वास होता है। ऐसा माना जाता है कि गणेश जी की पूजा से हमारे सभी कार्य बिना किसी बाधा के पूर्ण होते हैं और लक्ष्मी जी की पूजा से हम सुख-समृद्धि प्राप्त करते हैं।
पुराणों और कथाओं में गणेश-लक्ष्मी पूजन का वर्णन किया गया है|
प्राचीन हिंदू पुराणों में भी गणेश जी और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु ने लक्ष्मी जी को आशीर्वाद दिया था कि वे अमावस्या की रात को पृथ्वी पर आएंगी और अपने भक्तों को आशीर्वाद देंगी। उस दिन भक्तजनों ने भगवान गणेश को भी पूजा में शामिल किया ताकि माता लक्ष्मी के साथ गणेश जी का आशीर्वाद भी प्राप्त हो सके। इसके बाद से यह परंपरा बन गई कि दिवाली के दिन गणेश-लक्ष्मी पूजन अनिवार्य रूप से किया जाने लगा।
दिवाली का त्योहार घर में सुख-शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ाता है। जब घर में गणेश जी और लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है, तो वहां शुद्ध ऊर्जा का संचार होता है। यह पूजा न केवल घर की भौतिक संपत्ति को सुरक्षित रखने में सहायक होती है बल्कि मानसिक शांति भी प्रदान करती है। माना जाता है कि इस पूजा से घर में किसी भी प्रकार की नकारात्मकता नहीं रहती और परिवार में खुशहाली बनी रहती है।