Kartik maas 2025: दीपदान क्यों है जरूरी? कैसे कार्तिक मास में जलाया दीपक आपके भाग्य को चमकाता है !

 

 

 

हिंदू धर्म में कार्तिक मास को सबसे पवित्र और पुण्यदायी महीना माना गया है। इस महीने में किया गया हर शुभ कार्य चाहे वह स्नान, दान, या दीपदान हो सामान्य दिनों की तुलना में सैकड़ों गुना फलदायी होता है।

ज्योतिष के अनुसार, कार्तिक मास में जब सूर्य तुला राशि में और चंद्रमा पूर्णता की ओर बढ़ता है, तब प्रकाश का प्रतीक दीपक न केवल अंधकार मिटाता है बल्कि हमारे कर्म, ग्रहदोष और भाग्य को भी प्रकाशित करता है। आज ओमांश एस्ट्रोलॉजी कार्तिक मास में दीपदान से संबंधित बेहद अहम जानकारी लेकर प्रस्तुत है!

 

दीपदान केवल धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि यह एक ऊर्जा परिवर्तन प्रक्रिया है ,जो व्यक्ति की ओरा, मनोबल, और कुंडली के ग्रहों को संतुलित करती है।

 

 

#दीपदान और ग्रहों का गहरा संबंध:

ज्योतिष शास्त्र कहता है कि दीपक का प्रकाश अग्नि तत्त्व से जुड़ा होता है, और अग्नि का सीधा संबंध सूर्य, मंगल और गुरु ग्रहों से है।

सूर्य आत्मा, तेज और सफलता का प्रतीक है। दीपदान से सूर्य ग्रह की सकारात्मक शक्ति बढ़ती है।

मंगल जीवन ऊर्जा और उत्साह का ग्रह है। दीपदान करने से साहस और निर्णय क्षमता मजबूत होती है।

 

गुरु (बृहस्पति) ज्ञान, धर्म और पुण्य का कारक है। दीपदान से गुरु ग्रह की कृपा प्राप्त होती है और भाग्य उदय होता है।

 

यदि कुंडली में ये ग्रह कमजोर हों ,विशेषकर सूर्य या मंगल हो तो कार्तिक मास में किया गया दीपदान ग्रहबल प्रदान करता है और व्यक्ति की aura को तेजवान बनाता है।

 

🪔 ज्योतिषीय दृष्टि से दीपदान क्यों जरूरी है?

दीपक का अर्थ है “जो अंधकार मिटाए”। अंधकार केवल बाहरी नहीं, बल्कि भीतर का अज्ञान, नकारात्मकता और ग्रह-दोषों का अंधकार भी है।जब हम दीप जलाते हैं, तो अग्नि की कंपन हमारे मूलाधार से सहस्रार चक्र तक सकारात्मक तरंगें भेजती है। यह क्रिया हमारी कुंडली में रुके हुए शुभ ग्रहों को सक्रिय करती है।

 

ज्योतिष के अनुसार दीपदान के लाभ:

 

1. सूर्य कमजोर होने पर आत्मविश्वास और प्रतिष्ठा बढ़ती है।

2. राहु-केतु के दोष शांत होते हैं।

3. चंद्र ग्रह स्थिर होता है, जिससे मानसिक शांति बढ़ती है।

4. शनिदोष और पितृदोष में राहत मिलती है।

5. शुभ कर्मों का फल शीघ्र प्राप्त होता है।

 

**दीपदान कब और कहाँ करें , जाने शुभ मुहूर्त व दिशा:

कार्तिक मास में दीपदान मुख्यतः प्रभात काल, संध्या काल और कार्तिक पूर्णिमा पर किया जाता है।

ज्योतिष में दीपदान के तीन मुख्य प्रकार बताए गए हैं —

1. देव दीपदान — मंदिर या देवस्थान पर जलाया गया दीपक

2. तीर्थ दीपदान — नदियों, सरोवरों, या पवित्र स्थलों के किनारे किया गया दीपदान

3. गृह दीपदान — घर के मंदिर या आँगन में किया गया दीपदान।

 

*दीपदान की दिशा:

*पूर्व दिशा में जलाया दीपक सूर्य का आशीर्वाद देता है।

*उत्तर दिशा में दीपक धन वृद्धि के लिए शुभ है।

“पश्चिम दिशा में दीपक शत्रु नाश करता है।

*दक्षिण दिशा में दीपक पितरों की शांति के लिए जलाया जाता है।

 

#कार्तिक मास में दीपदान का धार्मिक रहस्य:

पुराणों में कहा गया है —

“दीपं दृष्ट्वा नरो यस्तु कार्तिके मासि तिष्ठति।

तस्य पापानि नश्यन्ति यथा काष्ठं हुताशने॥”

 

अर्थात “जो व्यक्ति कार्तिक मास में दीपदान करता है, उसके सारे पाप उसी प्रकार भस्म हो जाते हैं जैसे लकड़ी अग्नि में जलकर राख हो जाती है।”

 

दीपदान न केवल पापों का नाश करता है, बल्कि व्यक्ति के भविष्य जन्मों में शुभ कर्मों का बीज बोता है।

**कार्तिक मास में दीपदान से जीवन में परिवर्तन कैसे लाएँ?

 

1. कुंडली में शनि या राहु पीड़ित हो तो , शनिवार की संध्या में पीपल वृक्ष के नीचे सरसों तेल का दीपक जलाएँ।

2. गुरु कमजोर हो तो — गुरुवार को तुलसी के पास घी का दीपक जलाएँ और विष्णु मंत्र “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करें।

3. चंद्र अस्थिर हो तो — कार्तिक पूर्णिमा की रात चांदी के दीपक में घी भरकर भगवान शिव को अर्पित करें।

4. धन की कमी हो तो — कार्तिक मास की अमावस्या पर दक्षिण दिशा में दीपदान कर लक्ष्मी मंत्र “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” का जाप करें।

5. परिवारिक शांति हेतु — घर के मुख्य द्वार पर प्रतिदिन दो दीप जलाएँ — एक अंदर, एक बाहर।

 

**दीपदान और कुंडली के योग:

 

जिनकी कुंडली में सूर्य नीच या अष्टम भाव में हो, उन्हें नियमित दीपदान करना चाहिए।

शनि महादशा या साढ़ेसाती में चल रहे जातकों के लिए पीपल या शनि मंदिर में दीपदान अत्यंत शुभफलकारी है।

कर्क, सिंह, और मीन राशि वाले यदि कार्तिक मास में प्रतिदिन दीपदान करें, तो उनके जीवन में भाग्योदय शीघ्र होता है।

 

** दीपदान और आभामंडल (Aura) पर प्रभाव:

दीपदान से निकलने वाला प्राकृतिक प्रकाश हमारी aura को शुद्ध करता है।

ज्योतिषीय दृष्टि से कहा जाता है कि दीपक की लौ में सूक्ष्म ग्रह तरंगें समाहित रहती हैं। जब व्यक्ति श्रद्धा से दीपदान करता है, तब वह तरंगें उसके मानसिक और शारीरिक क्षेत्र में सकारात्मक कंपनों के रूप में प्रवाहित होती हैं।

इससे व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य, आत्मबल और आकर्षण शक्ति बढ़ती है।

 

 

**कार्तिक दीपदान : एक शुभ संकल्प

 

कार्तिक मास केवल पूजा-पाठ का समय नहीं, बल्कि संकल्प शक्ति और आत्मजागरण का काल है। दीपदान का अर्थ है , अपने भीतर की अंधकारमय ऊर्जा को जलाकर प्रकाशमय जीवन की ओर बढ़ना।

जब हम हर संध्या दीप जलाते हैं, तो यह केवल भगवान को नहीं, बल्कि अपने भीतर के देवत्व को भी जगाने का संकेत है।

जब दीप जलता है, तो भाग्य भी जगमगाता है ,दीपदान का ज्योतिषीय रहस्य यही है कि जब आप श्रद्धा से दीप जलाते हैं, तो आपके ग्रह, कर्म और ऊर्जा तीनों संतुलित होते हैं।

यह एक ऐसी क्रिया है जो अंधकार से प्रकाश, दुर्भाग्य से सौभाग्य और अवसाद से आत्मबल की ओर ले जाती है।

 

इसलिए कार्तिक मास के हर दिन —

🪔 एक दीप अपने देवता के नाम,

🪔 एक दीप पितरों के लिए

🪔 एक दीप अपने भाग्य के उजाले के लिए अवश्य जलाएँ।

 

आपका दीप ही आपका भाग्य प्रदीप बने — यही कार्तिक मास की सच्ची साधना है।

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