Kartik maas 2025 : कार्तिक मास में तुलसी माता की पूजा क्यों है जरूरी ? धन और सौभाग्य पाने का दिव्य उपाय!
सनातन धर्म में कार्तिक मास को अत्यंत पवित्र महीना माना गया है। इस मास को भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की आराधना का सर्वोत्तम समय कहा गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि कार्तिक मास में जो भी व्यक्ति स्नान, दीपदान, व्रत, जप और दान करता है, उसे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
इसी पवित्र मास में एक और विशेष परंपरा निभाई जाती है वो है तुलसी पूजा। तुलसी का पूजन न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि ज्योतिषीय और ऊर्जात्मक दृष्टि से भी अत्यंत शुभ माना गया है। आज ओमांश एस्ट्रोलॉजी अपने इस लेख में की कार्तिक मास में तुलसी पूजन जरूरी क्यों होता है इससे जुड़ी अहम जानकारी और साथ ही पौराणिक कथा लेकर प्रस्तुत है!
#तुलसी – धरती पर देवी स्वरूपा:
हिंदू धर्म में तुलसी को केवल एक पौधा नहीं, बल्कि माता तुलसी या तुलसी देवी के रूप में पूजा जाता है। तुलसी को भगवान विष्णु की प्रिय पत्नी के रूप में माना गया है।
पुराणों में वर्णन मिलता है कि भगवान विष्णु के वामन अवतार में तुलसी देवी का महत्त्व इतना अधिक था कि उन्होंने स्वयं शालिग्राम स्वरूप धारण कर तुलसी के साथ विवाह किया।
इसी कारण कार्तिक शुक्ल एकादशी, जिसे देवउठनी एकादशी या तुलसी विवाह कहा जाता है, पर तुलसी और शालिग्राम का विवाह किया जाता है। यह दिन इस बात का प्रतीक है कि अब देवता चार महीनों की निद्रा से जाग गए हैं और शुभ कार्यों का आरंभ हो सकता है।
**ज्योतिषीय दृष्टि से कार्तिक मास में तुलसी पूजन:
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कार्तिक मास में सूर्य तुला राशि में और चंद्रमा अक्सर वृषभ या मिथुन राशियों में गोचर करते हैं। यह समय शुक्र और चंद्र की ऊर्जा के प्रबल प्रभाव वाला होता है। तुलसी, जो शुद्धता, सात्विकता और विष्णु शक्ति की प्रतीक है, इस समय वातावरण में फैली तामसिक और नकारात्मक ऊर्जाओं को संतुलित करती है।
**तुलसी पूजन के ज्योतिषीय लाभ:
1. ग्रह दोषों से मुक्ति:
तुलसी माता के पूजन से विशेषकर शुक्र, चंद्र और राहु से संबंधित दोष कम होते हैं।
जिनकी कुंडली में शुक्र नीच या पीड़ित हो, वे कार्तिक मास में तुलसी पूजा करके शुक्र को सशक्त कर सकते हैं।
राहु-केतु के दोष या ग्रहण योग वाले लोगों को तुलसी के पौधे में प्रतिदिन जल चढ़ाना चाहिए।
2. घर में सकारात्मक ऊर्जा:
तुलसी का पौधा वास्तु और ग्रह दोनों स्तरों पर ऊर्जा शुद्धिकरण करता है। तुलसी के पास दीप जलाने से घर की नकारात्मक तरंगें नष्ट होती हैं और लक्ष्मी का वास होता है।
3. सूर्य और बृहस्पति की कृपा:
कार्तिक मास में तुलसी पूजा सूर्य को बल देती है, जिससे व्यक्ति की प्रतिष्ठा, आत्मविश्वास और निर्णय क्षमता बढ़ती है। तुलसी से संबंधित मंत्र जाप और आरती करने से बृहस्पति ग्रह भी प्रसन्न होते हैं, जो ज्ञान और धर्म का प्रतीक है।
**तुलसी पूजा का आध्यात्मिक रहस्य:
कार्तिक मास वह काल है जब प्रकृति शुद्धिकरण और पुनर्जन्म की प्रक्रिया में होती है। इस समय तुलसी की पूजा करने का अर्थ है —
*आत्मा की शुद्धि,
*घर के वातावरण का शुद्धिकरण,
*मन, वाणी, कर्म में सात्विकता लाना।
तुलसी में ब्रह्मा, विष्णु, महेश, लक्ष्मी, पार्वती और सरस्वती का वास बताया गया है। अतः तुलसी पूजन का अर्थ समस्त देवताओं की पूजा के समान माना जाता है।
#कार्तिक मास में तुलसी पूजा का पारंपरिक विधान:
1. तुलसी स्थापना का स्थान:
तुलसी सदैव घर के पूर्व, उत्तर या ईशान कोण में लगानी चाहिए।
शास्त्रों में कहा गया है —
> “तुलसी नित्यम् पूज्यन्ते, धनधान्यसमृद्धये।”
(तुलसी की नित्य पूजा से धन और सुख की वृद्धि होती है।)
2. कार्तिक मास में तुलसी की दैनिक पूजा:
प्रतिदिन प्रातः स्नान कर तुलसी को गंगाजल या शुद्ध जल से सींचें।
तुलसी के समीप दीपक जलाएं, विशेषकर सांयकालीन दीपदान का बहुत महत्त्व है।
“ॐ तुलस्यै नमः” या “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें।
तुलसी पर चंदन, फूल और दीप अर्पित करें।
3. तुलसी विवाह का विशेष महत्व (देवउठनी एकादशी):
इस दिन तुलसी और शालिग्राम का वैवाहिक अनुष्ठान किया जाता है। यह शुभ कार्य घर में वैवाहिक समरसता, पारिवारिक सुख, और लक्ष्मी कृपा का द्वार खोलता है।
जिन युवाओं के विवाह में अड़चनें आ रही हों, उन्हें तुलसी विवाह के दिन तुलसी माता के सामने दीप जलाकर “ॐ तुलस्यै नमः” का जप करना चाहिए।
**तुलसी से ग्रह शांति:
1. राहु दोष या कालसर्प दोष:
तुलसी पत्र पर “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” लिखकर भगवान विष्णु को अर्पित करें।
यह उपाय राहु की नकारात्मकता को कम करता है।
2. शुक्र कमजोर हो:
रोज सुबह तुलसी को जल अर्पित करें और “ॐ शुक्राय नमः” का जप करें। इससे वैवाहिक और भौतिक सुख बढ़ते हैं।
3. चंद्र दोष या मानसिक तनाव:
तुलसी के पास शाम को घी का दीप जलाकर “ॐ सोमाय नमः” का जप करें।
मन को शांति और स्थिरता मिलेगी।
4. धन हानि या व्यापार में मंदी:
तुलसी के पास रोज दीपदान करने से घर में लक्ष्मी स्थिर होती हैं!
तुलसी न केवल धार्मिक दृष्टि से पूजनीय है बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी अद्भुत औषधीय गुणों से भरपूर है।
इसमें एंटीबायोटिक, एंटीवायरल और एनर्जी-बैलेंसिंग तत्व होते हैं। जब व्यक्ति तुलसी के पास ध्यान या पूजा करता है, तो उसकी श्वास-प्रक्रिया में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है और मन अधिक शांति अनुभव करता है।
**इसलिए कहा गया है ,
“तुलसी दलमात्रेण जलसिन्चितेन वा।
यत्र यत्र स्थिता तुलसी तत्र तत्र हरिः स्वयं॥”
(जहाँ तुलसी रहती है, वहाँ स्वयं भगवान विष्णु का निवास होता है।)
कार्तिक मास में तुलसी की पूजा केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि आध्यात्मिक उत्थान और ग्रहशांति का माध्यम है।
इस महीने में तुलसी पूजन से —
*पाप कर्मों का नाश,
*मन की शुद्धि,
*जीवन में सौभाग्य का उदय होता है।
जो व्यक्ति कार्तिक मास में श्रद्धा से तुलसी माता की पूजा करता है, उसके जीवन में विष्णु-कृपा, लक्ष्मी-सिद्धि और ग्रहों की शांति स्थायी रूप से बनी रहती है।
**संक्षेप में तुलसी पूजन के लाभ:
ग्रह दोष शमन होता है, शुक्र, चंद्र, राहु-केतु दोष समाप्त होता है! नकारात्मक ऊर्जा का नाश और घर में शुद्धता और शांति का वास होता है ! धन और सुख की वृद्धि और लक्ष्मी का स्थायी वास होता हैं!
वैवाहिक सौहार्द के साथ पति-पत्नी में प्रेम और समरसता बनती है! मानसिक शांति और मन की स्थिरता और सकारात्मकता बढ़ती है!
कार्तिक मास में तुलसी पूजन का महत्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि ज्योतिषीय और ऊर्जात्मक संतुलन से भी जुड़ा हुआ है।
इसलिए, इस शुभ मास में तुलसी माता की पूजा अवश्य करें और उनके आशीर्वाद से जीवन को सुख, समृद्धि और शांति से भर दें।