अमावस्या हिंदू पंचांग के हिसाब से हर महीने में आने वाली कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि होती है| अमावस्या तिथि का स्वामी पितृ देव को माना गया है इसीलिए इसे पितरों का दिन कहा जाता है|
अमावस्या के पीछे का रहस्य यह होता है की इस दिन चंद्रमा अपनी क्षीणता के उच्चतम स्तर पर होता है, और दिखाई देना लगभग बंद हो जाता है| कृष्ण पक्ष के दिनो मे आने वालीं तिथि दैत्यों के पक्ष में होती है क्यूंकि इन दिनों में असुरी शक्तियां सक्रिय हो जाती है| इनके सक्रिय होने के चलते ही अमावस्या के समय पर व्यक्ति के मन पर प्रभाव पड़ता है खासकर कमज़ोर भावुक मन के व्यक्तियो पर इसका अधिक प्रभाव पड़ता है|
अमावस्या 12 प्रकार की होती है:
1. सोमावती अमावस्या
2.भोमावती अमावस्या
3.मोनी अमावस्या
4. शनि अमावस्या
5. हरियाली अमावस्या
6.दिवाली अमावस्या
7.कुश गृहिणी अमावस्या
8. सर्वपितृ अमावस्या
बाकी 4 अमावस्या दान पुण्य और स्नान का महत्व रखने वाली होती है|
* अमावस्या के दिन कौन से कार्य नहीं करने चाहिए|
* इस दिन किसी दूसरे के घर भोजन करने से बचे|
* किसी को अपशब्द न बोले|
* व्यर्थ के झगड़े से बचे|
•शरीर पर तेल न लगाएं|
•नाखून और सिर के बाल न काटे|
अमावस्या की पूजा के नियम और उपाय:
प्रात: काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर के सुर्य देव को जल अर्पित करें| ऐसा करने से घर के क्लेश दूर होते है|
इसके बाद पीपल के वृक्ष की पूजा करें और परिक्रमा करें| पीपल की पूजा का अमावस्या के दिन विशेष विधान होता है क्योंकि पीपल पर देवी देवताओं का वास होता है|
भगवान विष्णु की पूजा करके पीले फूल , पीला वस्त्र, चंदन, कुमकुम अर्पित करें|
घी का दीपक जला कर भगवान विष्णु की आराधना करें| आपकी सारी चिंता दूर होती है|
आटे की गोलियां मछलियों को खिलाए, ऐसा करने से भाग्य उदय होता है|
शाम के समय लाल बाती वाला शुद्ध घी का दीपक जलाएं| धन के देवी माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है|
ब्राह्मण को भोजन कराएं और जरूरतमंदों की सहायता करें|
ऐसा करने से आपके पितृ प्रसन्न होते हैं और आपको आशीर्वादित करते है| आपके जीवन में किसी भी प्रकार की बाधा आ रही हो या पितृ दोष हो या बार बार असफल हो रहे हो तो ये सभी समस्याएं दूर होती है|
सावधानी: अमावस्या के चांद को देखने से बचें| अशुभ फल की प्राप्ति होती है|
मांसाहार ,शराब, प्याज,, बैगन, मसूर की दाल का सेवन बिल्कुल न करें|