आषाढ़ पूर्णिमा (Guru Purnima) 10 या 11 जुलाई को ? जानिए सही तिथि और पूजा विधि!

 

 

 

 

 

 

##आषाढ़ गुरु पूर्णिमा

 

**तिथि**: आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा

**तिथि प्रारम्भ**: 10 जुलाई, 2025 रात्रि 01:36 बजे से

**तिथि समाप्त**: 11 जुलाई, 2025 दोपहर 02:06 बजे

**चंद्र उदय**: लगभग 07:20 शाम के लगभग

 

इस वर्ष आषाढ़ पौर्णिमा 10 जुलाई गुरुवार को है, और इसे गुरु पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है!

 

 

 

## गुरु पूर्णिमा और व्यास पूजाः

 

 

 

 

 

 

पूर्णिमा तिथि को गुरुओं का स्मरण और सम्मान करने का अवसर होता है! आषाढ़ मास की पूर्णिमा को विशेष रूप से **गुरु पूर्णिमा** के रूप में मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन पूजनीय **महर्षि व्यास**, जिन्हें हिन्दू धर्म के महान ग्रन्थकार और वेदों की संध्या कर्ता माना जाता है, का जन्म हुआ था !

 

# व्यास पर्णिमा (Vyas Purnima)

 

महर्षि व्यास की स्मृति में **व्यास पूजाः** की जाती है। उन्हें “गुरु का गुरु” कहा गया है क्योंकि उन्होंने स्वयं वेदों को संकलित कर उनके स्तम्भ स्वरूप कार्य किया!

 

गुरु पूर्णिमा पर गुरुओं के चरणों में आभार व्यक्त करके शिष्य अपनी जीवन यात्रा में उन्हें सम्मानित करते हैं। गुरुओं के ज्ञान का प्रकाश जीवन में अज्ञानता और अन्धकार का नाश करता है! आज ओमांश एस्ट्रोलॉजी आषाढ़ गुरु पूर्णिमा से जुड़ी अहम जानकारी लेकर प्रस्तुत है!

 

#सत्यानारायण व्रत

 

इस दिन **सत्यानारायण पूजन** और व्रत का प्रचलन भी बहुत है! इस पूजा से पारिवारिक शांति, समृद्धि तथा मानसिक शुद्धि प्राप्त होती है !

 

##कोकिला व्रत

 

भारतीय महिलाएँ **कोकिला व्रत** की शुरुआत इस पूर्णिमा से करती हैं जो श्रावण पूर्णिमा तक चलता है! यह व्रत संतान, संतान की दीर्घायु और सुन्दर वैवाहिक जीवन की कामना हेतु किया जाता है !

 

##चंद्रमा एवं मनःस्थिति;

 

चन्द्रमा मानव मन, भावनाएँ और मानसिक संतुलन का प्रतीक है! पूर्णिमा की पूर्ण चंद्रमण्डल स्थिति चित्त को प्रकाशमान करती है, तनाव और मनोवैज्ञानिक अवरोध दूर करती है !

 

## नक्षत्र एवं ग्रहगोचर

 

इस दिन चन्द्रमा **उत्तरा-आषाढा या पूरव-आषाढा** नक्षत्र में होता है, जिसे ज्ञान, स्थिरता और स्थायी विजय के नक्षत्र माना जाता है !

 

 

 

## पूजन-विधि;

 

1. **सुबह स्नान**

पवित्र नदी या घर में पूजनीय स्थान पर स्नान — ऊर्जा में शुद्धि के लिए आवश्यक है!

 

 

 

 

 

 

2. **गुरु पूजन**

प्रतिमा, तस्वीर या साक्षात गुरु को पुष्प, अक्षत, फल-प्रसाद अर्पित करना!

 

3. **सत्यानारायण कथा**

कथा श्रोताओं/परिवारिक सदस्यों के साथ सुनना बिना कथा पढ़े व्रत अधूरा माना जाता है!

 

4. **कोकिला व्रत आरंभ**

महिलाएँ तुलसी, वटवृक्ष या शिवलिंग की पूजा करते हुए व्रत शुरू करती हैं!

 

5. **दान एवं परोपकार**

ब्राह्मण, गरीब और निर्धनों को अन्न, वस्त्र, पूजा-सामग्री दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है !

 

6. **चांद-प्रसाद**

चन्द्र उदय के बाद पूजा के बाद फल व ख़ास प्रसाद ग्रहण करना!

 

## चन्द्र दोष उपचार व उपाय;

**चन्द्र मास दोष** (छठे/नवम/बारहवें भाव में चन्द्र):

उपाय: चन्द्रमा की पूजा, साफ वस्तुएं अर्पित करें! पुरुषों के लिए दूध, महिलाओं के लिए घी। का दान उत्तम रहेगा!

मंत्र: “ॐ सोमाय नम:” या “ॐ चंद्राय नमः!”

 

**गुरु दोष**:

गुरुत्व आते समय गुड़, पीली वस्तुएं दान करें; गुरु को चढ़ाएं।

 

* गुरुओं को सम्मान मिलने का यह एक विशेष दिन होता है।

* स्वयं शिक्षा संस्थाओं, आश्रमों में गुरु-शिष्य मिलन समारोह, सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं!

* यह दिन सामाजिक दायित्व—दान, रक्तदान, सामूहिक पूजा, मेडिकल कैंप इत्यादि के लिए भी आदर्श है!

 

* लोग इस दिन की शाम या दिन गुरु को भेंट देकर अपना आभार व्यक्त करते हैं!

* कई बार शिष्य जीवन लक्ष्य, भविष्य की दिशा हेतु गुरु से मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं!

* कोकिला व्रत कर रही महिलाएँ श्रावण मास में साप्ताहिक पूजा जारी रखती हैं!

 

 

आषाढ़ पूर्णिमा अर्थात गुरु पूर्णिमा जीवन में **ज्ञान, आदर, श्रद्धा** एवं **आध्यात्मिक ऊँचाई** लाने का अवसर प्रस्तुत करती है!

गुरुओं के प्रति कृतज्ञता, मानसिक शान्ति के लिए चान्द्र पूजन, पारिवारिक समृद्धि हेतु सत्यानारायण व्रत, धार्मिक एवं समाजोत्थान हेतु दान-पुण्य, इनसे सम्पूर्ण जीवन का उन्नयन संभव है!

 

**“गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वरः…”** — गुरु का गुणगान करे!

 

इस वर्ष 2025 में भी, 10 जुलाई गुरुवार को आषाढ़ पूर्णिमा भक्तों

को आध्यात्मिक जागृति, पारिवारिक सौहार्द और समाजिक कल्याण का आदर्श अवसर प्रदान करेगी!

 

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