ज्योतिष शास्त्र में देवगुरु बृहस्पति को धन और ज्ञान का कारक माना जाता है| गुरु की महादशा 16 वर्ष तक चलती है|गुरु ग्रह की महादशा में व्यक्ति के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ते है आज जानेंगे ओमान्श एस्ट्रोलॉजी अपने पाठकों के लिए विस्तार पूर्वक गुरु ग्रह से संबंधित जानकारी लेकर प्रस्तुत है|
Guru ki mahadasha:
राशि चक्र की नवम ओर बारहवी राशि धनु और मीन राशि पर गुरु ग्रह का आधिपत्य है| कर्क राशि गुरु को उच्च की राशि होती है व कर्क राशि के जातकों को गुरु हमेशा शुभ फल प्रदान करते है|
कुंडली में गुरु की मजबूत स्थिति हो तो व्यक्ति को जीवन में धन की कमी नहीं रहती| गुरु की शुभ दृष्टि व्यक्ति को रंक से राजा बना देती है| व्यक्ति ज्ञानी बनता है अच्छा सलाहकार बनता है और लोगो की सहायता करता है | आस्तिक होता है | शिक्षा संबंधी क्षेत्र में नाम कमाता है |
गुरु के अशुभ होने पर व्यक्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है, जानते है:
गुरु की महादशा के प्रारंभ में गुरु की ही प्रत्यंतर दशा चलती है अगर देवगुरु बृहस्पति कुंडली में नीच के होकर स्थित हो जाए व्यक्ति कर्जदार हो जाता है ओर खराब गुरु की महादशाओं में व्यक्ति को अपमान का सामना करना पड़ता है| व्यक्ति क्रोधी हो जाता है ओर अपने सगे संबंधियों यहां तक कि अपनी पत्नी तक से संबंध खराब करता है| लगातार धन की हानि झेलते हुए व्यक्ति की सोच नकारात्मक हो जाती है|
गुरु ग्रह अशुभ स्थिति में हो तो व्यक्ति को रोग घेर लेते है. कुंडली में गुरु- शनि या गुरु- राहु या गुरु बुध की युति होती है तो व्यक्ति को अस्थमा, श्वास संबंधी रोग, गर्दन ,नाक या सिर दर्द के रोग हो जाते है| रक्त विकार, पेट का फूलना , लीवर संबंधी समस्याएं होती है|
Guru ke upay:
हर गुरुवार के दिन स्नान के बाद पीले वस्त्र धारण करें, पीला कलावा कलाई पर बांधे.
चने की दाल और गुड गुरुवार के दिन गोमाता को खिलाए.
गुरुवार के दिन एक चुटकी हल्दी भगवान विष्णु या केले के पौधे पर चढ़ाए अपनी मनोकामना बोलते हुए करें.
गुरुवार के दिन पीले चंदन का तिलक अपने मस्तक पर करे.
केसर युक्त खीर का भोग भगवान श्री हरी को लगाएं फिर उस खीर का परिवार समेत सेवन करें.
लाभ प्राप्त होगा|