गायत्री मंत्र का जाप भूलकर भी किन लोगों को नहीं करना चाहिए? कहीं आप भी तो नहीं कर रहे है ये गलती?

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

भारतवर्ष में गायत्री मंत्र को सर्वोच्च और सबसे शक्तिशाली वैदिक मंत्रों में गिना जाता है! इसे ‘मंत्रराज’ कहा गया है, यानी सभी मंत्रों का राजा। यह मंत्र ऋग्वेद से लिया गया है और इसका उपयोग आत्मिक उन्नति, बुद्धि की वृद्धि और चेतना के विस्तार के लिए किया जाता है!

 

**गायत्री मंत्र** इस प्रकार है:

ॐ भूर्भुवः स्वः  

तत्सवितुर्वरेण्यं  

भर्गो देवस्य धीमहि  

धियो यो नः प्रचोदयात् !

 

इस मंत्र के जाप से बुद्धि तेज होती है, मानसिक अशुद्धियाँ दूर होती हैं और व्यक्ति आध्यात्मिक रूप से आगे बढ़ता है! परंतु क्या आप जानते हैं कि यह मंत्र हर किसी के लिए नहीं है? कुछ ऐसे विशेष लोग और परिस्थितियाँ हैं जिनमें गायत्री मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए! आज ओमांश एस्ट्रोलॉजी इस लेख में इसी विषय को ज्योतिष और शास्त्रों के दृष्टिकोण से विस्तारपूर्वक बताने जा रहे हैं!

 

#गायत्री मंत्र का महत्व*

 

गायत्री मंत्र केवल एक वैदिक स्तुति नहीं है, यह संपूर्ण ब्रह्मांडीय चेतना को सक्रिय करने वाला बीज मंत्र है! यह व्यक्ति की ‘बुद्धि’ यानी विवेक को जाग्रत करता है और उसे सत्य के मार्ग पर ले जाता है!

 

इसका संबंध *सूर्य देव*, *सावित्री देवी*, और *ब्रह्मा तत्व* से है! इसे जाप करने के लिए मानसिक पवित्रता, भावनात्मक संतुलन और नियमानुसार अनुशासन की आवश्यकता होती है। यही कारण है कि यह मंत्र **सावधानीपूर्वक** और **सही पात्रता** के साथ ही जपा जाना चाहिए!

 

#गायत्री मंत्र का जाप किन लोगों को नहीं करना चाहिए ?

 

1. **शुद्धता का पालन न करने वाले लोग**

 

गायत्री मंत्र अत्यंत पवित्र मंत्र है! इसका जाप करने से पहले *शरीर, मन और वाणी* की शुद्धता आवश्यक मानी गई है। यदि कोई व्यक्ति:

 

* नित्य स्नान नहीं करता,

* गलत वाणी या अपवित्र विचारों से भरा होता है,

* मांस, मदिरा या अन्य तामसिक पदार्थों का सेवन करता है,

 

तो ऐसे व्यक्ति को गायत्री मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह मंत्र शरीर और मन को शुद्ध करता है, और यदि इन शर्तों का पालन न किया जाए तो इसका फल विपरीत भी हो सकता है!

 

 

2. **तांत्रिक या काली शक्तियों की साधना करने वाले लोग**

 

जिन लोगों की साधना तांत्रिक मार्ग से जुड़ी होती है या जो *रात्रि में काली शक्तियों की पूजा*, वशीकरण, मोहिनी आदि कर्म करते हैं, उन्हें भी गायत्री मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए!

 

गायत्री मंत्र ‘सात्विक’ ऊर्जा को जाग्रत करता है जबकि तांत्रिक क्रियाएं ‘राजस’ या ‘तामस’ मार्ग की ओर ले जाती हैं! दोनों मार्ग विपरीत ध्रुव हैं और इनका एक साथ प्रयोग साधक के लिए हानिकारक हो सकता है!

 

 

 

 3. *रात्रि में जाप करने वाले लोग*

 

गायत्री मंत्र का जाप विशेष रूप से **प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त* या *दिन के समय* करने की सलाह दी जाती है। यदि कोई व्यक्ति इसे रात में करता है, विशेषकर सूर्यास्त के बाद, तो इससे लाभ के स्थान पर हानि हो सकती है!

 

क्योंकि गायत्री मंत्र सूर्य ऊर्जा से जुड़ा है और रात्रि काल में सूर्य अस्त हो जाता है, इसलिए इस समय मंत्र की शक्ति मंद हो जाती है और इसका असर उल्टा भी हो सकता है!

 

4. *गर्भवती स्त्रियाँ (विशेष परिस्थितियों में)*

 

गर्भवती स्त्रियों को मंत्र जाप करने की छूट होती है, लेकिन **गायत्री मंत्र का अत्यधिक उच्चारण या तेज़ आवाज़ में जाप करने से गर्भस्थ शिशु पर प्रभाव पड़ सकता है! इसलिए यदि मानसिक और शारीरिक स्थिति स्थिर न हो, तो गायत्री मंत्र का जाप डॉक्टर या गुरु की सलाह से ही करना चाहिए!

 

 5. **अविवाहित और संयम न रखने वाले युवक/युवतियाँ**

 

गायत्री मंत्र का जाप ब्रह्मचर्य और संयम का पालन करने वालों के लिए अत्यंत फलदायक होता है! यदि कोई अविवाहित युवक या युवती कामनाओं से ग्रसित हो और जीवन में अनुशासन न हो, तो मंत्र का जाप उनके मन को और अस्थिर बना सकता है!

 

इसलिए जिनका जीवन संयमित नहीं है, उन्हें पहले जीवनशैली सुधारने की सलाह दी जाती है, तत्पश्चात ही मंत्र जाप!

 

 6. **गुरु दीक्षा के बिना मंत्र जाप करने वाले**

 

गायत्री मंत्र को ‘दीक्षित मंत्र’ माना गया है! कई परंपराओं में इसे **गुरु से दीक्षा लेकर ही जपने योग्य** बताया गया है। बिना गुरु से दीक्षा लिए यदि कोई इसका जाप करता है, तो वह इसके पूर्ण फल से वंचित रह सकता है या नकारात्मक प्रभाव भी झेल सकता है!

 

शास्त्रों में कहा गया है कि “मंत्रोपरिषदं विना मंत्र जाप निष्फलः” अर्थात मंत्र का सही उच्चारण, भाव और नियम गुरु ही सिखाता है!

 

 

7. **नास्तिक और तर्कवादियों के लिए अनुचित**

 

यदि कोई व्यक्ति ईश्वर, मंत्र, आध्यात्मिकता में विश्वास नहीं रखता और केवल तर्क या प्रयोग के रूप में मंत्र जाप करना चाहता है, तो यह अनादर के समान होता है! गायत्री मंत्र कोई ‘ट्रायल’ करने की वस्तु नहीं है। यह आस्था, श्रद्धा और विश्वास की शक्ति से जुड़ा है!

 

ऐसे लोग न केवल परिणाम से वंचित रह जाते हैं बल्कि मानसिक अशांति और भ्रम का अनुभव कर सकते हैं!

 

 

#गायत्री मंत्र जाप की गलत विधियाँ – जिन्हें टालना चाहिए*

 

**गलत उच्चारण:** गायत्री मंत्र का उच्चारण शुद्ध संस्कृत में होना चाहिए! त्रुटिपूर्ण उच्चारण मंत्र की ऊर्जा को क्षीण कर देता है!

**बिना आसन के जाप:** मंत्र जाप करते समय चटाई या कुशासन पर बैठना आवश्यक है! ज़मीन पर सीधे बैठकर जाप करने से ऊर्जा का क्षय होता है!

**जल्दीबाज़ी में जाप:** मन में एकाग्रता और श्रद्धा न हो, तो मंत्र जाप यंत्रवत हो जाता है! ऐसे जाप का कोई फल नहीं मिलता!

 

#गायत्री मंत्र जाप के लिए योग्य कौन हैं?

 

अब प्रश्न यह उठता है कि गायत्री मंत्र का जाप किन्हें करना चाहिए?

 

* जो व्यक्ति संयमी हो

* ब्रह्ममुहूर्त में उठने की आदत हो

* जिनका मन एकाग्र हो

* गुरु से मंत्र दीक्षा प्राप्त हो चुकी हो

* सात्विक आहार और जीवनशैली का पालन करता हो

* सकारात्मक सोच और सेवा भाव रखता हो

 

ऐसे साधक को गायत्री मंत्र बहुत तेज़ी से फल देता है और जीवन में चमत्कारी रूप से परिवर्तन लाता है!

 

गायत्री मंत्र का जाप निश्चित ही मन, बुद्धि और आत्मा के लिए अत्यंत कल्याणकारी है, लेकिन यह तभी फलदायी होता है जब इसे नियमपूर्वक और श्रद्धा से किया जाए! यह मंत्र हर किसी के लिए नहीं है। जिनका मन चंचल है, जिनका आचरण अनुचित है, या जो इसे बिना समझे केवल रटते हैं, उनके लिए यह मंत्र निष्फल या हानिकारक भी हो सकता है!

 

यदि आप गायत्री मंत्र को अपने जीवन में शामिल करना चाहते हैं, तो पहले स्वयं को शुद्ध करें — आहार से, विचारों से, व्यवहार से, गुरु का मार्गदर्शन लें और समय, विधि और भाव का

ध्यान रखें!

 

याद रखें, **गायत्री मंत्र शक्ति है, लेकिन यह शक्ति तभी फल देती है जब साधक उसके योग्य हो।**

 

 

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